Wednesday 21 March 2018

पार्टी और सरकार दोनों की फजीहत करवा दी रामपाल ने

और कोई होता तो पूरे परिवार को थाने में बिठा दिया जाता लेकिन जब सामने सरकार का मंत्री हो तो पुलिस का सारा रौब-रुतबा हवा में उड़ जाता है। मप्र सरकार के मंत्री रामपाल सिंह की पुत्रवधु द्वारा आत्महत्या के बाद उत्पन्न स्थितियों ने आम और खास का अंतर एक बार फिर स्पष्ट कर दिया। परसों तक मृतका को पत्नी नहीं मानने वाले मंत्री जी के पुत्र ने गत दिवस श्मसान पहुंचकर उसकी अस्थियां संचित कर नदी में प्रवाहित कर दीं। उसके बाद मंत्री जी ने सफाई दी कि यदि बेटे ने मृतका को पत्नी मान लिया तब उन्हें भी कोई ऐतराज नहीं है। बीते चार दिनों तक रामपाल सिंह भी इस बात पर अड़े रहे कि आत्महत्या करने वाली युवती उनकी पुत्रवधू नहीं थी। इसे लेकर विधानसभा और उसके बाहर भी हल्ला मचा। मंत्री जी के जातीय समुदाय में भी उनके विरुद्ध रोष व्याप्त हो गया। विवाद की जड़ मंत्री जी द्वारा बेटे के दूसरे विवाह की तैयारी थी जबकि मृतका से वह आर्यसमाज मंदिर में विवाह कर चुका था। मृतका द्वारा छोड़े गए पत्र में दी गई विवाह की जानकारी को मंत्री जी असत्य मानकर अड़े रहे। अंतिम संस्कार में शरीक नहीं होने के लिए भी बहाने बनाए गए लेकिन जब चारों तरफ से थू-थू होने लगी और विवाह के प्रमाण सामने आ गए तब नाटकीय तरीके से मंत्री पुत्र ने श्मसान से अस्थियां एकत्र कर पति धर्म निभाया। विपक्ष मंत्री को हटाने का दबाव बना रहा है जिसमें गलत कुछ भी नहीं है। लेकिन मामला कानूनी से ज्यादा नैतिकता और उस राजनीतिक शुचिता का है जिसकी दुहाई भाजपा सुबह-शाम दिया करती है। चुनाव वर्ष में इस तरह की घटनाओं का राजनीतिक प्रभाव भी पडऩा स्वाभाविक है लेकिन भाजपा के नेतृत्व को उससे ऊपर उठकर नीर-क्षीर विवेक का परिचय देना चाहिए। रामपाल सिंह प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री तो हैं ही, मुख्यमंत्री के करीबी भी हैं। पार्टी संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ है। ऐसे व्यक्ति को खुद होकर न्यायसंगत व्यवहार करना चाहिए था। अपने पुत्र की करतूत पर पर्दा डालने की बजाय पहले दिन ही सत्य को स्वीकार कर वे न्यायप्रिय होने का प्रमाण दे सकते थे किंतु सत्ता की ठसक में जबरन अड़े रहे और जब इज्जत का फालूदा बन गया तब जाकर सच को शिरोधार्य किया। देखना ये है कि प्रदेश का महिला आयोग और भाजपा का महिला मोर्चा अपनी सरकार के मंत्री और उनके बिगड़ैल बेटे के गैर जिम्मेदाराना रवैये के विरुध्द क्या कदम उठाता है? फिलहाल तो रामपाल सिंह ने भाजपा और सरकार दोनों की भद्द पिटवाकर रख दी। पता नहीं शिवराज सिंह ने उन्हें अब तक सरकार से बाहर क्यों नहीं किया? आखिर एक मंत्री और उनके बेटे के विरुद्ध निष्पक्ष कार्रवाई पुलिस भला कैसे कर सकेगी?

-रवीन्द्र वाजपेयी

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