Tuesday 19 October 2021

काबुल , कश्मीर और ढाका में हिन्दुओं पर हमले किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं


मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस : सम्पादकीय
- रवीन्द्र वाजपेयी

काबुल , कश्मीर और ढाका में हिन्दुओं पर हमले किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं  

कश्मीर में अन्य राज्यों के गैर मुस्लिम श्रमिकों की हत्या के साथ ही बांग्ला  देश से भी हिन्दू समुदाय के लिए चिंताजनक खबरें आने लगीं | नवरात्रि  के दौरान दुर्गा पंडालों पर हमले किये जाने के बाद  मंदिरों को निशाना बनाया जाने लगा और अब ग्रामीण इलाकों में हिन्दुओं के घर जलाये जाने जैसी वारदातों की खबर है | वहां की सरकार इन घटनाओं को पूर्व नियोजित बताते हुए हिन्दुओं और मुसलिमों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ने की साजिश बता रही है |  गृहमंत्री ने तो यहाँ तक कहा कि 2023 में होने वाले आम चुनाव के पहले कट्टरपंथी ताकतें  माहौल बिगाड़ने की साजिश के तहत ऐसा कर रही  हैं | उनके अलावा सूचना राज्य मंत्री ने भी साफ़ – साफ़ कहा है कि उनका देश इस्लामिक राष्ट्र न होकर धर्म निरपेक्ष है | सरकारी एजेंसियों ने अनेक गिरफ्तारियों की जानकारी भी दी है | ये बात भी सामने आई है कि फेस बुक पर किसी आपत्तिजनक टिप्पणी से आक्रोशित होकर हिन्दुओं पर ये हमले किये गये  | इस बारे में उल्लेखनीय है  कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली बांग्ला देश सरकार ने भारत  के साथ अच्छे कूटनीतिक और करोबारी रिश्ते बनाये रखे जिसके  कारण सीमा विवाद जैसे तमाम मसले सहजता से सुलझाए जा सके | बांग्ला देश में हिन्दुओं की खासी  आबादी होने से अनेक बड़े मंदिर और तीर्थस्थल हैं | पूरा देश बांग्लाभाषी है और खान – पान तथा रहन सहन में भी साम्यता है | देश के पहले शासक शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तान से अलग होने के बाद अपने देश को इस्लामिक देश नहीं  बनाया जिसका एक कारण उसके निर्माण में भारत का ऐतिहसिक सहयोग भी था किन्तु वे  महज चार साल के बाद ही मार डाले गाये और उसके बाद लम्बे समय तक  मुल्क में राजनीतिक अस्थिरता के साथ ही कट्टरता का बोलबाला रहा | हालाँकि शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद हालातों में सुधार आया किन्तु हिन्दुओं के विरुद्ध नफरत फ़ैलाने वाली शक्तियाँ भी सक्रिय बनी रहीं जिसकी वजह से उनके  धर्मस्थलों पर हमले जैसी घटनाएँ होती रहीं | ये कहने में कुछ भी गलत नहीं है कि जिस पाकिस्तान के विरुद्ध लड़कर बांग्ला देश अस्तित्व में आया उसके आतंकवादी संगठनों को इस  देश में  भी पनाह मिलती रही | भारत में हुई अनेक आतंकवादी घटनाओं के तार भी उससे जुड़े पाए गए | यद्यपि पाकिस्तान की तरह से बांग्ला देश की वर्तमान सरकार आतंकवादी संगठनों को संरक्षण और सहायता नहीं देती किन्तु वहां इस्लामिक कट्टरपंथ के समर्थक भी काफी हैं जो पाकिस्तान प्रायोजित  आतंकवादी संगठनों को गोद में बिठाने के पक्षधर हैं | इस आधार पर  हिन्दुओं पर हुए हालिया हमले केवल इस देश का आन्तरिक मामला न होकर अंतर्राष्ट्रीय घटनाचक्र से जुड़ा हुआ लगता  है | अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता आने के बाद से इस्लामिक कट्टरपंथ का हौसला  मजबूत हुआ है | काबुल में गुरुद्वारों और मंदिरों को आतंकित किये जाने के बाद कश्मीर घाटी में  गैर मुस्लिमों की हत्या कर  उन्हें वहां से चले जाने के लिए बाध्य किये जाने के साथ ही बांग्ला