Wednesday 4 December 2019

महिला सुरक्षा : जो भी जरूरी हो किया जाये



आग लगने के बाद कुआ खोदने वाली कहावत हमारे देश में सबसे अच्छी तरह से चरितार्थ होती है। गत दिवस सोशल मीडिया पर उप्र के हरदोई शहर से एक अच्छी खबर आई। रात में सड़क पर अकेले जा रही एक युवती को देखकर गश्त पर निकले पुलिस अधीक्षक ने अपनी गाड़ी रोककर उससे बात की और तब पता चला कि वह एक होटल में कर्मचारी है और अपनी पारी खत्म होने के बाद घर लौट रही थी। पुलिस अधीक्षक फौरन उक्त होटल गए और उसके प्रबंधन को फटकारते हुए आदेश दिया कि रात में किसी महिला कर्मचारी के घर लौटने की स्थिति में उसे सुरक्षित घर पहुंचाने हेतु वाहन उपलब्ध करवाया जावे। हालांकि होटल मालिक इस आदेश का कितना पालन करेंगे ये कह पाना कठिन है लेकिन छोटी सी यह खबर किसी अच्छी व्यवस्था की शुरुवात बन सकती है। वैसे कॉल सेंटर, एयर लाइंस, टीवी चैनल सहित सितारा होटलों में रात को घर लौटने वाले कर्मचारियों, खास तौर पर महिला कर्मियों के लिए ऐसी सुविधाएँ हैं लेकिन कम आय वाली नौकरियों में इस तरह की बात सोचना भी सपना है। बहरहाल हरदोई की उक्त घटना के बाद गत दिवस पंजाब सरकार ने भी कुछ फोन नम्बरों की जानकारी देते हुए ये आदेश जारी कर दिया कि रात्रि में किसी अकेली महिला का फोन आने पर उसको पुलिस वाहन में घर छोडऩे की व्यवस्था की जावे। निश्चित रूप से ये एक आदर्श स्थिति होगी जिससे पुलिस की छवि सुधरने के साथ ही शासन और प्रशासन में आम जनता का भरोसा बढ़ेगा। एक टीवी चैनल की पत्रकार ने गत रात्रि लखनऊ में कुछ घंटे विभिन्न बस स्टाप वगैरह पर गुजारने के बाद अपने जो अनुभव सुनाये उनके मुताबिक उसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कहीं भी पुलिस नहीं दिखाई दी। पास खड़े पुरुषों द्वारा अभद्र टिप्पणियाँ भी उसे सुननी पडीं। हैदराबाद की घटना के बाद देश भर में महिलाओं की जो रोषपूर्ण प्रतिक्रियाएं सुनाई दे रही हैं उनमें पुलिस व्यवस्था में कमी की शिकायत भी आम है। इसका दूसरा पहलू ये भी है कि बढ़ती आबादी के अनुपात में पुलिस बल उतना नहीं बढ़ा। किसी नेता या अन्य विशिष्टजन के आगमन पर उसकी सुरक्षा के लिए तो पुलिस की व्यवस्था कर दी जाती है लेकिन आम जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। पुलिस के पास वाहन आदि की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में पंजाब सरकार द्वारा महिलाओं को घर पहुँचाने के लिए पुलिस वाहन की सुविधा देने का फरमान कितना कारगर हो सकेगा ये बड़ा सवाल है। इसके साथ ये भी सोचने वाली बात है कि क्या हमारे देश की पुलिस इतनी विश्वसनीय है कि रात के समय सुरक्षित घर लौटने के लिए अकेली महिला बेखौफ उसकी मदद ले सके। उल्लेखनीय है कि देश के अनेक थानों में पुलिस कर्मियों द्वारा महिलाओं के साथ आपत्तिजनक व्यवहार किये जाने की घटनाएँ प्रकाश में आती रही हैं। और फिर अपराधियों से पुलिस की संगामित्ती भी जगजाहिर है। हो सकता है पंजाब की देखासीखी कुछ और राज्य भी महिलाओं को रात के समय पुलिस वाहन की सुविधा देने की घोषणा कर दें। हालांकि इस व्यवस्था की सफलता पर अनगिनत प्रश्नचिन्ह हैं। फिर भी इसका स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि समाज का वातावारण जिस तरह से दूषित होता जा रहा है उसके मद्देनजर महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। आधुनिकता के फेर में युवा पीढ़ी में खुलापन आने के साथ उसकी आड़ में जिस तरह का उन्मुक्त व्यवहार देखने मिल रहा है वह चिंता का कारण है। महिलाओं के मन में व्याप्त असुरक्षा का भाव किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं है। उसे दूर करने के लिए जो भी करना पड़े वह किया जाना चाहिए। लेकिन इसमें ज्यादा देर ठीक नहीं होगी क्योंकि पानी सिर से ऊपर गुजरने की स्थिति में आ चुका है और लोगों की नाराजगी इस हद तक बढ़ती जा रही है कि सड़क से संसद तक ये मांग उठने लगी है कि दुष्कर्मियों को कानून की अदालत की बजाय जनता के हवाले कर दिया जाए जिससे उन्हें उनके किये की सजा जल्दी से जल्दी दी जा सके।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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