Monday 4 June 2018

चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता का सवाल


इसे केवल राजनीतिक मुद्दा कहकर नहीं टाला जा सकता । मप्र में 60 लाख फर्जी मतदाताओं सम्बन्धी जो आरोप काँग्रेस ने लगाया वह काफी गम्भीर है जिसका चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए जांच का आदेश दिया है। यद्यपि इसमें भाजपा अथवा राज्य सरकार का हाथ होने जैसी बात पर सहसा भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि मतदाता सूची बनाने के कार्य में लगा सरकारी अमला पूरी तरह से किसी राजनीतिक दल के प्रति समर्पित हो ये कहना सही नहीं होता। सत्तारूढ़ पार्टी अपने प्रभावस्वरूप यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी करवा सकती है ऐसा सम्भव हो तब तो कोई भी सरकार कभी भी चुनाव ही नहीं हार सकती। किसी बूथ पर छोटी-मोटी हेराफेरी भले हो जाये लेकिन पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां कर लेना प्रथम दृष्टया तो अस्वीकार्य लगता है। बावजूद उसके चुनाव आयोग को अपनी निष्पक्षता साबित करने के लिए कांग्रेस की मांग पर ध्यान देते हुए जांच करवाकर उसके नतीजे सार्वजनिक करना चाहिए। ईवीएम को लेकर पहले से ही विवादों में घिरे चुनाव आयोग का दायित्व है वह चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए हरसम्भव प्रयास करे क्योंकि इस तरह के आरोपों के उछलने से किसी पार्टी की बदनामी से ज्यादा चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बुरा असर पड़ता है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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