Tuesday 31 December 2019

वंशवाद : भारतीय राजनीति का स्थापित सत्य



महाराष्ट्र मंत्रीमंडल का गत दिवस जो विस्तार हुआ उसकी सबसे उल्लेखनीय बात ये है कि 14 मंत्री ऐसे हैं जो किसी नेता के परिवारजन हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कैबिनेट मंत्री बने लेकिन शरद पवार के भतीजे अजीत को एक बार फिर उप मुख्यमंत्री पद मिल गया। सबसे चौंकाने वाला नाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य का रहा जिन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। हालाँकि इससे शिवसेना के भीतर ही असंतोष की खबरें भी मिली हैं। मिली जुली सरकार में योग्यता से ज्यादा सौदेबाजी महत्वपूर्ण होती है और उस लिहाज से उद्धव ने कुछ अप्रत्याशित नहीं किया। चूंकि सरकार की स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह कायम हैं इसलिए मुख्यमंत्री ने आलोचना की परवाह किये बिना अपने बेटे को कैबिनेट मंत्री बनाकर भविष्य के लिए तैयार कर लिया। वैसे भी शिवसेना ने शुरुवात में आदित्य का नाम ही बतौर मुख्यमंत्री आगे किया था। कल ज्योंही मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ त्योंही परिवारवाद के आरोप लगे। इसकी वजह आदित्य का मंत्री बनना ही रहा लेकिन शिवसेना की सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस दोनों को परिवारवाद से धेले भर परहेज नहीं रहा और फिर खुद उद्धव भी तो इसी वजह से राज ठाकरे को किनारे करते हुए पार्टी के मुखिया बन बैठे। यूँ भी देश में जितनी क्षेत्रीय पार्टियां हैं सभी वंशवाद की पोषक हैं इसलिए उद्धव को कठघरे में खड़ा करना औचित्यहीन है। पिछली देवेन्द्र फणनवीस सरकार में भी स्व. गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मंत्री थीं। इसी तरह स्व. प्रमोद महाजन की बेटी पूनम मुम्बई से भाजपा सांसद हैं। हालाँकि नीतीश कुमार जैसे नेता भी हैं जिनके परिवारजन सियासत से दूर हैं लेकिन भाजपा के शेष सहयोगी अकाली, लोजपा आदि में वंशवाद का बोलबाला है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जब मतदाता नेताओं के परिजनों को चुनाव जितवाने में मददगार बनते हैं तब उन्हें जनस्वीकृति मिल जाती है। वरना राहुल और प्रियंका गांधी, सुखबीर और हरसिमरत बादल, ओमप्रकाश और दुष्यंत चौटाला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, स्टालिन, कनिमोझी, फारुख और उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे तमाम नेता राजनीति में स्थापित नहीं होते। भाजपा के शीर्षस्थ स्तर पर भले ही परिवारवाद अभी भी उतना हावी नहीं है लेकिन उसके बाद वाले स्तर पर उसकी शुरुवात हो चुकी है। वामपंथी दलों में परिवारजनों को आगे बढ़ाने का चलन बेशक नहीं है। समूचे परिदृश्य पर नजर डालने के बाद ये कहने में कुछ भी गलत नहीं है कि वंशवाद भारतीय राजनीति की सच्चाई बन चुका है। उद्धव ठाकरे द्वारा अपने बेटे को अपने ही मंत्रीमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाने पर इसीलिये किसी को आश्चर्य नहीं हुआ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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