Wednesday 25 April 2018

रेणुका का बयान : महिला सांसदों का अपमान

मुम्बई फिल्म उद्योग की प्रसिद्ध नृत्य निर्देशिका सरोज खान ने दो दिन पूर्व ये कहकर सनसनी मचा दी थी कि कास्टिंग काउच (काम के बदले  महिलाओं का शोषण) तो बाबा आदम के ज़माने से चला आ रहा है। लेकिन महिलाओं के साथ दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के सन्दर्भ में सरोज ने ये तंज भी कस दिया कि  फिल्म उद्योग महिला का शोषण कर छोड़ नहीं देता अपितु रोटी अर्थात काम भी देता है। उनकी बात पर लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि फिल्म उद्योग में महिलाओं के शोषण की अवधारणा बहुत सामान्य है। अनेक मामलों में तो आपराधिक प्रकरण तक दर्ज हुए जिसमें मधुर भण्डारकर का प्रकरण काफी चर्चित हुआ जिसमें एक युवती ने उन पर फिल्म में भूमिका देने के नाम पर शारीरिक शोषण का मुकदमा दर्ज किया था। इसके अलावा कई बड़ी नायिकाओं ने भी समय-समय पर प्रत्यक्ष और अप्रत्क्ष दोनों तरह से स्वीकार किया कि फिल्म उद्योग में जगह बनाने के लिए उन्हें शोषण का शिकार होना पड़ा था। बावजूद इसके आम जनता ग्लैमर की दुनिया में प्रचलित स्वच्छन्दता को सहज-स्वाभाविक मानकर नजरअंदाज कर देती है लेकिन सरोज खान के सार्वजनिक बयान का लोग पूरी तरह संज्ञान ले पाते उसके पहले ही कांग्रेस नेत्री रेणुका चौधरी ने ये कहकर बवाल मचा दिया कि कास्टिंग काउच केवल फिल्म उद्योग तक ही सीमित न रहकर हर क्षेत्र में होता है और संसद तक इससे अछूती नहीं है। रेणुका हाल ही में राज्यसभा से निवृत्त हुई हैं। अपने बिंदास व्यवहार और बयानों की वजह से वे पहले भी चर्चाओं में रही हैं। हाल ही में राज्यसभा में उनके अट्टहास शैली में हंसने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटाक्ष को लेकर काफी हंगामा हुआ था। लेकिन रेणुका द्वारा सरोज खान के बयान को विस्तार देते हुए संसद में भी कास्टिंग काउच यानि महिलाओं के शोषण जैसी बात कहकर नई बहस को जन्म देने के साथ ही महिला सांसदों के लिए अपमानजनक स्थिति उत्पन्न कर दी। संसद के दोनों सदनों में रह चुकीं रेणुका देश की अग्रणी एवम मुखर महिला सांसद रही हैं। तेलुगु देशम से सियासत शुरू करने के बाद वे कांग्रेस में आईं और अब तक यहीं हैं। उनका ताजा बयान आसानी से उपेक्षित करने लायक नहीं है क्योंकि संसद में काम के बदले महिलाओं के शोषण जैसी बात इसके पहले कभी किसी ने भी नहीं कही। नेताओं के निजी जीवन को लेकर चर्चाएं होती रही हैं। उनमें कुछ पर खुलकर तो कुछ पर दबी जुबान टीका - टिप्पणी भी होती आई है लेकिन लंबे समय से संसद में रहने वाली रेणुका ने जिस संदर्भ में कास्टिंग काउच के संसद तक फैलने जैसी बात स्वीकारी वह गहराई से चुभने वाली है, क्योंकि राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। बड़ी संख्या में सुशिक्षित युवतियां भी राजनीति को बतौर कैरियर बनाने की महत्वाकांक्षा से भरी हुई हैं। ऐसे में श्रीमती चौधरी जैसी वरिष्ठ नेत्री द्वारा संसद में भी फिल्म उद्योग की तरह महिलाओं के शोषण की पुष्टि करते हुए सभी महिला सांसदों के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी है। आश्चर्य की बात ये है कि अब तक उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। सरोज खान तो खैर जिस क्षेत्र में है, वहां महिलाओं के शोषण के किस्से सुने-सुनाए जाते रहे हैं लेकिन संसद के बारे में ऐसी सोच शायद ही किसी ने जाहिर की हो। रेणुका महिलाओं को नेतृत्व में भागीदारी देने के लिए चलने वाली मुहिम में सदैव आगे-आगे रही हैं। ऐसे में उन्हें इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि संसद में भी महिलाओं के शोषण जैसी बात कहने का आधार क्या था? यदि वे ऐसा नहीं करतीं तो संसद से जुड़ी तमाम महिलाओं की छवि पर इसका विपरीत असर होगा। प्रधानमन्त्री द्वारा हास-परिहास में उन पर की गई टिप्पणी को समूची महिलाओं का अपमान बताकऱ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की जिद पकडऩे वाली  रेणुका ने महिला होते हुए भी संसद में भी कास्टिंग काउच जैसी बुराई की मौजूदगी बताकऱ महिला सांसदों का जो अपमान किया, क्या वह विशेषाधिकार हनन नहीं है? कांग्रेस पार्टी की वास्तविक सर्वोच्च नेत्री आज भी एक महिला ही है। लोकसभा अध्यक्ष के पद पर भी  महिला सुशोभित है। विदेश और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का दायित्व भी महिलाएं सम्भाल रही हैं। ऐसे में श्रीमती चौधरी का सन्दर्भित बयान घोर आपत्तिजनक है जिसका पूरी संसदीय बिरादरी को विरोध करना चाहिए। संसदीय राजनीति से लंबे समय तक जुड़ी रही एक महिला द्वारा कही गई उक्त बात केवल महिला सांसदों का ही नहीं अपितु पूरी संसद के चरित्र पर आक्षेप है। कांग्रेस पार्टी इस बयान को रेणुका की निजी राय बताकर पिंड नहीं छुड़ा सकती क्योंकि ये कोई साधारण बयान नहीं है। बेहतर हो खुद सोनिया गांधी को इस बारे में कड़ाई से पेश आना चाहिये क्योंकि रेणुका द्वारा कही गई कास्टिंग काउच नामक वायरस के संसद तक फैल जाने की बात का सम्बन्ध किसी व्यक्ति विशेष या राजनीतिक दल से न होकर संसद से जुड़ी प्रत्येक महिला से है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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