Saturday 18 June 2022

अग्निपथ : हिंसा करने वाले नौजवानों के भविष्य पर खतरे के बादल



सेना में जवानों की भर्ती के लिए लाई गयी अग्निपथ योजना का विरोध जिस तरह हिंसक हुआ उसमें कुछ ऐसे लोगों का हाथ भी बताया जा रहा है जो कोचिंग संस्थान चलाते हैं | विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों द्वारा सरकार की किसी योजना का विरोध करना तो स्वाभाविक लगता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ये देखने में आ रहा है कि कुछ  अदृश्य शक्तियाँ  युवा पीढ़ी को भड़काकर हिंसा के रास्ते पर जाने हेतु प्रेरित करती हैं | पूर्व में भी उ.प्र और बिहार में रेलवे की भर्ती को लेकर युवाओं द्वारा तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी जिससे  बिहार की एक कोचिंग के संचालक का नाम भी जुड़ा | अग्निपथ योजना के विरोध में अचानक जिस तरह से देश के अनेक शहरों में आंदोलन भड़का वह सामान्य नहीं है | सबसे प्रमुख बात जो इस बारे में देखने मिल रही है वह ये कि हर जगह आन्दोलनकारियों का व्यवहार एक समान है | रेलवे स्टेशनों को नुकसान पहुँचाने की करतूत ये साबित करती है कि आन्दोलनकारियों की आड़ में असामाजिक और देश विरोधी तत्व अपना काम कर रहे हैं | सेना जैसी संस्था के साथ जुड़ने के इच्छुक युवाओं का इस तरह की गतिविधि में हिस्सा लेने का अर्थ है कि वह उस आधारभूत भावना को ही त्याग बैठा है जो एक सैनिक की पहिचान होती है | अर्थात अनुशासन जिसके लिए भारतीय सेना पूरे विश्व में सम्मानित है | भारत सरकार के साथ ही सेना के अनेक पूर्व अधिकारियों ने भी इस योजना को युवाओं और सेना दोनों के हित में बताया है | बेहतर होता आन्दोलन करने से पहले अग्निपथ के बारे में विस्त्तृत जानकारी हासिल कर ली जाती | अब सवाल ये उठता है कि जिन युवाओं ने बीते दो – तीन दिनों में हिंसा , आगजनी , तोड़फोड़ जैसे अपराध किये क्या वे इस योजना के अंतर्गत प्रारम्भ होने जा रही भर्ती का बहिष्कार करेंगे और ये भी कि क्या जो उम्मीदवार अग्निपथ में शामिल होंगे उनको भी  रोका जावेगा ? ऐसा लगता है इस आन्दोलन का हश्र भी कृषि कानूनों के विरोध में हुए आन्दोलन जैसा होगा जिसके अंत में किसानों की स्थिति हासिल आई शून्य वाली बन गई | कोरोना के कारण सेना में भर्ती बीते दो साल से रुकी हुई थी | आन्दोलनकारियों में से कुछ का कहना है कि इस दौरान वे 21 वर्ष की आयु सीमा पार कर लेने के कारण चयन प्रक्रिया से ही बाहर हो जायेंगे | इस बात को समझकर सरकार ने तत्काल आयु सीमा 23 वर्ष कर दी | उसके बाद भी विरोध में जो तर्क दिए जा रहे हैं वे बेमानी हैं | रही बात चार वर्ष बाद सेवा - निवृत्त किये जाने की तो उस समय मिलने वाली राशि से पूर्व अग्निमित्र या तो स्व रोजगार का साधन विकसित कर सकता है या फिर अगली नौकरी के लिए प्रयास | अग्निमित्र के रूप में  चार साल की सेवा के दौरान उसे इग्नू से आगे की पढ़ाई करने की सुविधा भी मिलेगी जिससे वह भावी जीवन में बेहतर नौकरी कर सके | उसे पूर्व सैनिक न सही किन्तु पूर्व अग्निमित्र कहा जावेगा और सेना के साथ उसका जुड़ाव किसी चरित्र प्रमाणपत्र से कम न होगा | कुछ लोग अग्निमित्रों को दिहाड़ी मजदूर जैसा बताकर मजाक उड़ा रहे हैं किन्तु वे इस तथ्य की अनदेखी कर रहे हैं कि अवकाश प्राप्त अग्निमित्रों के लिए  केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल और असम रायफल्स में 10 फीसदी आरक्षण  के साथ ही अधिकतम आयुसीमा में 3 वर्ष की छूट रहेगी जो पहले बैच  के लिए 5 वर्ष होगी | सच्चाई  समझे बिना हिंसा के रास्ते पर बढ़ जाने के कारण ऐसे हजारों नौजवनों का  भविष्य चौपट हो गया जिनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज हो गए हैं | इस कारण न सिर्फ अग्निपथ अपितु अन्य किसी भी शासकीय सेवा के लिए वे अयोग्य माने जायेंगे | केंद्र सरकार ने अग्निमित्र भर्ती प्रक्रिया इसी हफ्ते से शुरू करने का जो फैसला किया  वह मौजूदा परिस्थितियों में पूरी तरह उचित है क्योंकि जो  बेरोजगार नौजवान वाकई जरूरतमंद हैं , वे इसका लाभ उठा सकेंगे | यदि भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या आई तो इस योजना की उपयोगिता को प्रमाणित करने की जरूरत नहीं रह जायेगी | वैसे भी अब तीस साल की सरकारी सेवा वाला दौर खत्म हो चुका है | सरकार पर वेतन , भत्ते और पेंशन का भार बढ़ते जाने से आर्थिक प्रबंधन गड़बड़ा गया है | सेना को ही लें तो उसके कुल बजट का मुख्य हिस्सा वेतन और पेंशन पर ही खर्च हो जाता है | ऐसे में सैन्य साजो – सामान और आधुनिकीकरण के लिये राशि कम पड़ती है | और  फिर इस तरह की योजना केवल राजनीतिक निर्णय का  परिणाम न होकर सेना के वरिष्ट अधिकारियों की सलाह पर ही बनी होगी जो उसकी जरूरतों को बेहतर तरीके से समझते हैं | ये सब देखते हुए विरोध पर उतारू नौजवानों को ठंडे दिमाग से योजना  के सभी पहलुओं को समझना चाहिए | जो प्रावधान अनुचित प्रतीत होते हों उनमें सुधार या बदलाव किया जा सकता है लेकिन उसके लिए हिंसात्मक आंदोलन करना उन देश विरोधी ताकतों के हाथों में खेलने जैसा होगा जो किसी न किसी बहाने देश में अशांति और अस्थिरता फैलाने पर आमादा हैं |  सौभाग्यवश वे अपने मकसद में सफल नहीं हो सकीं | सीएए और एनआरसी विरोधी आन्दोलन जिस तरह अपनी मौत मरे उससे साबित हो गया कि भारतीय जनमानस इन ताकतों को सिर उठाने का अवसर नहीं देगा | बीते कुछ दिनों से नूपुर शर्मा के बयान को लेकर अनेक शहरों में जुमे की नमाज के बाद जिस तरह की हिंसा की गई उससे मुस्लिम समाज की छवि खराब होने के साथ ही नूपुर शर्मा  को समर्थन और सहानुभूति मिल रही है | किसान आन्दोलन भी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद ही जनता की निगाहों से उतरने  लगा था | ये सब देखते हुए अग्निपथ योजना के विरोध में हिंसा कर रहे नौजवानों को अपने साथ ही देश के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए क्योंकि जिस रास्ते पर वे चल रहे हैं वह उनके भविष्य को अंधकारमय बना देगा और तब जो ताकतें उन्हें भड़का रही हैं वे दूर – दराज  तक नजर नहीं आयेंगीं |  

- रवीन्द्र वाजपेयी


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