Monday 6 June 2022

हिन्दुओं की आस्था का अपमान करने वालों पर भी फन्दा कसा जाए



भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा द्वारा  की गई टिप्पणी पर देश के अलावा मुस्लिम देशों में भी नाराजगी देखी गयी | गत दिवस क़तर और कुवैत सरकार ने  भारतीय राजदूत को तलब करते हुए अपनी नाराजगी जताई | भारत सरकार ने  भी उन्हें साफ़ शब्दों में बता दिया कि वह  सभी धर्मों का सम्मान करती है | लेकिन नूपुर चूंकि भाजपा से ताल्लुकात रखती थीं लिहाजा अन्य मुस्लिम देशों की नाराजगी सामने आने  के पहले ही उन्हें छह वर्ष के लिए निलम्बित एवं  एक अन्य प्रवक्ता नवीन जिंदल को निष्काषित कर दिया गया | सुश्री शर्मा ने भी अफसोस जताते हुए ट्वीट के जरिये माफी मांग ली |  दूसरी तरफ उस टिप्पणी की प्रतिक्रियास्वरूप कानपुर में  जुमे की नमाज से लौट रही भीड़ ने जमकर  दंगा कर डाला  | आश्चर्य की बात है कि जो मौलवी तथा मुस्लिम प्रवक्ता नूपुर पर चौतरफा हमला करने में जुटे रहे उनमें से ज्यादातर  दंगाइयों के अपराध पर पर्दा डालते हुए निर्दोष मुस्लिम युवकों को फंसाए जाने का आरोप लगा रहे हैं | इसी बीच भारत को तेल और गैस की आपूर्ति करने वाले दो मुस्लिम देशों की आपत्ति का सरकार द्वारा समुचित उत्तर देने के साथ ही भाजपा ने नूपुर और नवीन पर कार्रवाई कर डाली | सत्ता में होने के कारण भाजपा के लिए ऐसा करना जरूरी था या मजबूरी ये बहस का मुद्दा बनते सोशल मीडिया पर  संदेशों की बाढ़ आ गयी है | भाजपा के परम्परागत समर्थक भी इस फैसले की खुलकर निंदा करते हुए कह रहे हैं कि जब नूपुर को पार्टी की जरूरत सबसे ज्यादा जरूरत थी तब उसे अकेला छोड़ दिया गया | नूपुर ने  जो ट्वीट किया उससे भी ये संकेत मिलता है कि उन्हें दबाववश वैसा करना पड़ा | ये भी संभव है कि पार्टी  ने उनको  और श्री जिंदल को विश्वास में लेकर  कार्रवाई की हो जिससे और मुस्लिम देशों को  ऐतराज करने का अवसर न मिले | वैसे एक बात तो साफ  है कि भाजपा ने दो नेताओं पर जो गाज गिराई वह सरकार के कहने पर  ही प्रतीत होती है | वरना ये काम तो वह  टिप्पणी के तत्काल बाद  कर सकती थी | जहाँ तक सरकार का प्रश्न है तो उसने भी इस प्रकरण को तभी गंभीरता से लिया जब क़तर और कुवैत से  सरकारी आपत्ति आई | चूंकि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी क़तर के दौरे पर  थे  इसलिए भी भाजपा ने जल्दबाजी  में कदम उठाया | बहरहाल  भावनात्मक मुद्दे से जुडी राजनीति जब कूटनीति तक जा पहुँची तब किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी से ऐसे निर्णय की  उम्मीद रहती है | और फिर  भाजपा के साथ चूँकि हिन्दुत्व का मुद्दा जुड़ा हुआ है इसलिए उसके समर्थकों के एक वर्ग में नुपुर के निलम्बन को सैद्धांतिक पलायन मानकर आलोचना की जा रही है |  विरोध यदि पाकिस्तान की तरफ से आया होता तब भी शायद भाजपा ये  कदम न उठाती | लेकिन तेल कूटनीति का दबाव भारी पड़ गया | वैसे इस फैसले से न तो भाजपा की नीतियों में कोई बदलाव आएगा और न ही  सरकार की | अतीत में भी भाजपा ने मौके की नजाकत के मद्देनजर अपने नेताओं को इसी तरह दण्डित किया है | लेकिन इस मामले के दूसरे पहलू को भी देखा जाना चाहिये | नूपुर द्वारा शिवलिंग के बारे में दूसरे पक्ष द्वारा की गयी टिप्पणियों से आक्रोशित होकर वह कहा जिसे मुस्लिम समुदाय और कतिपय इस्लामिक देशों ने बुरा माना | लेकिन हमारे देश के अनेक मौलवी अपने समुदाय के बीच जिस तरह की तकरीरें किया करते हैं उनका विश्लेषण करने पर स्पष्ट