Thursday 28 April 2022

चौथी लहर की अनदेखी घातक होगी : बच्चों को संक्रमण से बचाना बड़ी चुनौती



कोरोना की चौथी लहर के संकेत आने लगे हैं | अनेक राज्यों ने मास्क न पहिनने पर अर्थदंड लगाना शुरू कर दिया है | चीन में तो कोरोना ने बुरी हालत कर रखी है | शंघाई में लाखों लोग घरों में बंद हैं | जरूरी चीजों के लिए मारामारी की भी खबर है | समाचार माध्यमों पर सरकारी नियन्त्रण होने से चूंकि सच्चाई दुनिया से छिपाई जाती है इसलिए वहां की अंदरूनी खबरें दबी रहती हैं | लेकिन ये बात बाहर आ चुकी है कि चीन कोरोना को जन्म देने के बाद उस पर नियंत्रण स्थापित करने में पूरी तरह विफल रहा है | उसकी बनाई वैक्सीन भी कारगर साबित नहीं हो सकी | इसीलिये उसकी वैश्विक स्तर पर कोई मांग नहीं हुई | कोरोना के बाद उसकी विश्वसनीयता पर भी प्रभाव पड़ा जिससे  कारोबारी सम्बन्ध रखने वाले देश उससे छिटके हैं | मौजूदा वर्ष में विकास दर को लेकर जो अनुमान लगाये जा रहे हैं उनके अनुसार चीन , भारत से पीछे रहेगा  | कोरोना की चौथी लहर उसे और पीछे धकेल  सकती है | वहीं भारत ने दूसरी लहर में जो देखा और भोगा उसके बाद हालात से लड़ने की समुचित रणनीति बनी जिसका लाभ ये हुआ कि 135 करोड़ लोगों में से अधिकतर का टीकाकरण बहुत ही सफलतापूर्वक किया जा सका | यही नहीं तो भारत में बनी कोरोना वैक्सीन पूरी दुनिया में उपयोग की गई | ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के  प्रयासों का भी सकारात्मक असर देखने मिला | इसीलिये ओमिक्रोन के रूप में आई तीसरी लहर का प्रभाव ज्यादा नहीं हुआ | देश में आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं में भी काफी वृद्धि हुई है | सबसे बड़ी बात ये हुई कि दवा उत्पादन में भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ाये जिसके परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में दवाओं का निर्यात होने लगा | इसकी मुख्य वजह कच्चे माल को तैयार करने में हासिल सफलता रही | यूक्रेन संकट के बाद से तो भारत के दवा उद्योग को दुनिया भर से आपूर्ति आदेश प्राप्त हो रहे हैं | कुल मिलाकर देखें तो स्थिति में 2020 की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है | यही  वजह रही कि ओमिक्रोन कब आया और कब चला गया ये पता ही नहीं चला | जिससे न सिर्फ आर्थिक अपितु सामाजिक गतिविधियाँ भी सामान्य होने लगीं | शादी एवं अन्य आयोजनों पर लगी बंदिशें हट जाने से भी आर्थिक जगत गतिशील हुआ | कुल मिलाकर ये लगने लगा था कि कोरोना के रूप में आया अभूतपूर्व संकट वापिस लौट चुका है | लेकिन यूक्रेन पर रूस के  हमले ने नई समस्या पैदा कर दी जिसके कारण दुनिया भर की आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो रही है | भारत की भूमिका इस संकट में और महत्वपूर्ण होने के संकेत मिले हैं | हमारा निर्यात तो बढ़ा ही है किन्तु इसके साथ ही कूटनीतिक जगत में भी भारत का मान  – सम्मान बढ़ा है | यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत द्वारा राजनयिक स्तर पर जिस तटस्थता का परिचय दिया उसके बाद अमेरिका और  उसके समर्थकों ने काफी दबाव बनाने की कोशिश की किन्तु वे हमको डिगा नहीं सके | आज के हालात में भारत ही उन चुनिन्दा देशों में है जिसका कमोबेश पूरी दुनिया के साथ संवाद कायम है | यूक्रेन संकट का समाधान तलाशने में भी हमारी  भूमिका पर दुनिया की  नजर है | लेकिन इस सबके बीच कोरोना की चौथी लहर की आमद ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं | बीते एक – दो सप्ताह के भीतर ही संक्रमण की गति में जिस तरह से वृद्धि देखने मिल रही है उसके मद्देनजर सावधानी न बरती गयी तब ज्यादा से ज्यादा लोगों के इसकी गिरफ्त में आने की सम्भावना रहेगी | यद्यपि कोरोना के दोनों टीके लग जाने के बाद ये माना  जाने लगा था कि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता ( हर्ड इम्युनिटी ) विकसित हो जाने की वजह से भारत अगले हमले से सुरक्षित रहेगा लेकिन ताजा अध्ययनों में ये बात साफ़ हुई है कि टीकों का असर काफी घटा है जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ा है | इसलिए ये आवश्यक हो गया है कि चौथी लहर को भयावह न होने दिया जावे जिसके लिये कोरोना से बचाव संबंधी सभी सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी है  , मसलन मास्क का उपयोग , हाथ धोते रहना और भीड़भाड़ से जितना हो सके दूरी बनाये रखना |  बुजुर्गों को बूस्टर डोज लगाये जाने के साथ ही बच्चों का टीकाकरण भी किया जा रहा है | अस्पतालों में बिस्तरों और ऑक्सीजन की उपलब्धता भी पर्याप्त है | इसके बावजूद कोरोना के नये  हमले से बचाव हेतु पूरी सतर्कता आवश्यक है क्योंकि इसका सीधा – सीधा असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा जो बमुश्किल पटरी पर लौटी है | कोरोना के पहले हमले के समय हम अनजान थे वहीं जब दूसरी लहर आई तब असावधानी  मुसीबत बन गई | तीसरी लहर आने तक देश के  साधारण नागरिक तक के  बचाव के प्रति जानकार होने की वजह से ओमिक्रोन ज्याद कुछ न कर सका और अर्थव्यस्था सुचारू रूप से चलती रही |  जनहानि भी न के बराबर  रही |  चौथी लहर का  चिंताजनक पहलू  ये है कि वह  बच्चों को भी चपेट में ले रही  है | सबसे बड़ी बात ये है कि वर्तमान में शालाएं खुली हुई हैं | कानपुर आईआईटी के शोधकर्ताओं  के अनुसार चौथी लहर आगामी अक्टूबर तक जारी रह सकती है | इसलिए जिन्हें दो टीके लग चुके हैं उन्हें भी लापरवाही से बचना चाहिए | साथ ही अभिभावकों और शाला संचालकों का दायित्व है कि वे बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवा दें | हर्ष का विषय है कि हमारे कोरोना प्रबंधन की पूरी दुनिया में तारीफ हुई है | 135 करोड़ की बड़ी आबादी वाले देश में  टीकाकरण अभियान निश्चित रूप से बेहद कठिन था | लेकिन उसका संचालन जिस कुशलता और सफलता के साथ हुआ उसकी पूरी दुनिया कायल है | बावजूद इसके चौथी लहर ने जो कोहराम चीन में मचा रखा है उसे देखते हुए भारत को अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है | बुद्धिमान व्यक्ति और देश वही होता है जो अतीत में  हुई गलतियोँ से सीखकर भविष्य को सुरक्षित बनाये | लेकिन इसके लिए जनता को भी सहयोग देना पड़ेगा | इस बारे में ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि भारत अब वैश्विक शक्ति बन चुका है | इस वजह से न सिर्फ पड़ोसी अपितु दूर - दराज के देश तक हमारी तरफ उम्मीद भरी निगाह से देखने लगे हैं | इसीलिये हमें चौथी लहर के प्रभाव को रोकने के लिए पूरी तैयारी रखनी होगी |  पिछली गलतियों  से सीखते हुए कोरोना से बचाव के सभी तौर – तरीकों का पालन करना समय की मांग है | बच्चों को संक्रमण से बचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है | उम्मीद की जा सकती  है कि छोटी – छोटी सावधानियां रखते हुए हम इस बड़े संकट पर विजय प्राप्त करने में एक बार फिर सफल होंगे |

- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment