Wednesday 13 May 2020

पैकेज : ग्लोबल की जगह लोकल क्रांतिकारी साबित होगा




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं तब पूरे देश में एक आशंका सी तैर जाती है। नोट बंदी के बाद लॉक डाउन की घोषणा भी उन्होंने देश से बात करते हुए ही की। इसीलिये गत दिवस दिन के समय जब ये पता चला कि रात 8 बजे वे देश के नाम सन्देश देंगे तो सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कटाक्ष होने लगे। तीन मई को जब डाउन बढ़ाया गया तब उसकी घोषणा करने श्री मोदी टीवी पर नहीं आये थे। उस पर उनके विरोधियों ने ये तंज कसा कि वे देश से मुंह छिपाते फिर रहे हैं। लेकिन गत दिवस उनके टीवी पर आने की खबर आई तब कुछ लोगों ने ये तक कहा कि जब मुख्यमंत्रियों से 15 मई तक लॉक डाउन संबंधी सुझाव मांगे गये हैं तब इतनी जल्दी क्या पड़ी है ऐलान करने की। और भी टिप्पणियाँ आईं किन्तु रात प्रधानमंत्री देश से मुखातिब हुए और अपनी बात रखना शुरू किया तब सभी आशंकाएं दरकिनार हो गईं। उद्योग-व्यापार जगत के अलावा विपक्ष भी लगातार मांग करता आ रहा था कि सरकार आर्थिक पैकेज की घोषणा करे। सोनिया गांधी ने इस आशय के पत्र लिखे और राहुल गांधी अमेरिका में बैठे भारतीय मूल के आर्थिक विशेषज्ञों से पूछ - पूछ्कर सरकार को सलाहें भेजते रहे। रघुराम राजन ने गरीबों में 65 हजार करोड़ बांट देने का सुझाव श्री गांधी को दिया जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ सके और बाजार में मांग बढ़े। इस पर उन्होंने हर गरीब के खाते में 7500 रु. जमा करवाने की मांग भी सरकार से की। दूसरी तरफ उद्योग व्यापार जगत बेसब्री से सरकार द्वारा दी जाने वाली राहत का इन्तजार कर रहा था। विशेष रूप से छोटे व्यापारी और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी उद्योग) को ये भय सता रहा है कि लॉक डाउन खुलने के बाद वे अपना कारोबार दोबारा कैसे शुरू करेंगे ? पूंजी का अभाव, बैंकों का दबाव और बाजार में कमजोर मांग के कारण व्यवसाय को दोबारा गतिशील बनाना बेहद कठिन होगा। रोज कमाने रोज खाने वाला कारोबारी तो बीते लगभग 50 दिनों में तबाही के कगार पर जा पहुंचा है। दिक्कत तो निजी क्षेत्र के उस नौकरपेशा मध्यमवर्ग के सामने भी आई जिसकी नौकरी या तो चली गई या फिर वेतन में कमी हो गयी। ऐसे में हर वर्ग सरकार से अपेक्षा कर रहा था कि वह उसके लिए कुछ करे। प्रधानमंत्री ने अपने आधा घंटे के भाषण में शुरुवाती समय में पूरी तरह से आत्मनिर्भरता पर बल दिया और बिना नाम लिए स्वदेशी का संदेश देते हुए ग्लोबल की बजाय लोकल को प्राथमिकता देने का आह्वान कते हुए बहुत बड़ा नीतिगत वक्तव्य दे डाला। उन्होंने जनता को ये बतलाने में तनिक भी संकोच नहीं किया कि जो आज ग्लोबल ब्रांड हैं वे भी कभी लोकल हुआ करते थे। श्री मोदी ने इस तरह से चीन को एक तरह से संदेश भेज दिया। और फिर 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की जो घोषण की वह चौंका देने वाली थी क्योंकि अभी तक सरकार और रिजर्व बैंक ने मिलकर जितनी भी राहत का ऐलान किया वे ऊँट की मुंह में जीरा मानकर मजाक का पात्र बन