Monday 11 May 2020

कोरोना का टीका आने तक खतरा बना रहेगा



जैसे संकेत मिल रहे हैं उसके अनुसार 17 मई के बाद जनजीवन सामान्य बनाने के लिए अनेक निर्णय लिए जा सकते हैं। प्रवासी श्रमिकों को ले जाने वाली श्रमिक एक्सप्रेसों के जरिये तीन लाख से ज्यादा लोगों को उनके गन्तव्य तक पहुँचाने के बाद अब कल से प्रतिदिन तीस वातानुकूलित एक्सप्रेस चलाई जायेंगी। वहीं हवाई परिवहन प्रारम्भ करने के बारे में भी निर्णय लिया जा रहा है। देश भर में ग्रीन और ऑरेंज जोन के अंतर्गत उद्योग-व्यापार शुरू किया जा चुका है। हालाँकि श्रमिकों की कमी की वजह से अभी उनमें गति नहीं आई है लेकिन बाहर से लौट रहे श्रमिक इस कमी को दूर कर सकते हैं। आज प्रधानमन्त्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफे्रंसिंग के जरिये चर्चा करने के बाद आगे की कार्ययोजना तय करेंगे। चूँकि परिवहन सेवा शुरू की जा रही है इसलिए ये उम्मीद है कि सरकार बाजार खोलने के बारे में भी लचीला रुख अपनायेगी। इस बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि तीन चरणों के लॉक डाउन के बाद भी कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। कल रविवार को 4500 नये संक्रमित निकल आये। बीते एक सप्ताह के अंदर देश भर में 25000 नये मामले मिलने से आंकड़ा एकदम ऊपर चला गया जिसके कारण अब ये आशंका मजबूत होने लगी है कि जून के महीने में कोरोना संक्रमण के चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के बाद ही उसमें कमी आयेगी। लेकिन उससे पूरी तरह मुक्ति मिलने की कोई समय सीमा नहीं है। ऐसे में अब हमें उसके साथ सामंजस्य बिठाते हुए जीने की आद्त डालनी होगी। भले ही लम्बे लॉक डाउन के बावजूद कोरोना को पूरी तरह रोका नहीं जा सका लेकिन उसका ये सुपरिणाम तो हुआ ही कि अभी तक वह उस तीसरी पायदान तक नहीं पहुंचा जिसे सामुदायिक फैलाव कहा जाता है। देश में मिले कोरोना के कुल 67 हजार मरीजों में से एक तिहाई यानि 22 हजार तो केवल महाराष्ट्र अकेले के हैं। इसके अलावा गुजरात , दिल्ली और तमिलनाडू में 25 हजार संक्रमित पाए जा चुके हैं। इस प्रकार देश में कोरोना से पीडि़त तकरीबन दो तिहाई मरीज उक्त चार राज्यों में ही हैं। इनके बाद राजस्थान, उप्र और गुजरात में अब तक तकरीबन 11 हजार कोरोना संक्रमित पाए गये हैं। इनको भी जोड़ दें तो कुल 66 हजार में से 55 हजार तो कुल सात राज्यों के हैं। कुल संक्रमित मामलों का लगभग 85 फीसदी देश के इन सात राज्यों में ही रहा। बाकी राज्यों में उस अनुपात में संख्या काफी कम है। इससे साबित होता है कि लॉक डाउन के कारण संक्रमण को कुछ राज्यों तक सीमित रखने में सफलता हासिल हुई। जिन शहरों में कोरोना का असर ज्यादा रहा वहां भी कुछ क्षेत्र विशेष ज्यादा प्रभावित् हुए जिन्हें हॉट स्पॉट मानकर घेराबंदी करने के उपरांत सघन जाँच की गयी। ऐसे में लॉक डाउन नहीं होता तो संक्रमण पूरे शहर में फैलने का खतरा था। इस प्रकार लॉक डाउन की एक उपलब्धि तो उसके फैलाव को कुछ शहरों और उनके भी कुछ क्षेत्रों तक रोकने में मिली कामयाबी है और दूसरे इसके कारण आम जनता को सोशल डिस्टेसिंग के तौर तरीके, मास्क का उपयोग और बिना जरूरत घरों से से बाहर न निकलने जैसी बातें समझाने का अवसर भी मिल गया। हालांकि प्रवासी श्रमिकों के लौटने के बाद संक्रमण का विस्तार होने की आशंका भी है। ये प्रक्रिया लम्बी चलेगी। गाँव पहुचने के 10 से 15 दिनों बाद तक उनको क्वारन्टीन में रखने के बाद ही पता चलेगा कि वे संक्रमण साथ लेकर तो नहीं लौटे? इसी तरह बाजार खुलने के बाद भी ये जरूरी होगा कि शारीरिक दूरी का पालन किया जाता रहे, वरना अब तक की समूची मेहनत मिट्टी में मिल जायेगी। रेलगाडिय़ों के चलने से भी संक्रमण के यहाँ से वहां पहुंचने की सम्भावना बढ़ेगी। लेकिन जैसे कि विभिन्न राज्यों से संकेत आ रहे हैं उनके मुताबिक़ कुछ राज्य तो लॉक डाउन को 30 मई तक बढ़ाये जाने के पक्षधर हैं लेकिन शेष राज्य कुछ शर्तों के साथ कारोबार एवं आवागमन खोलने के समर्थक हैं। प्रवासी मजदूरों के अलावा भी हजारों लोग ऐसे हैं जो बीते डेढ़ महीने से अपने शहर से बाहर फंसे हुए हैं। अभी उन्हें प्रशासन से विशेष अनुमति के साथ ही डाक्टरी जाँच का प्रमाणपत्र भी लेना अनिवार्य था। लेकिन सुना है अब जाँच की शर्त हटा ली जाएगी। मुम्बई तथा दूसरी जगहों पर रहने वाले प्रवासी मजदूरों को श्रमिक एक्सप्रेस में बैठने की पात्रता के लिए जिस डाक्टरी प्रमाण्पत्र की जरूरत थी, उसका धंधा जमकर चला। आरोप है कि दलालों ने डाक्टरों के साथ मिलकर खूब पैसे बटोरे। सुना है अब ये शर्त भी वापिस ले ली गई है। सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों के लिये घोषित किये जाने वाले राहत पैकेज का भी कारोबारी जगत को बेसबरी से इन्तजार है। जहाँ-जहाँ उद्योग-व्यापार की अनुमति मिल गई है वहां भी उक्त पैकेज की प्रतीक्षा हो रही है। उस दृष्टि से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की आज की चर्चा में काफी कुछ स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। संतोष की बात ये है कि इलाज करा रहे कोरोना मरीजों के ठीक होने का प्रतिशत भी बढ़ रहा है। कुल मिलाकर ये मानकर चलना चाहिए कि लॉक डाउन भले ही खत्म हो जाये लेकिन कोरोना से बचाव के लिए सतर्कता आगे भी जारी रहना होगी क्योंकि अब तो चिकित्सा जगत भी कहने लगा है कि जब तक इसका टीका (वैक्सीन) नहीं बनता तब तक इसे पूरी तरह रोक पाना नामुमकिन है। चीन के वुहान शहर में अभी तक कोरोना के नये मरीज मिल रहे हैं।

-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment