Friday 13 April 2018

आधी रात का सियासती नुक्कड़ नाटक


जो लोग देर रात तक टीवी देखते हैं उन्हें बीती रात दिल्ली के इंडिया गेट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का नाटकीय धरना देखने मिला। उसके पहले 10 बजे के करीब उन्होंने ट्वीट करते हुए कांग्रेसजनों से इंडिया गेट पहुँचने का आह्वान किया था।  मकसद उन्नाव और कठुआ कांड को लेकर सरकार को जगाना बताया गया। शुरू-शुरू में लगा राहुल ने किसी बड़े आंदोलन की शुरुवात करने ये कदम उठाया लेकिन कुछ देर में ही साफ  हो गया कि  वह पूर्वनियोजित था। दिल्ली में मौजूद तमाम कांग्रेस नेताओं के अलावा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, इंडिया गेट पर हाथों में तख्तियां लिए जमा हो गए। नारेबाजी शुरू हो गई। टीवी कैमरों में सीधा प्रसारण शुरू हो गया। अचानक राहुल की बहिन प्रियंका वाड्रा, उनके पति रॉबर्ट वाड्रा और उनके दोनों बच्चे भी भीड़ में नजर आने लगे। इस पारिवारिक उपस्थिति से माजरा और स्पष्ट हो गया। प्रियंका को देखते ही कार्यकर्ता उनके पास जाने लपके जिसकी वजह से धक्कामुक्की हुई। राहुल तो खैर इस सबके आदी हैं लेकिन शौकिया राजनीति करने वाली प्रियंका को ये बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने लोगों को लताड़ लगते हुए कहा जिन्हें धक्कामुक्की करनी हो वे चले जाएं।  टीवी रिपोर्टर भीड़ दिखाकर आधी रात के समय राहुल के आक्रामक कदम का महिमामंडन करने में जुटे थे। गर्मियों में दिल्ली का इंडिया गेट देर रात तक गुलजार रहता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए राजधानी में ये आमोद प्रमोद की सबसे अच्छी , सस्ती और सुलभ जगह है। राहुल के साथ आये सैलाब ने लोगों में उत्सुकता जगा दी। यातायात अवरुद्ध हो गया। राहुल -प्रियंका ने जमीन पर बैठकर धरने को औपचारिक स्वरूप प्रदान किया। टीवी चैनलों को अर्धरात्रि में बढिय़ा ब्रेकिंग न्यूज मिल गई और तकरीबन डेढ़ से दो घण्टे के भीतर पूरा तमाशा खत्म हो गया। ज्योंही राहुल ने प्रियंका को अपनी कार में बिठाकर वहां से रवानगी डाली त्योंही मजमा सिमट गया। शुरू में जो चैनल उक्त आयोजन को सर्जिकल स्ट्राइक जैसा पेश कर रहे थे वे ही आखिर में उसे राजनीतिक ड्रामा बताने लगे। भले ही राहुल ने अपने उस कदम को राजनीति से परे बताया हो लेकिन दुष्कर्म के विरुद्ध मोमबत्तियाँ जलाकर आक्रोश की अभिव्यक्ति का जो दृश्य निर्भया कांड के समय दिखाई दिया उसकी नकल करने में भी वे सफल नहीं हो सके। प्रियंका की अपने पति और बच्चों के साथ उपस्थित भी अटपटी सी थी। कुल मिलाकर ये लगा कि गुजरात चुनाव के बाद बेहद आक्रामक शैली का प्रदर्शन कर रहे राहुल जिन इवेंट मैनेजरों के निर्देशन में चल रहे हैं वे बहुत परिपक्व नहीं हैं। इस तरह की नुक्कड़ नाटक शैली की सियासत भले ही कुछ देर के लिए टीवी पर दिख जाए किन्तु प्रभाव नहीं छोड़ पाती। लगता है राहुल को पता चल गया था कि उन्नाव के भाजपा विधायक को सीबीआई पकडऩे वाली है इसीलिए उन्होंने आधी रात के समय इंडिया गेट पर सियासती शॉर्ट फिल्म की शूटिंग जैसा नजारा पेश किया। हो सकता है राहुल, प्रियंका, रॉबर्ट वाड्रा सहित वहां पहुँचे नेताओं को बहुत संतोष हुआ हो लेकिन एक राष्ट्रीय नेता के तौर उन्हें इस तरह के कदमों से बचना चाहिए। पूरे कार्यक्रम के दौरान लगता रहा कि आयोजन का उद्देश्य प्रियंका को सामने लाना था जिनके बारे में चर्चा है वे अपनी माँ की सीट रायबरेली से अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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