राजस्थान के उदयपुर शहर में कन्हैया नामक एक दर्जी ने 10 दिन पहले भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हाट्स एप पर अपने विचार पोस्ट किये थे | उस पर उसे कुछ मुसलमानों ने धमकियां दीं जिनकी नामजद रिपोर्ट उसने पुलिस में की | भयवश लगभग एक सप्ताह उसने दूकान बंद रखी | उसे पुलिस सुरक्षा दिए जाने की बात भी सुनने में आई जिसे बाद में हटा लिया गया | शायद हत्यारे इसी की प्रतीक्षा में रहे होंगे | गत दिवस दोपहर के समय दो मुस्लिम युवक आये और पायजामा सिलवाने के लिए उनमें से एक नाप देने लगा जबकि दूसरा उसका वीडियो बनाने में जुट गया | अचानक नाप दे रहे युवक ने धारदार हथियार से कन्हैया पर हमला किया और अंततः उसे मारकर दोनों भाग निकले | उसके बाद उनके द्वारा जारी एक वीडियो में अपने कृत्य को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नूपुर शर्मा के साथ भी वैसा ही करने की धमकी दी गई | इस घटना की खबर फैलते ही उदयपुर सहित पूरे राजस्थान और फिर देश भर में गुस्सा व्याप्त हो गया | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घटना की निंदा करने के बाद किसी कार्यक्रम के सिलसिले में जोधपुर चले जाने से भी लोगों की नाराजगी बढ़ी | बयानों और आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया | गहलोत सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए भाजपा आक्रामक हो उठी | घटना इतनी दहला देने वाली थी कि जो मुस्लिम धर्मगुरु और संगठन नूपुर शर्मा के विरुद्ध आग उगलते आ रहे थे उन्हें भी मजबूरी में हत्यारों की आलोचना करनी पड़ी | वहीं मुस्लिमों के नए मसीहा बन रहे असदुद्दीन ओवैसी ने कानून के राज की वकालत कर डाली | लेकिन असहिष्णुता के नाम पर मोमबत्ती जुलूस निकालने वाले बुद्धिजीवी न जाने कहाँ दुबके बैठे हैं ? यदि यही वारदात किसी मुस्लिम के साथ घटी होती तो उनके द्वारा अब तक आसमान सिर पर उठा लिया जाता | कहने को तो राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने भी घटना की निंदा की लेकिन राजस्थान में कानून - व्यवस्था की खराब स्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा | बीते दिनों करौली में हुए दंगों के अपराधियों के विरुद्ध यदि गहलोत सरकार कड़ाई से पेश आती तब शायद कट्टरपंथियों के हौसले इस हद तक बुलंद नहीं होते | गत दिवस भी श्री गहलोत बजाय उदयपुर के जोधपुर चले गए जो इस बात का सूचक है कि इतनी बड़ी घटना के प्रति उनका रवैया कितना गैर जिम्मेदाराना था | कन्हैया की हत्या कोई साधारण अपराध नहीं है | हत्यारों ने अपने जुर्म और मकसद दोनों को खुद होकर उजागर कर दिया | ऐसे में अब उन्हें साधारण सजा देने की बजाय इस तरह से दण्डित किया जाना चाहिए जिससे कि आगे कोई ऐसी हिम्मत न करे | जिन युवकों ने गुस्ताखे नबी की एक सजा , सिर तन से जुदा का नारा लगाते हुए अपने कृत्य का हँसते हुए बखान किया उन्होंने इस्लाम का तालिबानी रूप देश के सामने रखा है | ऐसे में यदि उनको चौराहे पर तालिबानी शैली में फंसी दी जाए तो फिर ओवैसी जैसों को ऐतराज नहीं करना चाहिए | हालाँकि हमारे देश में इस तरह के हत्यारे के साथ भी विधि सम्मत मानवीय व्यवहार किया जाता है किन्तु इस मामले में कुछ अलग हटकर किया जाना जरूरी है | भले ही उन दोनों युवकों को इस्लामी तरीके से सजा न दी जाए लेकिन जब उन्होंने खुद होकर अपना अपराध सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर लिया है तब उनको लम्बी कानूनी प्रक्रिया की बजाय विशेष अदालत बनाकर शीघ्रातिशीघ्र फांसी दी जानी चाहिए | देखने वाली बात ये होगी कि इस्लाम के नाम पर किसी की गर्दन रेत देने जैसी हैवानियत करने वालों के बचाव के लिये कौन – कौन सामने आता है और कौन से वकील इन हत्यारों को बेगुनाह साबित करने अदालत में खड़े होते हैं | वैसे जिन दो मुस्लिम युवकों ने कन्हैया की हत्या करने के बाद हँसते हुए वीडियो जारी किया वे अव्वल दर्जे के कायर हैं वरना घटनास्थल से भागते नहीं | निश्चित रूप से ये इस्लाम के नाम पर फैलाये जा रहे आतंकवाद का ही रूप है जो तालिबानी मानसिकता से प्रेरित होकर भारत में पांव ज़माने की फिराक में है | रही बात मुस्लिम समाज की तो यदि वह इस मानसिकता को ख़ारिज करता है तो उसे कन्हैया के कातिलों को सजा ए मौत की मांग करते हुए वैसा ही कड़ा रवैया दिखाना चाहिए जैसा नूपुर शर्मा के बारे में उसका रहा | कन्हैया को मारने वाले पेशेवर अपराधी न होकर धर्मांध मुस्लिम लगते हैं | उनका किसी आतंकवादी संगठन से सम्बन्ध है कि नहीं ये जांच एजेंसियां पता करेंगीं किन्तु जन अपेक्षा है उन दोनों के विरुद्ध दंड प्रक्रिया में तेजी लाने हेतु विशेष अदालत गठित की जावे | वे अपना अपराध चूंकि स्वीकार कर चुके हैं जो जघन्यतम की श्रेणी में आता है इसलिए अब उनके पास बचाव की कोई गुंजाईश नहीं बची | बेहतर यही होगा कि बजाय अदालती प्रक्रिया बरसों – बरस खींचकर उन्हें महानायक बनने का अवसर देने के , इस पाप की माकूल सजा अविलम्ब दी जावे जो कि फांसी से कम नहीं हो सकती | जब तक ऐसी वारदातों को अंजाम देने वालों को जल्द कड़े से कडा दंड देने की व्यवस्था नहीं होगी तब तक इस मानसिकता को रोकना संभव नहीं होगा | मुस्लिम समाज के लिए भी ये घटना बड़ा सबक है | यदि वह इसका विरोध करने में संकोच करेगा तो फिर उसकी नीयत पर भी संदेह उत्पन्न हुए बिना नहीं रहेगा |
-रवीन्द्र वाजपेयी
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