Friday 30 March 2018

सीबीएसई प्रमुख और जावड़ेकर दोनों हटें


सीबीएसई केंद्र सरकार द्वारा संचालित शिक्षा मंडल है। देश के बड़े हिस्से में इसके पाठ्यक्रम अनुसार शिक्षण और परीक्षाएं होती हैं। जिन राज्यों के अपने शिक्षण मंडल हैं उनमें भी अधिकतर प्रतिष्ठित विद्यालयों ने स्वयं को सीबीएसई से जोड़ रखा है। गुणवत्तायुक्त कार्यशैली और पारदर्शिता की वजह से ये संस्थान काफी सम्मानित रहा है लेकिन बीते दिनों कुछ प्रश्नपत्र लीक हो जाने से न सिर्फ सीबीएसई अपितु केंद्र सरकार की भी जमकर थू-थू हो रही है। राहुल गांधी ने विभिन्न क्षेत्रों में हुई धांधलियों को इससे जोड़कर जो तंज किया वह गलत नहीं है। पर्चा लीक होने की खबर मिलते ही उसकी परीक्षा रद्द कर दी गई। ये आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि पहले वाले प्रश्नपत्र भी आउट हो गए थे। इस आधार पर पूरी परीक्षा दोबारा करवाने की मांग भी उछलने लगी। देश भर में लाखों छात्र बुरी तरह परेशान हैं। उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। सीबीएसई आश्वासन दे रही है कि जो भी निर्णय होगा उसमें छात्रों का ध्यान रखा जावेगा। पर्चा लीक करने वाले गिरोह के लोगों की धरपकड़ भी जारी है। व्हाट्स एप पर पर्चा लीक कर बेचने वालों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने की बात मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों के समक्ष करते हुए सरकारी औपचारिकता पूरी की किन्तु न तो श्री जावड़ेकर और सीबीएसई प्रमुख ने नैतिक दायित्व लेकर हटने का इरादा जताया और न ही सरकार ने उन्हें हटाने का कोई संकेत ही दिया। इस तरह इतनी बड़ी घटना को भी मामूली मानकर निबटाने की परिपाटी निभाई जा रही है। अच्छा होता प्रधानमंत्री खुद होकर श्री जावड़ेकर को पद त्यागने कहते वहीं दूसरी तरफ  सीबीएसई प्रमुख को जांच होने तक कम से कम छुट्टी पर तो भेजा ही जा सकता था। भले ही पूरे मामले में मंत्री सीधे जिम्मेदार न माने जाएं किंतु इस अभूतपूर्व विभागीय गड़बड़ी के लिए उन्हें कुछ न कुछ दण्ड तो मिलना ही चाहिये। यदि ऐसा नहीं किया जाता तब दायित्वबोध शब्द को ही शब्दकोश से हटा ही दिया जावे क्योंकि वह अपना अर्थ खोता जा रहा है ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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