Tuesday 19 April 2022

दंगाइयों को भी आतंकवादी मानकर कार्रवाई की जाए



दिल्ली के जहांगीराबाद इलाके में हनुमान जयन्ती के  जुलूस पर  पथराव और दंगा करने वाले लोगों की पुलिस धरपकड़ कर रही है | दोनों पक्षों के जिम्मेदार लोगों पर  मामले कायम हो रहे हैं |  मस्जिद पर हिन्दू झन्डा लगाये जाने की शिकायत गलत पाए जाने के बाद ये भी स्पष्ट हो गया है कि जुलूस पर पथराव सुनियोजित था | गोली चलाने वाले युनुस नामक कबाड़ी को पकड़ने गये पुलिस बल पर गत दिवस जिस तरह से पथराव हुआ वह अपने आप में काफी कुछ कह जाता है | आरोप है कि सोनू शेख नाम से लोकप्रिय 28 वर्षीय युनुस प. बंगाल का रहने वाला है और बतौर कबाड़ी उसने काफी पैसा कमाया | उस घनी बस्ती में रहने वाले लोगों को पत्थर  और कांच की बोतलें उसी ने उपलब्ध कराई थीं | पुलिस सूत्रों के अनुसार हनुमान जयन्ती की शोभायात्रा बिना अनुमति निकाली गई थी जिसके लिए आयोजकों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा रही है | लेकिन सतही तौर पर जो तथ्य सामने आये हैं उनके अनुसार मस्जिद के पास जुलूस पहुंचने पर दोनों पक्षों के बीच मामूली बहस होने लगी जिसे दंगा भड़कने का कारण नहीं माना जा सकता किन्तु उसी दौरान पत्थर और कांच की बोतलों के साथ ही हथियारों के साथ भीड़ ने आकर हमला किया | कुल मिलाकर करौली , खरगौन और जहांगीराबाद के दंगे किसी धारावाहिक की कड़ी प्रतीत होते हैं क्योंकि उनकी पटकथा एक समान है | केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने दिल्ली पुलिस को दंगा करने वालों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई करने कहा है जो मिसाल बन जाए | उधर उ.प्र सरकार ने बिना पूर्व अनुमति के किसी भी प्रकार के जुलूस या शोभायात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है | जहांगीराबाद के दंगे के बाद वहां रह रहे हिन्दुओं ने अपनी शिकायत में बंगाली मुसलमान शब्द का इस्तेमाल किया जिससे दिल्ली में आकर बस गये बांग्ला देशी मुसलमानों पर एक बार फिर ध्यान चला गया | देश के अन्य स्थानों से भी बांग्ला देशियों  के साथ म्यांमार से खदेड़े गये रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा समय – समय पर किये जने वाले उत्पात की शिकायतें आया करती हैं | नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूरे देश में जिस तरह का योजनाबद्ध उत्पात हुआ उसके पीछे भी इनकी बड़ी भूमिका बताई जाती है क्योंकि उन कानूनों में इनको अपने लिए खतरे की घंटी सुनाई दे रही थी | इस बारे में देखने वाली बात ये है कि 1971 में बतौर शरणार्थी भारत आये करोड़ों बांग्ला देशी शरणार्थियों को वापिस भेजने की ठोस नीति और  कार्ययोजना न बनाये जाने के कारण वे पूरे देश में फ़ैल गये | बांगला देश बनने के महज चार साल के भीतर ही शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या होने के बाद वहां आई सत्ता ने भारत विरोधी रवैया अपना   लिया जिसकी वजह से पहले से आये शरणार्थी तो लौटे नहीं ऊपर से नए  आने का सिलसिला जारी रहा जिसकी वजह से प. बंगाल , असम और त्रिपुरा जैसे  सीमावर्ती राज्यों की जनसंख्या का संतुलन बिगड़ता गया | आज देश के सभी महानगरों में लाखों की संख्या बांग्ला देशी नागरिकों की है जो अपनी पहिचान को छिपाकर रखते हैं | इसी तरह रोहिंग्या मुस्लिम भी फैलते चले  जा रहे हैं | दुर्भाग्य से वोट बैंक की राजनीति इनको निकाल बाहर करने में बाधक बन जाती है | हाल के वर्षों में सांप्रदायिक झगड़े होने पर जिस तरह की आक्रामकता मुस्लिम समुदाय