Wednesday 8 June 2022

मुस्लिम देशों से डरने की जरूरत नहीं : इजरायल की नीति अपनायें

 

इस्लाम के प्रवर्तक के बारे में की गयी टिप्पणी को मुद्दा बनाकर जिस तरह मुस्लिम देश अपना विरोध जता रहे हैं उस पर भारत  द्वारा दिया गया जवाब  इस बात का संकेत है कि हमारी विदेश नीति में दृढ़ता आई है | मुस्लिम सहयोग संगठन ( ओआईसी ) को प्रेषित उत्तर में जिस कड़ी भाषा का उपयोग किया गया वह भी अच्छा संकेत है | लेकिन देश के भीतर एक तबका ऐसा भी है जो मुस्लिम देशों की नाराजगी को बढ़ा – चढ़ाकर इस तरह पेश कर रहा है जैसे वे  हमें सूली पर चढ़ा देंगे | इसे मोदी सरकार की विदेश नीति की विफलता भी बताया जा रहा है | अनेक अरब देशों द्वारा भारतीय सामान की बिक्री रोके जाने के साथ ही भविष्य में कच्चे  तेल और गैस की आपूर्ति पर विपरीत असर पड़ने की आशंका भी जताई जा रही है | जिस भाजपा नेत्री और प्रवक्ता की टिप्पणियों के कारण ये हालात पैदा हुए उनकी पार्टी से छुट्टी किये जाने को मुस्लिम देशों के दबाव का परिणाम बताते हुए ये सवाल  उठाया  जा रहा है कि अब तक उसके विरुद्ध  कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? नूपुर शर्मा को मिल रही धमकी के मद्देनजर उन्हें दी गई सुरक्षा पर ऐतराज करने वाले भी कम नहीं हैं | कुछ मुस्लिम देशों ने सुश्री शर्मा पर कानूनी कार्रवाई किये जाने की मांग भी भारत सरकार से की है | अल कायदा  नामक दुनिया के सबसे  बड़े मुस्लिम आतंकवादी संगठन ने तो भारत के अनेक बड़े शहरों में धमाके करने की धमकी भी दे डाली है |  निश्चित तौर पर इस सबसे भारत सरकार पर दबाव बढ़ा होगा क्योंकि हिन्दूवादी छवि के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ वर्ष में प्रमुख इस्लामिक देशों के साथ जिस तरह के निकट सम्बन्ध बनाये वे उनके  कूटनीतिक कौशल का प्रमाण बन गये थे | उन्हीं का परिणाम था कि बीते कुछ वर्षों से अरब देशों द्वारा पाकिस्तान की तुलना में भारत  को महत्व दिया जाने लगा | परन्तु मात्र एक बयान ने पूरी तस्वीर बदल दी | लेकिन इस स्थिति में भारत सरकार ने जिस धैर्य का प्रदर्शन अब तक किया वह काबिले गौर है | सबसे बड़ी बात ये है कि अचानक उत्पन्न इस परिस्थिति ने हमें मुस्लिम देशों के बारे में किसी भी प्रकार की खुशफहमी रखने के प्रति आगाह कर दिया है | एक महिला नेत्री के बयान पर अल कायदा द्वारा दी जा रही धमकी की आलोचना करने का साहस किसी भी मुस्लिम देश या मौलवी ने अब तक नहीं दिखाया क्योंकि इन्हीं देशों के पैसों से ही तो उस जैसे आतंकवादी संगठन पलते रहे | अमेरिका द्वारा पाकिस्तान में छिपे ओसामा बिन लादेन को मारने की कार्रवाई का तो मुस्लिम जगत ने जमकर विरोध किया लेकिन हजारों   निरपराधों को मौत के घाट उतारने के जिम्मेदार आतंकवादी को पनाह देने वाले पाकिस्तान के विरुद्ध एक बात भी नहीं कही | इससे साफ़ हो जाता है कि तेल संपदा से मालामाल होने के बावजूद ये इस्लामिक देश धार्मिक कट्टरता से बाहर नहीं आ सके हैं | ऐसे में इन पर पूरी तरह से भरोसा करते रहना खतरे से खाली नहीं है | इनके दोगलेपन का इससे बड़ा सबूत क्या होगा कि जो सऊदी अरब पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रचार – प्रसार के लिए बेशुमार धन प्रदान करता है वह  उस अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जिससे अधिकतर इस्लामिक देश नफरत करते हैं | ये कहना भी गलत न होगा  कि आज पश्चिम एशिया में जो भी अशांति है उसका सबसे बड़ा दोषी अमेरिका ही है | जो इजरायल मुस्लिम देशों को फूटी आँखों नहीं सुहाता वह अमेरिका द्वारा ही पालित – पोषित रहा | यही वजह है कि सऊदी अरब और सं अरब .