गईं। उद्योग और व्यापार जगत के प्रतिनिधि सरकार के साथ बैठकें करते हुए अपनी अपेक्षाएं बता चुके थे। लेकिन उन्हें भी लगता था कि पहले घोषित पैकेज की तरह ही झुनझुना पकड़ा दिया जावेगा। लेकिन प्रधानमंत्री ने जब अपने उद्बोधन के उत्तरार्ध में 20 लाख करोड़ के पैकेज की बात की तो पूरे देश में उत्साह पैदा हो गया। हालांकि इसमें पहले घोषित पैकेज भी शामिल होने से लगभग 13 लाख 50 हजार करोड़ रु. अतिरिक्त मिलेंगे किन्तु श्री मोदी ने जिस तरह से सभी वर्गों का जिक्र किया उससे ये लगा कि पैकेज केवल बड़े लोगों तक सीमित नहीं रहेगा और उसमें किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग, छोटे तथा मध्यम कारोबारी, एमएसएमई, और बड़े उद्योग सहित सभी को कुछ न कुछ न कुछ  देने का प्रावधान होगा। प्रधानमंत्री ने पैकेज की विस्तृत जानकारी देने के लिए वित्तमन्त्री निर्मला सीतारमन को दायित्व सौंप दिया। अब सबकी नजर उन पर टिकी रहेगी। प्रधानमंत्री ने विदेशी ब्रांड के पीछे भागने की बजाय भारतीय उत्पादों को महत्व दिये जाने की जो बात कही उससे भारत में बनने वाले सामान के समक्ष मांग का संकट नहीं आयेगा। सबसे बड़ी बात ये होगी कि चीन में बने माल से तबाह हुआ घरेलू उद्योग पुनर्जीवित हो जाएगा। श्री मोदी ने खादी के ब्रांड बनने का जिक्र करते हुए आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास का समन्वय बनाने की बात कही और कुटीर तथा घरेलू उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने कुछ सुधार किये जाने पर भी जोर दिया। उनकी सरकार पर ये आरोप लग रहे थे कि दुनिया के तमाम देशों ने कोरोना संकट के समय आर्थिक गतिविधियों को बल देने के लिए अर्थव्यवस्था का 10 प्रतिशत तक बतौर राहत पैकेज दिया है। लेकिन भारत सरकार ने उसकी तुलना में बहुत ही मामूली राहत दी। लेकिन अर्थव्यवस्था का 10 फीसदी पैकेज देकर प्रधानमंत्री ने आलोचकों को फिलहाल तो ठंडा कर दिया। लेकिन वित्तमंत्री इस राशि का बंटवारा विभिन्न क्षेत्रों में किस तरह करती हैं ये आज शाम 4 बजे से पता लगना शुरू होगा। हालाँकि इस राशि का इंतजाम और राहत के लाभार्थी तक पहुंचने का समय और तरीका अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन 18 तारीख के बाद भी अलग रंगरूप वाले लॉक डाउन के स्पष्ट संकेत के साथ अर्थव्यस्था को दोबारा खड़ा करने में ये पैकेज प्राणवायु का काम करेगा ये उम्मीद कारोबारी जगत तो जता ही चुका है और आज सुबह शेयर बाजार ने भी अपनी खुशी जाहिर कर दी। यद्यपि अभी भी लोगों को आशंका है कि नौकरशाही का असहयोगात्मक रवैया इस खुशी को हवा में उड़ा देगा। ऐसे में सरकार को ये देखना होगा कि उसके द्वारा दिया गया पैसा सही हाथ में न सिर्फ  पहुंचे ही बल्कि पूरा हिस्सा उसे मिल सके। कोरोना के साथ जीने की बात दोहराकर श्री मोदी ने ये भी आगाह कर दिया कि मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन हमारी जिन्दगी से लम्बे समय तक जुड़े रहने वाले हैं।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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