Friday 22 October 2021

किसान और इंसान अलग नहीं होते



किसान आन्दोलन के अन्तर्विरोध नित्य सामने आने लगे हैं | दिल्ली की  सीमा पर चल रहे धरने में एक व्यक्ति की निहंगों ने जिस बेरहमी से हत्या की उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेन्द्र यादव ने निहंगों से धरना स्थल छोड़ने की  अपील करते हुए स्पष्ट किया कि इस आन्दोलन का किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है |  लेकिन इस बीच एक नया विवाद पैदा हो गया | हुआ यूं कि श्री यादव के  लखीमपुर खीरी में मारे गये एक भाजपा कार्यकर्ता के घर सम्वेदना व्यक्त करने जाने से नाराज संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें 9 सदस्यों वाली समिति से एक माह के लिए निलम्बित कर दिया | इस पर उन्होंने  कहा कि वे अपने सिद्धांत नहीं  छोड़ सकते और मौत का दर्द सभी के लिए समान  है | श्री यादव इस आन्दोलन के बौद्धिक चेहरे माने  जाते हैं | उनके  वामपंथी झुकाव से अनेक गैर किसान संगठन और बुद्धिजीवी भी किसानों के हमदर्द बनकर सामने आये | किसानों को दिल्ली की सीमा पर डेरा जमाकर बैठे रहने की  समझाइश श्री यादव द्वारा दिए जाने की बात भी  सुनने में आई | ऐसे में उन्हें आन्दोलन की सर्वोच्च सञ्चालन समिति से निलम्बित किया जाना चौंकाता है | लेकिन उससे भी अधिक आश्चर्य की बात उनके निलबंन का कारण है | लखीमपुर खीरी में मारे  गये किसानों के प्रति तो सहानुभूति का सैलाब आ गया लेकिन प्रतिक्रियास्वरूप मारे गये भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत पर उपेक्षा का पर्दा डालने का प्रयास भी हुआ | उस दृष्टि से भाजपा के ऐलानिया विरोधी होने के बावजूद श्री यादव का मृतक कार्यकर्ता के परिवारजनों से मिलना सहज मानवीयता थी जिसकी सराहना होनी चाहिए थी | लेकिन उनको निलम्बित कर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने दिमागी दिवालियेपन के साथ ही अमानवीय सोच का परिचय दिया है | इससे ये भी  साफ़ होता है कि आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे कथित नेता बहुत ही संकुचित मानसिकता वाले हैं जिनकी नजर में मरने वाला गैर किसान ,इंसान नहीं होता | योगेन्द्र यादव  आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य थे  जिन्हें अरविन्द केजरीवाल एंड कम्पनी ने धकियाकर बाहर कर दिया था | बाद में उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई किन्तु उसे विशेष सफलता नहीं मिली | किसान आन्दोलन में भी उनकी मौजूदगी बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी ही थी |  संयुक्त किसान मोर्चा के ताजा फैसले के बाद ये स्पष्ट हो गया कि किसान नेता भी श्री यादव से मुक्ति पाना चाह रहे थे लेकिन उनको निलम्बित करने की जो वजह बताई गई वह किसी भी स्तर पर उचित नहीं हो सकती और इससे विरोधियों के मन में भी उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न होगी | 

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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