Saturday 2 April 2022

सरकार की बढ़ रही कमाई जनता को मिल रही महंगाई



वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर जीएसटी संग्रह का जो मासिक आँकड़ा आया वह अब तक का उच्चतम है | मार्च में 1.42 लाख करोड़ रु. की राशि इस मद में आने का साफ़ संकेत है कि अर्थव्यवस्था तेज रफ़्तार में दौड़ने लगी है | पेट्रोल , डीजल के अलावा बिजली की खपत में वृद्धि से भी ये माना जा रहा है कि उपभोक्ता वर्ग की मांग पुरानी रंगत पर लौट आई है | ऑटोमोबाइल उद्योग विशेष रूप से कारों की बिक्री में बीते कारोबारी साल जिस तरह की वृद्धि हुई उसने निराशा दूर कर दी है वहीं मकानों की खरीदी में भी आशाजनक उछाल आया है | आयकर की वसूली भी लक्ष्य पार कर गई | सबसे सुखद बात ये है कि देश का निर्यात लगातार बढ़ता जा रहा है | कृषि क्षेत्र ने तो कोरोना काल में भी रिकॉर्ड उत्पादन करते हुए अपना जबरदस्त योगदान दिया | इन सब आधारों पर ये कहा जा सकता है कि कोरोना की काली छाया अब छंट चुकी है और भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन आ गए हैं | वैश्विक परिस्थितियाँ भी इसमें अच्छा खासा योगदान दे रही हैं | कोरोना काल में जब  तमाम विकसित देश आर्थिक सम्पन्नता के बावजूद असहाय नजर आ रहे थे तब भारत अपनी 135 करोड़ आबादी के लिये दोनों समय भोजन का इंतजाम करने में सफल रहा | औसत दर्जे की चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद मृत्युदर में आनुपातिक कमी के साथ रिकॉर्ड समय में कोरोना के टीके तैयार कर पूरी दुनिया में अपनी धाक और साख में आशातीत वृद्धि करने के साथ  उसने ये साबित कर दिया कि हम एक जिम्मेदार देश हैं जो मानवता पर आये भीषण संकट के समय पूरी दुनिया की मदद करने के लिए सामने आये | यही वजह रही कि चीन ने जहां विश्वसनीयता गंवाई वहीं  भारत के प्रति दुनिया का नजरिया सकारात्मक होता गया | जिसका प्रमाण ये है कि जब  समूचा विश्व लॉक डाउन के चपेट में सुस्त पड़ा था तब विदेशी निवेशक भारत के पूंजी बाजार में पैसा लगाने आगे आ रहे थे | यूक्रेन संकट के बाद हमारे देश से गेंहू का निर्यात बढ़ने के कारण किसानों को भी अप्रत्याशित लाभ हो रहा है | लेकिन उसके पहले  ही हमने चावल निर्यात में चीन को पीछे छोड़ने का कारनामा कर दिखाया | देश में राजमार्ग , फ्लायओवर  पुल , हवाई अड्डे , रेलवे स्टेशन आदि का काम जिस तेजी से चल रहा है उसकी वजह से भी अर्थव्यवस्था को पंख लग गये हैं | इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ कि   परिवहन की नई संस्कृति ने जन्म लिया जिसका प्रमाण टोल टेक्स से  दैनिक वसूली में निरंतर हो रही वृद्धि है | बीते साल भारत ने घरेलू उड्डयन क्षेत्र में जो तरक्की की वह एक क्रन्तिकारी कदम साबित हुआ है | हवाई यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि बदलते भारत का प्रमाणपत्र है | देश में यातायात का सबसे प्रमुख और सुलभ साधन रेल है | कोरोना काल में जब सब कुछ ठहरा हुआ था तब भारतीय रेल ने अपनी अधोसंरचना में अकल्पनीय सुधार करते हुए नई रेल लाइनें बिछाने के साथ ही पुराने पुलों के सुधार का काम भी सफलतापूर्वक कर डाला | विद्युतीकरण के तमाम लंबित प्रकल्प इस अवधि में पूरे किये जाने से रेल परिवहन में समयानुकूल सुधार संभव हो सका है | रेलवे स्टेशनों का उन्नयन करते हुए उनमें जनसुविधाओं का विकास भी उल्लेखनीय है | इन सबकी वजह से आम भारतीय का हौसला बुलंद हुआ और कोरोना की काली छाया हटते ही हर क्षेत्र में तेज गति से काम शुरू हो गया | आईटी सेक्टर में हमारी वैश्विक उपस्थिति पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गई है | रोजगार में आई गिरावट के कारण देश भर में जबरदस्त गुस्सा व्याप्त था लेकिन अर्थव्यवस्था के रफ़्तार पकड़ते ही इस क्षेत्र में भी सुधार परिलक्षित होने लगा है | कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि कोरोना काल के पहले जो हालात थे उनसे बेहतर स्तर पर हाल ही में विदा हुए  वित्तीय वर्ष में देश आ पहुंचा है |  लेकिन इसके साथ ही महंगाई आर्थिक विकास का वह नकारात्मक पक्ष है जिसकी वजह से आम जनता परेशान है | कोरोना काल में केंद्र सरकार ने जिस तरह गरीबों के लिए निःशुल्क अनाज की व्यवस्था की वह बेहद कारगर रही और उसकी वजह से देश अराजकता की चपेट में आने से बच गया , वरना जो स्थिति आज श्रीलंका में है वैसी ही हमारे देश में भी बन सकती थी |  बीते दो साल में  अकल्पनीय परेशानियों के बावजूद देश की जनता सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही | सरकार ने भी जितना बन सका किया लेकिन कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद आम जनता के दैनिक उपयोग में आने वाली चीजों के दाम जिस तरह बढ़ते जा रहे हैं उससे  घरेलू बजट गड़बड़ा गया है | पेट्रोल – डीजल और रसोई गैस के दाम लगभग छह माह तक स्थिर रखे जाने के बाद  रोजाना बढ़ने लगे हैं | यूक्रेन संकट  की वजह से मची वैश्विक उथल पुथल की वजह से आर्थिक क्षेत्र में जबरदस्त अनिश्चितता है | बीते एक माह में ही  महंगाई ने जिस प्रकार से छलांग लगाई वह अप्रत्याशित भले न हो लेकिन असुविधाजनक तो है ही | ऐसे में केंद्र सरकार को ये देखना चाहिए कि वह मूल्य वृद्धि से परेशान समाज के उस वर्ग की दिक्कतों को दूर करने के लिए क्या करे जो ईमानदारी से कर चुकाने के बावजूद भी सरकारी योजनाओं का लाभार्थी नहीं है | हाल ही में सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता जिस तरह बढ़ा दिया उसी तरह शेष  जनता को राहत देने के बारे में उसे गम्भीरता से सोचना चाहिए | इस बारे में उल्लेखनीय  ये है कि हमारे देश के लोगों में जबरदस्त सहनशक्ति है | दूसरी बात ये है कि मौजूदा समय में कांग्रेस के बहुत कमजोर होने से राष्ट्रीय स्तर पर सरकार का विरोध नजर नहीं आता | जिन राज्यों में गैर भाजपा सरकारें हैं वे भी महंगाई के मुद्दे पर केंद्र को घेरने का साहस इसलिए नहीं दिखा पा रहीं  क्योंकि पेट्रोल – डीजल पर भारी – भरकम टैक्स लगाकर वे भी आम उपभोक्ता पर बोझ बढ़ाने से बाज नहीं आतीं | पेट्रोल –डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाने के लिए इसीलिये कोई भी राज्य तैयार नहीं है | हाल  ही में संपन्न पांच राज्यों के चुनावों में भाजपा को जो सफलता मिली वह मतदाताओं की उदारता और व्यापक दृष्टिकोण का परिचायक है | लेकिन इसे स्थायी समर्थन नहीं माना जा सकता | अतीत में भी ऐसा देखा गया है जब मतदाताओं की राय कुछ महीनों बाद हुए चुनावों में पूरी तरह बदल गयी |  ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार को चाहिए कि वह गैर लाभार्थी वर्ग के लोगों  को भी राहत देने के प्रयास करे जिसकी बचत बीते दो वर्ष में कोरोना की भेंट चढ़ गयी | जब तक सरकार के अपने खजाने में आवक कम थी तब तक तो किसी भी प्रकार की अपेक्षा करना गैरवाजिब था लेकिन जब जीएसटी संग्रह सर्वकालिक ऊंचाई को छूने लगा है और आर्थिक मोर्चे से लगातार सुखद समाचार आ रहे हों तब महंगाई से हलाकान जनता के चेहरों पर मुस्कान लौटाने का प्रयास भी ईमानदारी से होना चाहिए | इस बारे में ये बात केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को ध्यान रखनी होगी कि उनकी जिम्मेदारी केवल उनके कर्मचारी ही नहीं बल्कि पूरी जनता है | 

-रवीन्द्र वाजपेयी

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