Tuesday 22 May 2018

पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी में लाओ

पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर मोदी सरकार के कट्टर समर्थक तक उससे रूष्ट हैं । कच्चे तेल  के दामों में हुई अंतरराष्ट्रीय वृद्धि  बेशक इनके दाम बढऩे की प्रमुख वजह है । अमेरिका और ईरान के बीच सम्बन्धों में आये खिंचाव ने भी भारत जैसे देश की कमर तोड़ दी जो अपनी जरूरत का अधिकांश भाग आयात करता है । डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत भी रोजाना घट रही है । व्यापार घाटा भी अनुमानित से ज्यादा हो रहा है । वैश्विक हालात देखते हुए सुधार की गुंजाइश कम ही लगती है ऐसे में ये कहा जाने लगा है कि आगामी कुछ समय के  भीतर पेट्रोल 100 रु प्रति लीटर पहुंच जाएगा वहीं डीजल भी रिकार्ड तोड़ दामों पर बिकेगा। सरकार की तरफ  से जनता की तकलीफ  दूर करने के आश्वासन तो दिए जाते हैं किंतु होता कुछ नहीं । कल औद्योगिक संगठनों ने एक्साइज ड्यूटी घटाने की जो मांग की उस पर विचार करते हुए केंद्र सरकार को तत्काल तत्सम्बन्धी निर्णय लेना चाहिए  वरना न केवल आम जनता अपितु व्यापार और उद्योगों पर भी इसका विपरीत असर होगा । 2019 के लोकसभा चुनाव पर इस मूल्यवृद्धि के प्रभाव की समीक्षा शुरू हो गई है । अधिकतर लोग मानकर चल रहे हैं कि इससे भाजपा के प्रति मोहभंग हो रहा है लेकिन इस विषय को वोट और चुनाव से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए । जब भारत के सभी पड़ोसी देशों में पेट्रोल -डीजल सस्ता है तब हमारे देश में तेल कंपनियां जनता का तेल निकालने में क्यों नहीं झिझकतीं ये जांच का विषय है । बेहतर हो केंद्र सरकार बिना देर किए पेट्रोल डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लेकर आए वरना जनता का गुस्सा फूटने में ज्यादा देर नहीं है ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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