Tuesday 19 May 2020

चीन भारत के बढ़ते महत्व से भन्नाया है




चीन के साथ लगी  सीमा पर आये दिन तनाव की खबरें आ रही हैं | यद्यपि बरसों से दोनों तरफ से एक भी गोली नहीं चली किन्तु चीन द्वारा  समय - समय पर भड़काऊ गतिविधियाँ होती रहती हैं | बीते कुछ दिनों में सिक्किम और लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई ,और  कहा सुनी के समाचार आये हैं | हिमाचल के स्पीती इलाके में वायु सीमा  के उल्लंघन की कोशिश भी चीन द्वारा की गयी | जैसा अभी तक होता आया है उसी तरह से मौके पर तैनात वरिष्ठ सैन्य अफसरों की बातचीत से विवाद आगे नहीं बढ़ा लेकिन चीन की ओर से कुछ न कुछ ऐसा किया जाता है जिससे भारतीय सैनिकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके | इस बारे में जो वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो  रहे हैं उनमें भारतीय पक्ष से बात कर  रहा अधिकारी जहाँ बड़े ही शांत भाव से चीनी सैनिकों को समझा रहा है वहीं चीनी सेना का एक अधिकारी बड़े ही तैश में धमकाने वाली शैली में चिल्लाता दिख रहा है | चीनी दुभाषिया दोनों पक्षों के बीच संवाद सेतु की भूमिका में है | रक्षा मंत्रालय के सूत्र इसे सामान्य घटना मानते हैं | इसकी वजह पिछले कई साल का अनुभव भी है | लेकिन अनेक अवसर ऐसे भी आए जब दोनों ही तरफ से सैन्य जमावड़ा होने की नौबत आई और लगा जैसे युद्ध होकर रहेगा लेकिन बातचीत से मामला सुलट गया | इसके दो कारण हैं | अव्वल तो भारत ने भी अग्रिम सीमाओं तक सैन्य बल और साजो - सामान पहुँचाने के लिए सड़क और हवाई पट्टी बना ली हैं और युद्ध संबंधी संसाधनों के मामले में भी वह पहले से कहीं बेहतर है | दूसरी बात चीन के भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते इतने गहरे हो गये कि वह छोटे - छोटे कारणों से उन्हें खराब नहीं करना चाहता | ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ने में व्यस्त है और खुद चीन भी उससे पूरी तरह उबर नहीं पाया है तब सीमा पर बेवजह तनाव पैदा करने का कारण क्या है ? और इसका  जवाब है  भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर चीन की घेराबंदी के अलावा गिलगित पर अपने आधिपत्य का ऐलान | लेकिन सबसे ज्यादा नाराजगी बीजिंग को है  चीन से उठकर बाहर आने वाले कम्पनियों को भारत द्वारा अपने यहाँ आने के लिए आकर्षित करना | प्रधानमन्त्री ने बीते दिनों देश के नाम अपने संदेश में आत्मनिर्भर भारत अभियान की  शुरुवात करते हुए  ग्लोबल ब्रांड की बजाय लोकल (स्थानीय) के प्रति वोकल ( मुखर ) होने का जो नारा दिया उसे अप्रत्यक्ष रूप से चीन के विरूद्ध ही माना जा रहा है | उसके बाद से स्वदेशी के पक्ष में जो प्रातिक्रियाएं आईं चीन सरकार ने उनका संज्ञान  अत्यंत ही  गम्भीरता से लेते हुए भारत को छेड़ने का काम शुरू कर  दिया | मानसरोवर यात्रा में समय की बचत करने के उद्देश्य से बनाई जा रही एक सड़क का नेपाल द्वारा जिस अंदाज में विरोध किया गया उसके पीछे भी चीन का हाथ होने की आशंका तो बिना नाम लिए थल सेनाध्यक्ष तक ने जताई है | विश्व स्वास्थ्य संगठन में भारत द्वारा चीन की अपेक्षा ताइवान को महत्व देने की जो रणनीति बनाई गयी उससे भी वह भन्नाया हुआ है | कोरोना को लेकर चीन की छवि पूरे विश्व में खराब हुई जबकि भारत ने जिस तरह से कोरोना का सामना किया और खुद संकट  में रहते  हुए भी दूसरे देशों की  सहायता की , उसकी वजह से उसकी छवि एक जिम्मेदार देश के तौर पर मजबूत हुई | ताजा खबर ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रबंधन में भी भारत को महत्वपूर्ण दायित्व मिलने वाला है | इन्हीं सब खिसियाहटों की वजह से चीन भारत के प्रति  खुन्नस निकालने का बहाना तलाश रहा है | उसे ये बात भी हजम नहीं हो रही कि भारत कोरोना का मुकाबला करते हुए भी सामान्य बना हुआ  है | लॉक डाउन के जरिये संक्रमण के फैलाव  को रोकने के साथ ही मृत्यु दर को काफी नियंत्रित किये जाने की भारतीय उपलब्धि से उसे  शर्मिन्दगी महसूस हो रही है | ये बात तो सर्वविदित है कि चीन भारत को अपना जन्मजात शत्रु मानता है | यद्यपि  उसे भी पता है कि आज का भारत 1962 वाला साधनहीन मुल्क नहीं है और हर मोर्चे पर चीन से भिड़ने में  सक्षम है | इसीलिये सीमा पर तनाव पैदा कर वह  भारत को बेवजह परेशानी में डालकर दबाव बनाने की  चाल चल रहा है | भारत ने चीन की तरफ से हो रही हरकतों का जवाब बेहद ही संयत तरीके से देते  हुए जाल में नहीं फंसने की जो नीति अपना रखी है उससे उलटा चीन तनाव में आ रहा है | लेकिन किसी भी प्रकार  की खुशफहमी पाल लेना गलत होगा | भारत ही नहीं पूरी दुनिया चीन को चालाक और धूर्त मानने लगी है | ऐसे में भारत का पलड़ा तो भारी है परन्तु चीन अविश्वसनीयता की प्रतिमूर्ति है | वह क्या कर बैठे  ये  कहना कठिन है | पाकिस्तान के साथ मिलकर वह ऐसी कोई स्थिति भी बना सकता है जिससे  भारत को दोहरे मोर्चे पर जूझना पड़े | इसलिए सतर्कता की बेहद जरूरत है |

-रवीन्द्र वाजपेयी

 

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