अमीरात जैसे सम्पन्न मुस्लिम देश इजरायल के साथ  दोस्ती बढाने  में लगे हैं | ये इस बात का प्रमाण है कि मुस्लिम देश जितना गुर्राते हैं , उतना दम उनमें हैं नहीं । वरना अब तक इजरायल का अस्तित्व नजर नहीं आता | भारत के सामने वर्तमान में मुस्लिम देशों ने जिस तरह के दबाव की स्थिति बना दी है वह सतही  तौर पर तो चिंता का कारण लगती है लेकिन सही बात ये है कि उनमें से अधिकतर उसी तरह के आंतरिक दबाव से गुजर रहे हैं जिसका सामना भाजपा को करना पड़ा | बहरहाल प्रधानमंत्री  आपदा में भी अवसर तलाशने की खुद की सलाह पर अमल करते हुए वही रवैया अपनाएँ जो ऐसे संकट में इजरायल द्वारा उपयोग किया जाता है | भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ ही सैन्य दृष्टि से भी काफी मजबूत है | ज्ञान – विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित कर रही हैं | ऐसे में महज एक  टिप्पणी पर राजनयिक रिश्तों को दांव पर लगा देने  वाले मुस्लिम देशों को ये एहसास करवाना भी देश के दूरगामी हित में होगा कि उनकी नाराजगी भारत जैसे बड़े देश को दबा नहीं सकती | इस मामले में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर अमेरिका  के दबाव के बावजूद  भारत द्वारा जिस तरह तटस्थता की नीति अपनाई गयी उससे हमारी विदेश  नीति की मजबूती सामने आई | किसी धर्म के विरुद्ध आपत्तिजनक बात कहने वाले का समर्थन करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है लेकिन धर्म के नाम पर आतंकवाद का सहारा लेने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इजरायल की  नीति – रीति ही कारगर और अनुकरणीय है | 2014  के बाद से ही उसके साथ भारत के व्यापारिक , रक्षा , और कूटनीतिक समबन्धों में आश्चर्यजनक रूप से सुधार हुआ है | भारत  के सामने मुस्लिम देशों के विरोध का जो संकट आ खड़ा हुआ है वैसे इजरायल न जाने कितनी बार झेल चुका है | बेहतर तो यही होगा कि इस्लामिक देशों  की बंदर घुड़कियों से डरने के बजाय उनको साफ़ शब्दों में समझा दिया जावे कि वे पहले खुद धर्म निरपेक्षता सीखें और बाद में भारत को उपदेश  दें | जहां तक बात अल कायदा की है तो देश के मुस्लिम संगठनों को भी खुलकर उसके विरुद्ध आवाज उठाना चाहिए क्योंकि आतंकवादी हमला किसी धर्म विशेष पर न होकर देश पर होता है और उसमें मरने वाले मुसलमान भी  हो सकते हैं | कानपुर में दंगाइयों द्वारा मुस्लिमों की दुकानें जलाया जाना और कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मुस्लिमों की हत्या इसका प्रमाण है | बेहतर हो मुस्लिम राष्ट्रों के दबाव के विरुद्ध देश एक आवाज में बोले अन्यथा आज मुस्लिम देश दबा रहे हैं कल को कोई और आँखें दिखायेगा | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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