Monday 14 May 2018

कर्नाटक : मोदी और राहुल दोनों का भविष्य दांव पर


कर्नाटक में 72 प्रतिशत मतदान के साथ मतदाताओं ने ये दिखा दिया कि कांग्रेस, भाजपा और जेडी(एस) की ओर से हुए जबरदस्त प्रचार से वे आकर्षित हुए हैं वरना अब तक का रिकार्ड तोड़ मतदान न हुआ होता। एक बात तो साफ  हो गई है कि सत्ता की लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। तमाम एग्जिट पोल में कहीं भी देवेगौड़ा परिवार के जेडी (एस) को बहुमत के इर्द गिर्द भी नहीं दिखाया गया। यद्यपि त्रिशंकु विधानसभा बनने की स्थिति में जेडी (एस) की कीमत बढ़ जाएगी लेकिन मुख्यमंत्री कांग्रेस या भाजपा से ही बनना तय है। वैसे राष्ट्रीय राजनीति का माहौल देखें तो देवेगौड़ा परिवार मूलत: समाजवादी विचारधारा वाले धड़े का प्रतिनिधित्व कर रहा है जिसका बड़ा हिस्सा कांग्रेस का समर्थक भले न हो लेकिन वह भाजपा का तो घोर विरोधी है। यही वजह है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद हेतु मल्लिकार्जुन खडग़े का नाम उछालकर वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने देवेगौड़ा खेमे के सामने दाना फेंक दिया है। दरअसल सिद्धारमैया कभी देवेगौड़ा के अनुयायी होते थे किंतु बाद में वे कांग्रेस में आकर मुख्यमंत्री तक बन गए। देवेगौड़ा किसी भी सूरत में उनका समर्थन नहीं कर सकते। वहीं वरिष्ठ देवेगौड़ा (एच डी) ने भाजपा से अपनी घृणा पहले ही व्यक्त कर दी है। उस दृष्टि से त्रिशंकु की स्थिति में कांग्रेस की सरकार जेडी (एस) की बैसाखी पर बनना तय है किन्तु मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की जगह कोई और ही बनेगा। रही बात भाजपा की तो उसके लिए केवल तभी कोई अवसर है जब वह या तो स्पष्ट बहुमत लेकर आये या फिर उससे दो-चार सीटों से ही पीछे रहे वरना 2019 की संभावित विपक्षी मोर्चेबन्दी के लिहाज से उसके सभी विरोधी चाहे-अनचाहे उसके विरुद्ध एकजुट हो जाएंगे क्योंकि कर्नाटक में यदि मोदी-शाह को रोक लिया गया तो फिर इसी वर्ष के अंत  तक होने वाले मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में भाजपा के बेदखल होने की आशंका मजबूत हो  जाएगी। वैसे भाजपा ने 2013 के प्रदर्शन को सुधारकर कांग्रेस को जोरदार टक्कर दी है लेकिन भले ही अमित शाह और येदियुरप्पा कितना भी दावा करें लेकिन एक दो को छोड़कर कोई भी एग्जिट पोल उसे स्पष्ट बहुमत नहीं दे रहा। यदि ऐसा ही  हुआ तब ये एहसास पूरे देश में फैल जाएगा कि मोदी का करिश्मा  ढलान पर है। यूँ भी उनके भाषणों में अब पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पप्पू की छवि से बाहर आते जा रहे हैं। फिर भी कर्नाटक में भाजपा यदि सरकार बना ले गई तब कांग्रेस के प्रति अन्य विरोधी दलों का रवैया बदलने लगेगा और ममता बनर्जी, शरद पवार जैसे नेता ताकतवर हो जाएंगे। मंगलवार की दोपहर तक स्थितियां स्पष्ट हो जायेंगी। जिसके बाद देश में नए तरह का धु्रवीकरण देखने मिलेगा। दक्षिण के प्रवेश द्वार की कुंजी यदि भाजपा के पास आ गई तब वह 2019 के महासमर के लिए और ताकतवर बनकर उभरेगी। कांग्रेस के लिए भी ये जीवन-मरण का प्रश्न है क्योंकि उसके भविष्य कहे जाने वाले राहुल का अपना भविष्य इस चुनाव पर टिका है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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