के बीच दिखाई देने लगी है उसके पीछे अवैध रूप से देश में रहने वाले ये विदेशी मुसलमान भी हैं जिनको स्थानीय संरक्षण प्राप्त हो जाता है | सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण इन्हें  राशन कार्ड सहित अन्य पहिचान पत्र उपलब्ध हो जाने से  शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिल जाता  है | ये देखते हुए नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लागू किये जाने की सख्त जरूरत है | भारत को शरणार्थियों का स्थायी आश्रय स्थल बनाने के षडयंत्र को यदि विफल नहीं किया गया तो  सांप्रदायिक उपद्रव की आड़ में आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ती जायेंगी| इस बारे में याद रखना होगा कि भले ही बांग्ला देश की शेख हसीना सरकार भारत के प्रति दोस्ताना रुख रखती हो लेकिन उनके देश में अनेक भारत  विरोधी आतंकवादी संगठन काम कर रहे हैं | हिन्दू मंदिरों पर होने वाले हमले इसका प्रमाण हैं | दूसरी बात ये है कि कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों पर नियन्त्रण हो जाने से अब आतंकवाद का विकेंद्रीकरण पूरे देश में होने की  आशंका बढ़ रही है | हालिया दंगे इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोई न कोई संगठन इनके पीछे है | इनके अलावा देश के दूसरे हिस्सों में हिजाब जैसे विवाद भी सोची – समझी रणनीति का हिस्सा हैं | कुल मिलाकर बात ये है कि अलगाववाद का अभियान  सीमावर्ती राज्यों से निकलकर देश के भीतरी हिस्सों में फ़ैल चुका है | पत्थरबाजी रूपी जो नया हाथियार इन दंगों के दौरान देखने मिला वह अचानक जन्मा हो ऐसा नहीं है | दिल्ली में दो वर्ष पहले हुए दंगे में भी इसका उपयोग जमकर किया गया था | शाहीन बाग़ के आन्दोलन को विपक्षी दलों ने समर्थन देकर मुस्लिम चरमपंथ को प्रोत्साहित करने की जो गलती की उसके कारण उसका हौसला बुलंद हुआ | जिसका प्रमाण इन सभी वारदातों में पुलिस वालों पर हुए जानलेवा हमले हैं | खरगौन में तो पुलिस अधीक्षक  को ही गोली मारी गयी | ऐसे में दंगा करने वालों पर  बिना किसी दबाव के कठोर कार्रवाई करना जरूरी है  | इसके लिए बेहतर यही  होगा कि उन्हें  आतंकवादी माना जावे जिससे वे मामूली दंड पाकर बच न सकें  | दंगाइयों के घरों को ढहाए जाने के विरुद्ध तो  मुस्लिम संगठन सर्वोच्च न्यायालय की चौखट तक जा पहुंचे हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी ये मांग नहीं की कि पुलिस  पर हमला करने वालों को कड़ी सजा दी  जावे | जहांगीराबाद के दंगे में गोली चलाने वाले सोनू शेख ने अपना जुर्म कबूल भी कर लिया लिया है लेकिन मुस्लिम समाज की तरफ से उसके विरोध में एक भी  बयान नहीं आया |  उल्टे  उसे गिरफ्तार करने गये पुलिस कर्मियों पर अगल - बगल में रहने वाले मुस्लिमों ने पथराव किया जिससे साबित हो गया  कि वे सब दंगे में शरीक थे | दंगाइयों के घर तोड़े जाने के विरोध में मानवाधिकार का मसला उठाये जाने के साथ ही मुसलमानों के साथ पक्षपात किये जाने की  बातें की जा रही हैं | कश्मीर घाटी के पत्थरबाजों के विरुद्ध पैलेट गन का इस्तेमाल किये जाने पर भी इसी तरह की चिल्ल - पुकार मची थी | इसलिए जिस तरह आतंकवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाती है वैसी ही दंगाइयों पर नहीं होती तो पत्थरबाजी होती रहेगी | जड़ों को खोदने के बाद भी मठा डालने की चाणक्य नीति को लागू किया जाना समय की मांग है |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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