हो जाएगा कि उनकी जुबान से हिन्दू देवी  – देवताओं और धर्म ग्रन्थों का किस तरह उपहास किया जाता है ? संचार क्रांति के इस युग में उनकी सैकड़ों वीडियो यू ट्यूब पर उपलब्ध हैं | अपने धर्म और उसके प्रवर्तकों की श्रेष्ठता और महानता का गुणगान पूरी तरह उचित है लेकिन देश के बहुसंख्यक समुदाय की आस्था का मखौल उड़ाने का साहस भारत जैसे देश में ही संभव है |  भाजपा तो एक  राजनीतिक पार्टी होने से चुनावी नफे – नुकसान के मकड़जाल में फंसी हुई है लेकिन केंद्र सरकार को चाहिए वह कथित मौलवियों सहित पेशेवर मुस्लिम वक्ताओं की वीडियो को खंगालकर इस बात की जाँच करे कि अपने धर्म की शान  में कसीदे पढ़ने वाले दूसरों के बारे में किस तरह की बातें कहते हैं ? भारत के धर्मनिरपेक्ष देश होने से सभी  धर्मावलम्बियों को अपने आराध्य और आस्था के प्रति सम्मान रखने की स्वतंत्रता तो है लेकिन स्वछंदता नहीं | ऐसे में जो भी किसी अन्य की  आस्था का अपमान करे उसे दण्डित किया जाना चाहिए | भारत में मुस्लिम  समुदाय की जितनी भी प्रसिद्ध दरगाहें हैं उनमें प्रतिदिन जाने वाले  में हिन्दुओं की संख्या भी अच्छी – खासी रहती है जबकि किसी मुसलमान के  मंदिर जाने पर उसे बुतपरस्त होने से इस्लाम का विरोधी मान लिया जाएगा | इंडोनेशिया जैसे इस्लामिक देश ने जिस तरह से अपने हिन्दू अतीत को संस्कृतिक  धरोहर के तौर पर सहेजकर रखा  काश, हमारे देश के मुल्ला – मौलवी भी उससे प्रेरणा प्राप्त करते | लेकिन हमारे देश में मुसलमानों के धार्मिक रहनुमाओं और नेताओं के सिर से कट्टरता का भूत उतरता ही  नहीं है | गत दिवस एक टीवी साक्षात्कार में एक मौलवी साहब कानपुर के दंगे के औचित्य को साबित करते हुए ये कहने से बाज नहीं आये कि ऐसी टिप्पणियों  पर मुस्लिम नौजवान कुछ भी करने से नहीं चूकेंगे | समय आ गया है जब मुस्लिम समुदाय को बदलती दुनिया के अनुसार अपनी सोच में सुधार करना चाहिए | भाजपा ने ये जानते हुए भी कि  उसके  समर्थक नाराज होंगे , अपने दो नेताओं पर अनुशासन  का  चाबुक चला दिया परन्तु क्या मुस्लिम समाज  भड़काऊ तकरीरें करने वाले मौलवियों के वीडियो की जांच कर उन पर फंदा कसेगा ? अफगानिस्तान में तालिबानों द्वारा बामियान की वैश्विक धरोहर कहलाने वाली बुद्ध मूर्तियाँ खंडित की गईं तब भारत में रहने वाले उन लोगों की  जुबान से निंदा का एक शब्द तक नहीं निकला जिन्होंने गत वर्ष  तालिबान के सत्ता में लौटने पर खुशियाँ मनाईं थीं | नूपुर और नवीन पर भाजपा द्वारा की गई कार्रवाई निश्चित तौर पर केंद्र सरकार पर पड़े कतिपय इस्लामिक देशों के दबाव में की गई | लेकिन अब सरकार को  हिन्दू देवी – देवताओं का अपमान करने वालों  की खबर भी  लेनी चाहिए | हिन्दुओं के विरुद्ध ज़हर उगलने वाले जाकिर नाइक गिरफ्तारी के भय से मलेशिया में दुबके बैठे हैं | लेकिन अभी भी देश के भीतर उन जैसे अनेक लोग हैं जो मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को भड़काकर देश के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं | भारत भले ही  हिन्दू राष्ट्र नहीं है किन्तु 80 फीसदी आबादी की आस्था के  अपमान की छूट मिलती रही तब ऐसी धर्मनिरपेक्षता भी  किस काम की ? हमारे संविधान निर्माता इस बात को समझते थे और इसीलिये उन्होंने संविधान की मूल प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष जैसा शब्द शामिल नहीं किया था |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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