देश में दुर्गा पंडालों , मंदिरों और अब हिन्दुओं के घरों में आगजनी की घटनाओं को अलग – अलग देखना सही नहीं होगा | इस बारे में उल्लेखनीय बात ये है कि हमारे देश के एक बड़े तबके ने अमेरिका  विरोध की मानसिकता के वशीभूत काबुल में कट्टरपंथी इस्लामिक सत्ता के काबिज होने पर जोरदार  जश्न मनाते हुए उसे आजादी का नाम दिया | उनके साथ  तमाम इस्लामिक संगठनों के प्रमुखों ने भी बाकायदा तालिबान के समर्थन में बयान देकर खुशी ज़ाहिर की | अनेक राजनीतिक नेताओं ने भारत सरकार पर तालिबानी हुकूमत से  कूटनीतिक रिश्ते कायम करने की मांग भी कर डाली |  ये कहना गलत नहीं है कि कश्मीर घाटी में अचानक प्रारम्भ हुई आतंकवादी घटनाओं के पीछे अफगानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन का भी हाथ है | इसी तरह बांग्ला  देश में एकाएक आई हिन्दू विरोधी लहर के सम्बन्ध भी पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों से हो सकते हैं | गौरतलब है प. बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बैनर्जी की  धमाकेदार जीत का कारण  राज्य के लगभग तीस फीसदी मुस्लिम मतदाताओं का तृणमूल कांग्रेस को एकमुश्त  समर्थन माना जाता है जिनमें बहुत बड़ी संख्या बांग्ला देश से आये घुसपैठियों की है जिन्हें पहले वामपंथी और फिर ममता सरकार ने वोट बैंक की खातिर भारत का नागरिक बना दिया |  उसकी वजह से  भी  बांग्ला देश के कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों का हौसला मजबूत हुआ है | गत दिवस कोलकाता की फुरफुरा शरीफ के एक पीर द्वारा कुरान के अपमान पर सिर काट लेने की धमकी दिया जाना साधारण बात नहीं है क्योंकि बांग्ला देश में हिन्दुओं पर टूटे कहर की वजह भी सोशल मीडिया पर की गयी विवादित टिप्पणी को माना जा रहा है | ये देखते हुए काबुल से बरास्ते कश्मीर ,  ढाका तक हिन्दुओं के विरुद्ध जो हिंसक घटनाएँ हो रही हैं वे किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा हों तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए | इसका कारण भारतीय उपमहाद्वीप में  शामिल देशों मसलन  पाकिस्तान , नेपाल , भूटान , बांग्ला देश , श्रीलंका के अलावा म्यांमार , अफगानिस्तान और मालदीव में सक्रिय भारत विरोधी शक्तियों की  संगामित्ती है | आज के संदर्भ में इनमें से अधिकतर के साथ हमारे रिश्ते प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तनावपूर्ण हैं | इसके पीछे अब तक चीन और पाकिस्तान की भूमिका को जिम्मेदार माना जाता था किन्तु अफगानिस्तान में तालिबान की वापिसी से इस्लाम के नाम पर भारत विरोधी ताकतों को नया संरक्षक मिल गया  है | इसलिए  भारत सरकार को अब नए सिरे से अपनी कूटनीतिक  रचना करनी होगी | भारत में जो लोग तालिबानी हुकूमत की तरफदारी करने में आगे – आगे थे उनका  कश्मीर और बांग्ला देश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों पर  मौन रहना चौंकाने वाला  है | भारत भले ही धर्म निरपेक्ष हो लेकिन इस्लामिक जगत की नजर  में उसे हिन्दुओं का देश ही माना जाता है | ताजा घटनाक्रम को इसीलिये इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों द्वारा भारत के विरुद्ध रची जा रही व्यूह रचना के तौर पर देखा जाना चाहिए | आश्चर्य की बात है भारत में अल्पसंख्यकों के हमदर्द बने रहने वाले नेतागण कश्मीर घाटी और बांग्ला देश की घटनाओं का अपेक्षित संज्ञान नहीं ले रहे | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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