Monday 23 December 2019

मुस्लिम समाज के लिए गम्भीर चिंतन का समय



नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध का शोर कुछ धीमा पड़ते ही उनके समर्थन में भाजपा भी खुलकर मैदान में आ गई। गत दिवस राजधानी दिल्ली सहित देश के अनेक हिस्सों में समर्थन रैलियां हुईं। दिल्ली में तो खुद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा सम्भाला। संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद भाजपा विजयोल्लास में डूबी रहे लेकिन उसी दौरान विपक्षी दलों ने चौतरफा मोर्चा खोल दिया। मुस्लिम सामुदाय को इतना ज्यादा डरा दिया गया कि वह अनेक शहरों में हिंसक हो उठा। कुछ दिनों तक तो ऐसा एहसास भी हुआ मानो पूरा देश अशांत है। भाजपा और केंद्र सरकार दोनों के लिए ये अप्रत्याशित हमला था। दरअसल तीन तलाक, अनुच्छेद 370 और फिर राम जन्मभूमि विवाद के शान्ति से निबट जाने के बाद भाजपा के रणनीतिकारों को लगने लगा था कि उनकी राह से सभी अवरोधक हट गए हैं। बात गलत भी नहीं थी। लेकिन सीएए की प्रतिक्रिया बेहद उग्र हो गयी। मुस्लिम समुदाय शायद इतना आक्रामक न हुआ होता लेकिन विपक्ष को भी लगा यदि इस मुद्दे पर भी वह हारकर बैठा रहा तब वह भविष्य में चुनौती देने लायक नहीं बचेगा और इसी रणनीति के अंतर्गत उसने इतना जयादा हल्ला मचाया कि मुसलमान उत्तेजित हो उठे। उनके बीच ये भावना फैली कि भाजपा उन्हें चौतरफा घेर रही है। लगातार ऐसे फैसले लिए गये जिनका निशाना  मुस्लिम समुदाय ही माना गाया। हालांकि उक्त सभी भाजपा के चिरपरिचित और मूलभूत मुद्दे रहे हैं लेकिन इतनी जल्दी-जल्दी उन पर अमल किये जाने से विपक्षियों को लगा कि उन्हें ही कुछ करना चाहिए वरना वे जनता की नजर में अप्रासंगिक होकर रह जायेंगे। चूंकि संसद में भाजपा ने बड़ी ही चतुराई से उनकी एकता में सेंध लगा दी इस वजह से उनकी हताशा और बढ़ गई। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में राज्यसभा में बहुमत नहीं होने से सरकार को अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। लेकिन इस बार संख्याबल के लिहाज  से वह पूर्वापेक्षा बेहतर स्थिति में है और कुछ क्षेत्रीय दलों द्वारा भी उसकी मदद करने सहमत हो जाने से संदर्भित संवेदनशील मुद्दों पर सरकार का आत्मविश्वास प्रबल हुआ। अनुच्छेद 370 हटाने का विधेयक पहले राज्यसभा में प्रस्तुत करने से ही ये संकेत मिल गया था कि सत्ता पक्ष के हौसले काफी बुलंद हैं। लगातार भाजपा ने जब संसद में ऐसे विषय मंजूर करवा लिए जिनके लिए उसके समर्थक तक उसे उलाहना दिया करते थे तब विपक्ष में चिंता  बढ़ी और उसने मुस्लिम समुदाय के बीच घबराहट पैदा कर दी जिसका परिणाम बीते सप्ताह देश भर में हुआ विरोध था। लेकिन मुस्लिम समुदाय द्वारा किया गया विरोध हिंसात्मक हो गया। इसके पीछे सुनियोजित षडयंत्र के प्रमाण भी मिलने लगे हैं। जिस तरह से पत्थरबाजी, आगजनी और अन्य उपद्रव हुए वे तात्कालिक नहीं हो सकते। इस सबसे ये एहसास मजबूत होने लगा कि देश का जनमानस सीएए और एनआरसी के घोर खिलाफ  है। अंतत: आक्रमण ही सर्वोत्तम  सुरक्षा के सिद्धांत का पालन करते  हुए भाजपा ने भी अपने सेनापति और अन्य सरदारों को पलटवार हेतु सामने किया। प्रधानमन्त्री ने दिल्ली की रैली में सीएए को लेकर व्याप्त भ्रांतियां दूर कीं वहीं एनआरसी को लेकर भी स्पष्ट कर दिया कि वह अभी दूर है। उन्होंने भारतीय मुस्लिम समुदाय को आश्वस्त भी किया कि वे भयभीत न हों। इसी के साथ श्री मोदी ने विपक्ष को भी जमकर लताड़ा। भाजपा आगामी कुछ दिनों के भीतर देश भर में एक हजार के करीब रैलियां आयोजित करते हुए सीएए तथा एनआरसी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करेगी। गत दिवस जहां-जहां भी उसकी रैलियां हुई वहां-वहां अच्छी खासी भीड़ उमड़ी। सबसे बड़ी बात ये थी कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं सुनाई दी। इसके पहले जो तीन बड़े फैसले लिए गये उनके सम्बन्ध में भाजपा और सरकार को मैदान में आकर स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन इस मामले में सत्तापक्ष के सामने जीत के बाद भी रक्षात्मक होने की जरूरत इसलिए आ पड़ी क्योंकि संसद में उसका साथ देने वाली पार्टियां भी बाहर सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही है। पहले उड़ीसा में बीजद सरकार ने अपने राज्य में इसे लागू करने से इनकार कर दिया और बाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उसी दिशा में चल पड़े। शिवसेना ने लोकसभा में खुलकर साथ दिया लेकिन राज्यसभा में वह मतदान से दूर हो गयी। और अब उद्धव ठाकरे भी कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में केंद्र के फैसले के विरुद्ध खड़े हो गए। समाज का एक जिम्मेदार तबका प्रधानमन्त्री से अपेक्षा कर रहा था कि वे देश के सामने स्थिति स्पष्ट करें। संभवत: उन्हीं सबके कारण भाजपा भी मैदान में आकर मोर्चे पर डटी। गत दिवस श्री मोदी ने जिस तरह खुलकर मुसलमानों को आश्वस्त किया उसके बाद उन्हें अपने भ्रम दूर कर विपक्ष की चालों से बचना चाहिए जिसने उनके कंधों पर रखकर बंदूक चलाई जिससे पूरे देश में उनके विरुद्ध धु्रवीकरण हो गया। मुस्लिम समाज के लिये वर्तमान समय बेहद महत्वपूर्ण है। उसे गम्भीरता के साथ चिंतन करना चाहिए क्योंकि जरा सी गलती उसका बड़ा नुकसान  कर सकती है। समय के साथ चलते  हुए उसे अपनी नौजवान पीढ़ी को पत्थर फेंकने की बजाय शिक्षा की तरफ  मोडऩा चाहिए। 21 वें सदी में 18 वीं सदी की सोच के चलते तरक्की की कल्पना करना बेकार है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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