Monday 27 June 2022

मुफ्त बिजली – पानी सत्ता तो दिलवा सकते हैं लेकिन .... संगरूर से निकला जनादेश आने वाले खतरे का संकेत


 

पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की पराजय निश्चित तौर पर बड़ी खबर है | तीन महीने पहले ही जिस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में  ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया उसके मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा रिक्त की गई लोकसभा सीट पर उसका प्रत्याशी हार जाए ये सहज रूप से हजम होने वाली बात नहीं है | इसका सीधा – सीधा अर्थ तो यही लगाया जावेगा कि भगवंत के नेतृत्व वाली सरकार लोगों की अपेक्षा पर खरी उतरने में नाकाम रही जिससे नाराज मतदाताओं ने उसे सजा दे डाली | लेकिन जिस पार्टी का उम्मीदवार जीता वह भी कहने को तो शिरोमणि अकाली दल है परन्तु  उसके साथ बादल की बजाय अमृतसर जुड़ा हुआ है और यह पार्टी खालिस्तान की पक्षधर है | विजयी हुए सिमरनजीत सिंह मान आईपीएस अधिकारी रहे हैं | 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के विरोध में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और  गिरफ्तार भी हुए | अतीत में भी दो बार वे लोकसभा सदस्य रह चुके हैं  | संसद में कटार ले जाने की जिद के कारण उनको प्रतिबंधित भी किया गया था | काफी दिनों से वे चर्चाओं से बाहर थे लेकिन गत दिवस संगरूर उपचुनाव जीतते ही 77 वर्षीय सिमरनजीत फिर सुर्ख़ियों में आ गये | लेकिन उसकी वजह आम आदमी पार्टी को हराना नहीं वरन जीतते ही भारत सरकार के विरुद्ध ज़हर उगलने वाले बयान बने | अपनी  जीत का श्रेय उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार में मारे गए खालिस्तानी नेता  जरनैल सिंह भिंडरावाले की तालीम को देते  हुए कहा अब भारतीय हुकूमत सिखों के साथ वैसा व्यवहार नहीं कर सकेगी जैसा मुसलमानों के साथ कर रही है | आगे वे बोले भारतीय हुकूमत मुसलमानों  की मस्जिदें ढहा रही है , कश्मीर में  ज़ुल्म कर रही है | भारतीय फौज कश्मीरियों को मार देती है जिसकी जाँच तक नही होती | झारखंड और छतीसगढ़ के आदिवासियों  को माओवादी और नक्सली समझकर भारतीय हुकूमत सीधे गोली मार देती है | उन्होंने दीप सिद्धू और सिद्धू मूसेवाला की  मौत को शहादत बताया | उल्लेखनीय है मूसेवाला इस उपचुनाव में सिमरनजीत का प्रचार करने आने वाले थे | अपने ट्विटर हैंडल पर खुद को खालिस्तान स्वतंत्र राज्य के लिए प्रयासरत बताने वाले इस शख्स की  जीत को केवल आम आदमी पार्टी की पराजय तक सीमित रखना खतरनाक होगा क्योंकि वे जिस तरह से भारतीय हुकूमत के बारे में बोले उससे तो लगा मानों कोई पाकिस्तानी बोल रहा हो | इस बारे में उल्लेखनीय है कि बीते साल दिल्ली में चले किसान आन्दोलन के दौरान खालिस्तान  समर्थक सिख खुलकर सामने आये और कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर पंजाब में देश विरोधी भावनाओं को दोबारा जीवित करने का षडयंत्र रचा | इसका प्रमाण उन हिंसक घटनाओं से मिला जिनके पीछे खालिस्तान समर्थक तत्वों का हाथ खुलकर सामने आया | आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद खालिस्तान समर्थक अचानक जिस प्रकार आक्रामक होने लगे उससे इस पार्टी पर लगाये गये आरोपों की पुष्टि होने लगी | भगवंत सिंह मान को मुख्यमंत्री बनाये जाने के फैसले पर भी सवाल उठने लगे हैं | इतने विशाल बहुमत के बावजूद मान सरकार खालिस्तान समर्थकों को दबा पाने में असमर्थ दिख रही है | जिस तरह की बातें सिमरनजीत ने गत दिवस कहीं उन्हें बानगी मानकर उनकी हरकतों पर नजर रखनी चाहिये | संसद में ऐसे व्यक्तियों के आने से ओवैसी जैसे लोगों का हौसला मजबूत होगा |  पंजाब की धरती पर एकाएक देश की अखंडता को चुनौती देने वाली ताकतें जिस तरह सक्रिय हो उठीं वह राष्ट्रीय चिंता का विषय है | आम आदमी पार्टी को चाहिए वह भगवंत सिंह मान के स्थान पर किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाये जो इस सीमावर्ती राज्य में आतंकवाद के बीजों को अंकुरित होने से रोकने का माद्दा रखता हो क्योंकि मुफ्त बिजली और पानी सत्ता तो दिलवा सकते हैं लेकिन देश की सुरक्षा के लिए मजबूत इरादे चाहिए | 

-रवीन्द्र वाजपेयी

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