Monday 6 May 2019

सर्वसम्मत निष्कर्ष : कांग्रेस को बहुमत नहीं

19 मई को अंतिम चरण का मतदान होने के बाद एग्जिट पोल के नतीजों से 23 मई  को आने वाले परिणामों का हल्का सा संकेत मिल जायेगा लेकिन बीते दो-तीन दिनों से शीर्ष स्तर पर राजनीतिक नेताओं के जो बयान आ रहे हैं उनसे पता चलता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों को एग्जिट पोल एजेंसियों ने अब तक हुए चार चरणों के मतदान के रुझानों से अवगत करवा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सपा-बसपा गठबंधन को लेकर किये कटाक्ष के बाद अखिलेश यादव द्वारा कांग्रेस पर सपा और देश को धोखा देने जैसे आरोप के साथ 23 मई को प्रधानमंत्री पद हेतु समर्थन का निर्णय जैसे बयान निरुद्देश्य नहीं हैं। गत दिवस अखिलेश ने एक टीवी चैनल से बतियाते हुए यहाँ तक कह दिया कि उनकी इच्छा है अगला प्रधानमन्त्री भी उप्र से ही बने और यदि श्री मोदी प्रधानमन्त्री बनते हैं तब वे उन्हें रोकने का प्रयास नहीं करेंगे बल्कि स्वागत करेंगे। दूसरी तरफ  बसपा प्रमुख मायावती ने सपा द्वारा उनका उपयोग करने संबंधी श्री मोदी की टिप्पणी को महागठबंधन में फूट डालने की कोशिश बता डाला। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गत दिवस प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए यहाँ तक कह दिया कि उनकी सत्ता जाने वाली है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ये कहकर चौंका दिया कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटें लाने में विफल रहेगी। श्री सिब्बल का आकलन है कि भाजपा की सीटें घटकर 160 तक आ जायेंगी। इस प्रकार एक बात पर तो आम सहमति बनती दिख रही है कि कांग्रेस का बहुमत आने की कोई सम्भावना नहीं है। श्री सिब्बल के पहले राकांपा नेता शरद पवार और मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सार्वजानिक तौर पर मान चुके हैं कि कांग्रेस 272 का जादुई आंकड़ा जुटाने में किसी भी सूरत में सफल होती नहीं दिख रही। श्री पवार ने उसे 100 सीटों से ज्यादा मिलने की बात तो कही लेकिन राहुल गांधी के प्रधानमन्त्री बनने की गुंजाईश से भी इंकार कर दिया। श्री पवार और कमलनाथ दोनों ने भाजपा को बहुमत नहीं मिलने के दावे भी किये किन्तु वे दोनों कांग्रेस को मिलने  वाली सीटों को लेकर कोई ठोस अनुमान लगाने में विफल रहे। इसी तरह श्री सिब्ब्ल ने भी भाजपा की सीटों में गिरावट के साथ ही उसे 160 पर लाकर खड़ा कर दिया लेकिन वे भी ये बताने का साहस नहीं बटोर सके कि कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगीं? अभी तक जितने भी चुनाव पूर्व सर्वे आये उनमें किसी ने भी कांग्रेस को बहुमत तो दूर 150 तक पहुँचने की संभावना तक नहीं जताई। राहुल गांधी भी मोदी सरकार के जाने के दावे तो आये दिन करते सुने  जाते हैं लेकिन उन्होंने भी सीना ठोककर अपनी पार्टी के बहुमत को लेकर कोई दावा अब तक नहीं किया। हालांकि सभी विपक्षी पार्टियां ये कयास लगा रही हैं कि एनडीए का बहुमत आने पर भी भाजपा यदि बहुमत से बहुत पीछे रही तब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन सकेंगे और कहीं एनडीए भी बहुमत से थोड़ा दूर रहा तब समर्थन देने वाली पार्टियां भी श्री मोदी की जगह किसी और को ही पसंद करेंगी। यहाँ तक कि उद्धव ठाकरे और नीतिश कुमार जैसे सहयोगी भी चाहेगे कि श्री मोदी जैसे कड़क व्यक्ति की बजाय स्व.अटल जी जैसा कोई सौम्य प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो। भाजपा नेता डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी हालिया एक बयान में तदाशय की राय व्यक्त की थी। लेकिन आज चुनाव के पांचवें चरण का मतदान होने तक चुनाव विश्लेषकों, राजनीतिक नेताओं, ज्योतिषियों और यहां तक कि सटोरियों के हवाले से भी जो कहा जा रहा है उसके मुताबिक ये सुनिश्चित है कि कांग्रेस को बहुमत तो दूर रहा वह सबसे बड़े दल के रूप में भी उभरने की स्थिति में नहीं है और यही भाजपा के आत्मविश्वास का आधार बन गया है। अब की बार 300 पार और फिर एक बार मोदी सरकार जैसे नारे भले ही चुनावी प्रचार के मन्तव्य से गढ़े गये हों लेकिन कांग्रेस को जब खुद ही अपने बहुमत का भरोसा नहीं रहा तब मतदाता भला क्यों उसे उपकृत करेंगे ये इस चुनाव का बड़ा सवाल बन गया है। उप्र की रायबरेली और अमेठी सीटों पर क्रमश: सोनिया गांधी  और राहुल का समर्थन करने के बाद भी  मायावती और अखिलेश यादव द्वारा बिना राहुल का नाम लिए कांग्रेस पर तीखे हमले करना ये दर्शाता है कि उन्हें भी भरोसा हो गया है कि कांग्रेस के बहुमत की दूरदराज तक कोई उम्मीद नहीं है। श्री मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने में बाधा नहीं बनने और उप्र से ही प्रधानमंत्री होने जैसी बातें ये साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि गैर कांग्रेसी विपक्ष भी इस चुनाव में कांग्रेस के पुनरोदय की उम्मीद छोड़ चुका है। स्मरणीय है लोकसभा की अंतिम बैठक में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमन्त्री बनने की शुभकामनाएं देते हुए यहाँ तक कह दिया था कि विपक्ष में तो कोई दम नहीं है। उस भाषण को विदाई के अवसर पर प्रदर्शित की जाने वाली भावनात्मक सौजन्यता कहकर उपेक्षित करने का प्रयास भी किया गया किन्तु एक अनुभवी और शातिर राजनेता के तौर पर श्री यादव ने एक तरह से चुनाव परिणाम का पूर्वानुमान संसद में पेश कर दिया था। आज के मतदान के बाद 12 और 19 मई को दो चरणों का मतदान और होगा लेकिन कांग्रेस के बहुमत की सम्भावना लड़ाई खत्म होने के पहले ही समाप्त हो जाने का मनोवैज्ञानिक असर उन मतदाताओं पर भी पड़े बिना नहीं  रहेगा जो कांग्रेस में श्री मोदी का विकल्प ढूंढ रहे थे।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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