Saturday 25 May 2019

जो कहा करके दिखाओ : अब नहीं चलेगा बहाना

बीते पांच साल तक नरेंद्र मोदी हर समस्या के लिए नेहरु जी से लेकर मनमोहन सरकार तक पर दोषारोपण करते रहे । 2014 के चुनाव प्रचार में उन्होंने 60 महीने मांगे थे देश की दशा और दिशा ठीक करने के लिए। उसके बाद उन्होंने जितना किया और जितना नहीं कर पाए वह सब लोगों के सामने है। उनकी उपलब्धियों, विफलताओं और उनके लिए बनाये गये बहानों पर जनता ने आँख मूंदकर भरोसा किया और जैसा उनने स्वयं कहा कि फकीर की झोली भर दी। 303 सीटों के विशाल बहुमत के साथ 21 वीं सदी के सबसे ताकतवर नेता के तौर पर उनका उभरना एक बड़ी घटना है। लेकिन इस ऐतिहासिक सफलता ने श्री मोदी से उम्मीदें और अपेक्षाएं भी उतनी ही बढ़ा दी हैं। अब न वे कांग्रेस के 50 साल के शासन को कोस सकेंगे और न ही सहयोगी दलों के दबाव को ढाल बनाकर बच निकल सकेंगे। पिछला कार्यकाल उन्हें प्रशिक्षु के तौर पर मिला था लेकिन अब वे पूरी तरह देश के सत्ता संचालन में अनुभवी हो चुके हैं। सरकार की क्षमता और कमियों दोनों का उन्हें ज्ञान हो गया होगा। अपने साथी मंत्रियों और सांसदों की काबलियत भी उन्होंने परख ली होगी। भाजपा संगठन के भीतर कोई चुनौती उनके सामने नहीं है। जनमानस मोदी मैजिक से अभिभूत है। वैश्विक परिदृश्य सर्वकालीन अनुकूल है। आर्थिक हालात बहुत अच्छे न होते हुए भी नियन्त्रण में हैं, जिन कड़े निर्णयों की वजह से बीते कुछ साल तक प्रधानमंत्री को आम जनता और व्यापारी विरोधी प्रचारित किया गया उनके अच्छे परिणाम आने का समय आ गया है। विपक्ष भी किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करने की स्थिति में नहीं बचा। सरकार की स्थिरता के साथ ही राज्यसभा में बहुमत की किल्लत लगभग खत्म हो चुकी है। नवीन पटनायक और जगन रेड्डी जैसे नए साथी एनडीए की ताकत और बढ़ा सकते हैं वहीं नीतीश कुमार और उद्धव ठाकरे जैसे सहयोगी टांग अड़ाने की हैसियत खो चुके हैं। पार्टी में डांटने फटकारने वाले बुजुर्गों का युग समाप्तप्राय है। रास्वसंघ भी मोदी मैजिक की आभा से चकाचौंध में है। शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी अप्रासंगिक होकर रह गए। ये सब देखते हुए अब श्री मोदी को वह सब करके दिखाना होगा जिसके लिए देश की जनता ने केवल अपना मत नहीं वन विश्वास उन्हें सौंपा है। चुनाव परिणाम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में उन्होंने सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विश्वास भी जोड़ दिया और यही उनके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए उन्हें ये साबित करना होगा कि वे इस विश्वास की रक्षा करेंगे। राष्ट्रवाद एक चुनावी मुद्दा बनकर न रह जाए ये देखना जरूरी है। मोदी है तो मुमकिन का नारा वास्तविकता में बदलना ही दूसरी पारी की सफलता की कसौटी बनेगा।

-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment