Friday 22 April 2022

अतिक्रमण और अवैध निर्माण किसी का भी हो टूटना चाहिए



 दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हुए सांप्रदायिक उपद्रव के बाद नगर निगम द्वारा अतिक्रमण तोड़े जाने की कार्रवाई के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय ने परसों लगाये स्थगन को जारी रखा किन्तु एक अन्य याचिका के जरिये अन्य राज्यों में चलाये जा रहे बुलडोजरों को रोकने से इंकार कर दिया | दिल्ली के मामले में पेश की गई याचिका में जहां बिना पूर्व सूचना दिए अतिक्रमण तोड़ने की शिकायत है वहीं अन्य याचिका में सम्प्रदाय विशेष के अतिक्रमण तोड़ने का मुद्दा उठाया गया है | उ.प्र में योगी सरकार ने अपराधियों के अवैध निर्माण तोड़ने के लिए बुलडोजरों का जिस तरह इस्तेमाल किया वह हालिया विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना जिसने योगी सरकार की वापिसी में बड़ा योगदान दिया | उसके बाद म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बुलडोजर का सहारा लेकर प्रदेश भर में अतिक्रमण और अवैध निर्माण तोड़ने का सिलसिला शुरू किया | खरगौन में हुए  दंगों के बाद उपद्रवी तत्वों के ठिकानों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई | लेकिन योगी की तरह शिवराज सरकार पर भी ये आरोप लगने लगे कि वह भी धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रही है | इसे लेकर एक मुस्लिम  संगठन सर्वोच्च न्यायालय जा पहुंचा | इसी बीच दिल्ली की  जहांगीरपुरी बस्ती में दंगा हो गया और जब नगर निगम ने वहां बुलडोजर चलाया तो सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी | हालाँकि इस पर भी विवाद है कि न्यायालयीन आदेश के बावजूद बुलडोजर चलते रहे और ये भी कि मस्जिद का अतिक्रमण तो तोड़ दिया गया लेकिन ज्योंही बुलडोजर बीच रास्ते में बने मंदिर तक पहुंचा अदालती आदेश के नाम पर कार्रवाई रोक दी गई | सर्वोच्च न्यायालय ने समूचे घटनाक्रम का संज्ञान लेते हुए फ़िलहाल कार्रवाई रोकने का आदेश जारी रखा लेकिन अन्य राज्यों में अवैध निर्माणों को हटाने के लिए चल रहे बुलडोजरों को रोकने से साफ इंकार कर दिया | यद्यपि एक से मामले में दो व्यवस्थाएं देकर सर्वोच्च न्यायालय ने नई बहस को जन्म दे दिया परन्तु इस बहाने अतिक्रमण का राष्ट्रीय मुद्दा बन जाना अच्छी बात है | विचाराधीन याचिकाओं में मुख्य मुद्दा ये है कि बिना पूर्व सूचना दिए तोड़फोड़ की जा रही है और दूसरा ये कि मुसलमानों को ही चुन – चुनकर निशाना बनाया जा रहा है | अदालत इस बारे में जो अंतिम फैसला देगी वह राष्ट्रीय स्तर पर बंधनकारी होगा परन्तु  जहाँ तक बात अतिक्रमण अथवा अवैध निर्माण तोड़े जाने की है तो ये कहना पूरी तरह सही है कि ये राष्ट्रीय बीमारी बन गई है | घनी बस्तियों में झुग्गी बनाकर रहने वाले गरीब ही नहीं अपितु कालोनियों में रहने वाला  संपन्न वर्ग तक अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने में शान समझता है | ये बात भी स्वीकार करनी होगी कि इस प्रवृत्ति को विकसित  करने में सरकारी अमला भी सहायक होता है | सरकारी जमीनों पर होने वाले अतिक्रमण और  अवैध निर्माण बिना सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की जानकारी के  असंभव है | इसकी आड़ में जमकर भ्रष्टाचार भी होता है | ऐसे में प्रश्न ये है कि अतिक्रमण हटाये जाने पर राजनीति करना कहाँ तक जायज है ? दिल्ली में हुई कार्रवाई रोकने के लिए अदालत में खड़े वरिष्ट अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी ये तो स्वीकार किया ही कि अतिकमण राष्ट्रीय समस्या बन गया है | अब चूंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में है इसलिए