Wednesday 13 December 2017

मौजूदा विवि की सेहत भी देखें

जबलपुर में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी खोलने का आश्वासन देकर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता को खुश कर दिया। इसी के साथ इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी भी जबलपुर के खाते में आने की पुष्टि कर दी  गई। स्मरणीय है रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अलावा जबलपुर में  मेडीकल, कृषि और पशु चिकित्सा विवि भी पहले से हैं। ट्रिपल आईटी भी ऑटोनॉमस होने से विवि की हैसियत रखता है। निजी क्षेत्र के कुछ विवि भी निकट भविष्य में यहां शुरू होने वाले हैं। उच्च शिक्षा के संस्थान देश की बड़ी जरूरत हैं। बड़ी आबादी के अनुपात में आज भी पर्याप्त विवि नहीं हैं। लेकिन ये भी सही है कि मौजूदा विवि आर्थिक और प्रशासनिक तौर पर बेहद खराब स्थिति से गुजर रहे हैं। शिक्षकों का अभाव होने से संविदा नियुक्तियों से काम चलाया जा रहा है। अधिकतर पाठ्यक्रमों के लिए विवि अनुदान आयोग से राशि नहीं मिलने के कारण मोटी फीस वसूलने का चलन चल पड़ा है। जबलपुर में मेडीकल विवि बने लगभग 6 वर्ष हो गए लेकिन अभी तक न उसका अपना भवन है न ही समुचित प्रशासनिक ढांचा। रानी दुर्गावती विवि 60 साल पुराना हो चुका है लेकिन उसकी स्थिति दिन ब दिन दयनीय होने से वह अपना गौरव बरकरार नहीं रख पा रहा। निजी विवि की आवक से उससे सम्बद्ध महाविद्यालयों की संख्या घटने का खतरा पैदा हो गया है। जो स्थिति दिखाई दे रही है उसके मद्देनजर नए विवि खोलने के पहले मौजूदा संस्थानों की हालत सुधारना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए वरना फटेहाली की स्थिति में और बच्चे पैदा करने जैसी स्थिति बनती जाएगी। शिक्षा के क्षेत्र में  निजी क्षेत्र की बढ़ती दखलंदाजी से उत्पन्न प्रतिस्पर्धा से गुणवत्ता बढ़े तो वह स्वागतयोग्य है लेकिन उससे वर्तमान सरकारी विवि दम तोडऩे लगें तो उच्च शिक्षा पूरी तरह बाज़ारवादी ताकतों के शिकंजे में फंसकर रह जाएगी। जबलपुर में लॉ यूनिवर्सिटी खुलना गलत नहीं है किन्तु उससे भी जरूरी है कि पहले से जो सरकारी विवि चल रहे हैं उनको सेहतमंद बनाया जावे वरना आगे पाट पीछे सपाट की स्थिति बनती जाएगी।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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