सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राफैल सौदे पर कही गई बात को गलत ढंग से उद्धृत करने पर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर अवमानना का जो प्रकरण दर्ज करवाया उसको लेकर श्री गांधी जिस तरह का आचरण कर रहे हैं वह गैर जिम्मेदाराना भी है और बचकाना भी। सर्वोच्च न्यायालय उनसे लगातार गलत बयानी का आधार पूछ रहा है। लेकिन गलती का एहसास हो जाने के बाद भी श्री गांधी माफी मांगने की बजाये खेद व्यक्त करते रहे । उनके इस व्यवहार से क्षुब्ध होकर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई तक ने उनके अधिवक्ता को लताड़ लगाई । प्रारंभिक सफाई में श्री गांधी ने ये कहते हुए बात हवा में उड़ाने की कोशिश की कि चुनाव की तनातनी के बीच जोश में उनके मुंह से निकल गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी चौकीदार को चोर माना है। लेकिन जब श्रीमती लेखी ने उनको न्यायालय की अवमानना के मामले में घेरा तब उन्होंने खेद जताकर सस्ते में बच निकलने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी । इधर अपनी सभाओं में वे चौकीदार चोर है का नारा लगवाते रहे । जब न्यायालय ने खेद को अपर्याप्त बताया तब उन्होंने दोबारा हलफनामा देकर फिर खेद जता दिया । उनका ये रवैया इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि इतना लंबा समय राष्ट्रीय राजनीति में व्यतीत करने के बाद भी वे सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना महसूस करने के बाद भी माफी मांगने के प्रति ढीठ बने हुए हैं । गत दिवस पत्रकारों ने जब इस सम्बन्ध में उनसे पूछना चाहा तब वे वहां उपस्थित समर्थकों से भी चौकीदार चोर है के नारे लगवाने के बाद मुस्कराते हुए आगे बढ़ गए । कल उनके अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को सर्वोच्च न्यायालय में जमकर डांट पड़ी तब जाकर उन्होंने 6 मई को संशोधित हलफनामा पेश करने का आश्वासन दिया जिसमें विधिवत माफी मांगी जाएगी । राफैल सौदे को राहुल ने अपने चुनाव अभियान में प्रमुख हथियार बना रखा था । हालांकि वे अभी तक इसे जनता के दिमाग में उतार नहीं सके लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि इशारों में ही सही प्रधानमंत्री को चोर कहलवा के वे अपने को धारदार नेता साबित कर लेंगे । हालांकि कुछ दिनों से वे न्याय योजना को भी उछालकर मतदाता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। हर गरीब परिवार को सालाना 72 हजार देने का वादा किया जा रहा है। यह काँग्रेस और श्री गांधी का इस लोकसभा चुनाव में ट्रम्प कार्ड है। तकरीबन 20-25 करोड़ वोटर इस योजना का लाभ ले सकेंगे। उनका झुकाव कांग्रेस की ओर हो गया होगा तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं। चार चरण में कहीं भारी, कहीं कम मतदान हुआ है। तीन दौर वोटिंग का अभी बाकी है। शायद इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष सीधे-सीधे माफी मांगने से कतरा रहे हैं। उन्हें पता होगा कि अगर जैसा सुप्रीम कोर्ट कह रहा है वैसा कर लिया गया तो फिर मामला उलट जायेगा। वे संदेह के घेरे में आ जायेंगे। राफेल पर उनका आरोप भी हल्का हो सकता है। यही कारण है कि श्री गांधी माफी शब्द के इस्तेमाल से बचने की कोशिश कर रहे थे जो असफल साबित हुई। वैसे श्री गांधी यह जताने का प्रयास भी कर रहे हैं कि चौकीदार वे बोलते हैं तो जनता खुद ब खुद चोर है बोल देती है। हो सकता है कि 6 मई को राहुल गांधी माफी मांग लें। बहरहाल जो भी हो कांग्रेस या राहुल गांधी इस चुनाव में राफेल के साथ-साथ नोटबंदी, जीएसटी, कथित बेरोजगारी, महंगाई तथा अन्य आम जनता से जुड़े मुद्दे उठाते तो उन्हें ज्यादा फायदा होता। और भी मुद्दे ऐसे रहे जिन पर मोदी सरकार को घेरा जा सकता रहा। गांव-देहात तो छोडिय़े शहर के लोग भी राफेल के बारे में ज्यादा नहीं जानते। फिर अभी तक कोई ऐसा सबूत सामने नहीं आया है जो प्रधानमंत्री को दोषी ठहराता हो। शुरूआत से ही श्री गांधी अगर अपनी अति महत्वकांक्षी योजना न्याय पर फोकस करते तो इसका बहुत कुछ फायदा कांग्रेस को मिलता। 15 लाख के मुकाबले 72 हजार को पेश किया जाता तो गरीब तबका ज्यादा प्रभावित होता। हिन्दुस्तान का मतदाता माल-ए-मुफ्त दिल-ए-बेरहम का आदी हो गया है। उसे सबकुछ फ्री में चाहिए। राफेल के मोह में फंसकर राहुल गांधी अपनी भिनिष्टा करा बैठे।
-रवीन्द्र वाजपेयी
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