उसके कानूनी पक्ष  पर टिप्पणी करना तो ठीक नहीं रहेगा , लेकिन चाहे  दुकान हो या मकान , यदि उसमें अतिक्रमण है तो उसे तोड़ा जाना निहायत जरूरी है | इस बारे में समाचार माध्यमों को भी संयम और समझदारी दिखानी चाहिए | मसलन सभी टीवी चैनल वाले अपने कैमरे लेकर जहांगीरपुरी जा पहुंचे और लोगों के साक्षात्कार दिखाकर उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न करने में जुटे हुए हैं | एक रिपोर्टर को ये कहते भी सुना गया कि अतिक्रमण तो दिल्ली के अन्य इलाकों में भी हैं तब केवल जहांगीरपुरी में ही बुलडोजर क्यों चले ? सवाल जायज है और विचारणीय भी क्योंकि न सिर्फ घनी बस्तियों अपितु मुख्य बाजारों के साथ ही विकसित आवासीय कालोनियों तक में अवैध निर्माण की भरमार है | जब कोई वारदात हो जाती है तब प्रशासन कुम्भकर्णी नींद से जागकर तोड़फोड़ करता है | रही बात पक्षपात की तो यदि अतिक्रमण या अवैध निर्माण टूट रहा है तब उसे धार्मिक दृष्टिकोण से देखना एक तरह से उसे समर्थन देना है | म.प्र के खरगौन में दंगों के बाद चले बुलडोजर ने हिन्दुओं और मुसलमानों के मकान गिराने में शायद ही पक्षपात किया हो | यहाँ तक कि प्रधानमन्त्री आवास योजना के अंन्तर्गत बना मकान भी गिरफ्त में आ गया | बेहतर हो राजनीतिक दल और  कथित मानवाधिकारवादी अपनी सोच को व्यापक रूप देते  हुए अतिक्रमण और अवैध निर्माण को अपराधिक प्रवृत्ति मानकर उसके विरुद्ध होने वाली कार्रवाई का समर्थन करें | जिस तरह रेल में बेटिकिट यात्रा कर रहे यात्री को पकड़े जाने पर उसका ये कहकर बचने का प्रयास बेमानी है कि ट्रेन में और भी बेटिकिट हैं , तब उसे ही क्यों पकड़ा जा रहा है ? ये सच है कि सामान्य  परिस्थितियों में शासन और प्रशासन अतिक्रमण और अवैध निर्माण तोड़ने की तरफ ध्यान नहीं  देते | लेकिन  जब भी ये मुहिम चलाई जावे उसका समर्थन करना चाहिए , ताकि दूसरों में ऐसा करने का साहस पैदा न हो | खरगौन और जहांगीरपुरी में  जिन निर्माणों पर बुलडोजर चलाये गये यदि वे अतिक्रमण और अवैध की श्रेणी में आते हैं तब  उनके मालिक किस मुंह से विरोध कर रहे हैं ? रही बात पूर्व सूचना की तो दुकानों के सामने रखा सामान और टीन शेड हटाने के लिए उसकी आवश्यकता ही नहीं होती | आज जो लोग मुसलमानों के समर्थन में घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं उन्होंने कभी जहांगीरपुरी या उस जैसी किसी दूसरी बस्ती में जाकर देखा कि वे किस हालत में रहते हैं ? दिल्ली में हुए दंगे के बाद संचार माध्यमों के जरिये प्रभावित बस्ती के जो चित्र देखने मिल रहे हैं उनमें सड़कों पर कबाड़ के ढेर लगे हुए हैं क्योंकि पूरे इलाके में बहुत से कबाड़ी रहते हैं | जितनी भी दुकानें हैं सभी ने सडक पर कुछ न कुछ जगह घेर रखी थी | यहाँ तक कि जिस मस्जिद के सामने फसाद की शुरुवात हुई उसका भी बाहरी हिस्सा अवैध रूप से बनाया गया था वहीं  मन्दिर भी बीच सड़क पर है | खरगौन की जिस मुस्लिम बस्ती में बुलडोजर चले उसकी हालत भी ऐसी ही है | देश भर में जहां भी इस तरह की घनी बस्तियां हैं उन सभी में इसी तरह की दुर्दशा देखी जा सकती है | प्रधानमन्त्री आवास योजना के अंतर्गत यहाँ के लोगों का पुनर्वास कर उनका जीवन स्तर सुधारने का प्रयास भी चल रहा है | लेकिन राजनेताओं को अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने वालों को समर्थन और संरक्षण देना बंद करना होगा | अन्यथा ये समस्या कभी हल नहीं होगी | अतिक्रमण और अवैध निर्माण को भी मजहब से जोड़ना इन बुराइयों को बढ़ावा देना ही है | गलत काम गलत ही होता है , चाहे हिन्दू करे या मुसलमान |

- रवीन्द्र वाजपेयी


 

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