Wednesday 30 May 2018

तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के ....

सीबीएसई के 10 वीं और 12 वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम केवल परीक्षार्थियों के ही नहीं अपितु देश के भविष्य का भी संकेत होते हैं। 500 में से 499 अंक प्राप्त कर पूरे देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करना वाकई बड़ी बात है। 10 वीं में तो 4 छात्रों ने ये कमाल कर दिखाया। दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहने वाले भी एक-एक अंक से ही पिछड़ते हैं। इसके चलते 90 फीसदी अंक लाने वाला छात्र मेधावी होते हुए भी सामान्य लगता है। राज्यों के शिक्षण मंडलों की परीक्षा में भी विद्यार्थी अब नए-नए कीर्तिमान स्थापित करने लगे हैं लेकिन सीबीएसई की परीक्षा में चूंकि पूरे देश के विद्यार्थी शामिल होते हैं इसलिए उसमें मिलने वाली सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि मिलती है। प्रश्नपत्रों का उत्तर देने की जो नई प्रणाली है उसमें ज्यादा अंक बटोरना आसान है लेकिन जिस तरह का प्रदर्शन आज के छात्र कर रहे हैं वह देखकर हर्ष मिश्रित गौरव की अनुभूति होती है। विशेष रूप से छात्राओं द्वारा जिस बड़े पैमाने पर प्रावीण्य सूची में अपना दबदबा कायम किया जाता है उससे आधी आबादी के उज्ज्वल भविष्य का आश्वासन भी मिलता है। महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानन्द ने 21 वीं सदी में भारत के पुनरुत्थान की जो भविष्वाणी की थी वह इन छात्रों के प्रदर्शन से सत्य साबित होती लगने लगी है। 25-30 बरस पहले के विद्यार्थी इतने मेधावी नहीं थे ये मान लेना सही नहीं होगा लेकिन उन दिनों किशोरावस्था में देश और दुनिया को जानने के अवसर इतनी मात्रा में सुलभ नहीं होने से विद्यार्थियों में अपने भविष्य के बारे में सोचने की वैसी प्रवृत्ति विकसित नहीं हो सकी जितनी आज के छात्रों में है। यही वजह है कि वे लक्ष्य बनाकर आगे बढऩा चाहते हैं और स्व. डॉ. एपीजे कलाम द्वारा बड़े सपने देखने की सीख को अपने जीवन में उतार रहे हैं। इस पीढ़ी में जो आत्मविश्वास है वही भारत की  शक्ति है जो उसे विश्व में सम्मानजनक स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है। भारतीयों की पहिचान अब एक वैश्विक समुदाय के तौर पर यदि होने लगी है तो उसमें उन युवाओं का ही योगदान है जिन्होंने अपनी मेधा और कठोर परिश्रम से विकसित देशों को भी उनकी सेवाएं लेने मज़बूर कर दिया। अंतरिक्ष विज्ञान, साफ्टवेयर, चिकित्सा, वित्त जैसे विविध क्षेत्रों में भारतवंशी विश्वस्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। सीबीएसई के नतीजों ने एक बार फिर पूरे देश को इस बात के लिए आश्वस्त कर दिया है कि आने वाले कुछ वर्षों में एक नए किस्म का नेतृत्व सामने आएगा जिसमें ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास का अद्धभुत समन्वय है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा वर्ग उन मतदाताओं का होगा जो 2000 या 2001 में जन्मे थे। इसलिए ये उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि राजनीतिक दलों को भी अब अपनी कार्यप्रणाली और प्राथमिकताएँ इन नवोदित मतदाताओं के अनुरूप बदलनी पड़ेंगी। उपसंहार के तौर पर कहें तो राष्ट्रीय स्तर पर निराशा, असन्तोष और अविश्वास के माहौल में इन छात्रों के लिए कवि स्व.प्रदीप की ये पंक्ति पूरी तरह सटीक बैठती है :- तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के ...।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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