Monday 20 June 2022

अग्निपथ की भर्ती प्रक्रिया उसकी अग्निपरीक्षा होगी



अग्निपथ योजना के विरोधस्वरूप आज विपक्ष ने भारत बंद का आह्वान किया गया है | केंद्र सरकार को ये समझाइश दी जा रही है कि युवा आग समान हैं अतः उनके साथ खेलने का दुस्साहस न करे | सरकार की आलोचना करते – करते कुछ नेताओं ने सेनाध्यक्षों पर भी जिस तरह की टिप्पणियां कीं वे निश्चित तौर पर उस मर्यादा का उल्लंघन है जिसके अंतर्गत सेना को राजनीतिक आरोप – प्रत्यारोप से परे रखा जाता है | इस योजना के बारे में प्रारम्भिक तौर पर लगा कि इसे जल्दबाजी में तैयार किया गया  है | लेकिन धीरे – धीरे ये बात स्पष्ट होती  जा रही है कि बीते अनेक दशकों से  इस पर मंथन चल रहा था | जिसकी शुरुवात स्व. राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में ही हो चुकी थी | उनकी सरकार में रक्षा मंत्री रहे अरुण सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति  ने रक्षा सुधारों को गति देने की प्रक्रिया शुरू की | उसके बाद जब वाजपेयी सरकार के समय कारगिल युद्ध हुआ तब कारगिल  रक्षा समिति बनाई गयी | मंत्रीमंडलीय स्तर की इन समितियों ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लम्बी मंत्रणा और अध्ययन के बाद सेना के आधुनिकीकरण के साथ ही उसकी औसत आयु में कमी हेतु जो कार्ययोजना बनाई उसी का परिणाम है अग्निपथ | बीते कुछ दिनों में जो विमर्श इस विषय को लेकर चल रहा है उसमें पक्ष और विपक्ष दोनों पहलू सामने आये हैं | चार साल बाद सेवानिवृत्त होने वाले नौजवान का अपने भविष्य के प्रति चिंतित होना स्वाभाविक है | ये बात भी सही है कि किसी भी नौकरी का आकर्षण वेतन के अलावा मिलने वाली अन्य सुविधाएँ और भत्ते तो होते ही हैं लेकिन सेवा निवृत्ति के बाद मिलने वाली इलाज की सुविधा और पेंशन आदि का भी बड़ा महत्व है | विशेष रूप से सेना की नौकरी से निवृत्त्त जवान को मिलने वाली आर्थिक सुरक्षा तथा सुविधाओं की वजह से ही बड़ी संख्या में नौजवान सैनिक बनने की चाहत पालते हैं |   लेकिन स्व. राजीव गांधी से लेकर डा. मनमोहन सिंह तक न जाने कितने प्रधानमंत्री आये - गये परंतु किसी ने भी सेना में सुधार कार्यक्रम तैयार  करने वाली समितियों और उनकी गतिविधियों को रोका नहीं | ये भी जानकारी मिल रही है कि सेना की तरफ से समय – समय पर रक्षा मंत्रालय को तत्संबंधी सुझाव दिए गये  जिन पर सरकार द्वारा विचार किया जाता रहा  | विपक्ष में बैठे कुछ ऐसे नेता भी अग्निपथ योजना की मुखालफत कर रहे हैं जो अतीत में सत्ता में रहने के दौरान इस प्रक्रिया के या तो साक्षी थे या उससे प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े रहे | दस साल तक डा. मनमोहन   सिंह की सरकार भी रही | कारगिल रक्षा समिति उसके पूर्व ही बन चुकी थी | फौज की औसत आयु घटाने संबंधी जो फैसले दुनिया के तमाम देशों ने किये वे ही मूल रूप से उक्त समितियों की विषय सूची में रहे होंगे | अनेक पूर्व सेनाध्यक्षों ने टीवी चर्चाओं में ये स्पष्ट किया कि वेतन और पेंशन पर कुल बजट का 85 फीसदी खर्च हो जाने के कारण सेना के आधुनिकीकरण का काम पिछड़ रहा था | ये बात भी सामने आई है कि आजकल युद्ध में सैनिकों के साथ – साथ  तकनीक की  भूमिका काफी बढ़ती जा रही है | जिसमें नई पीढ़ी जल्दी  पारंगत होती है | ये भी कि युद्ध की स्थिति में 21 से 25 साल आयु वर्ग के जवान और अधिकारी ही सबसे बढ़िया शौर्य प्रदर्शन करते हैं | इस बारे में कारगिल युद्ध का नेतृत्व कर चुके जनरल स्तर के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि उस लड़ाई में जिन जवानों या अधिकारियों ने वीरता की गौरव गाथा लिखी उनमें अधिकतम उम्र 25 वर्ष ही थे  | जो आंकड़े आये हैं उनके अनुसार भारतीय सेना में औसत आयु 32 वर्ष है जबकि दुनिया के प्रमुख देशों ने इसे घटाकर 26 वर्ष कर लिया है | ऐसे में अग्निपथ योजना को लेकर खड़ा किया गया विरोध गलत अवधारणाओं और दुष्प्रचार पर आधारित लगता है | ऊपर से तोड़फोड़ , आगजनी और हिंसा का सहारा लिए जाने से इस योजना का विरोध कर रहे युवा राजनीतिक दलों के  दुष्चक्र में फंसकर अपना भविष्य चौपट कर बैठे | केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट रूप से कह दिया है कि जिन युवकों की उपद्रव में भागीदारी पाई जावेगी उनको अग्निमित्र नहीं बनाया जावेगा | इसके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने संयुक्त रूप से ये ऐलान कर दिया कि अग्निपथ  योजना को वापिस नहीं लिया जाएगा | दूसरी तरफ सेना के सभी अंगों को इस  योजना के अंतर्गत भर्ती की  प्रक्रिया तत्काल शुरु करने के निर्देश भी मंत्रालय ने जारी कर दिए हैं | कहा जा रहा है थल , वायु और नौसेना ने इस हेतु तैयारियां भी प्रारंभ कर दी है | उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष के अंत तक ही 10 हजार से ज्यादा  अग्निमित्र सेना में शामिल हो जायेंगे | जो ताजा आंकड़े हैं उनके अनुसार तकरीबन 13 हजार जवान  प्रतिवर्ष सेवा निवृत्त हो जाते हैं या नौकरी छोड़ देते हैं | सरकार द्वारा योजना वापिस न लिए जाने की घोषणा से एक बात तो साफ हो गई कि वह और सेना दोनों अग्निपथ को लेकर संकल्पित हैं और उन्हें ये विश्वास है कि ये योजना सेना और अग्निवीर दोनों  के लिए फायदेमंद साबित होगी | वैसे इसकी अग्निपरीक्षा भर्ती शुरू होते ही हो जायेगी | यदि युवाओं ने इसमें बढ़ - चढ़कर हिस्सा लिया तो ये माना जाएगा कि तोड़फोड़ , हिंसा तथा  आगजनी उसी साजिश का हिस्सा है जिसके तहत बीते कुछ समय से देश के अनेक हिस्सों में अशांति फैलाई जा रही है |  

-रवीन्द्र वाजपेयी

 

 

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