Monday 4 December 2017

सामयिक : रवीन्द्र वाजपेयी राहुल :अंकलनुमा चेहरों से मुक्ति पर काफी कुछ निर्भर

राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना सुनिश्चित है। वे कितने सफल रहेंगे ये कहना फिलहाल कठिन है क्योंकि बतौर उपाध्यक्ष वे कुछ खास नहीं कर सके । पार्टी का महामन्त्री बनते ही उन्होनें युवा नेताओं की टीम बनाई थी । उम्मीद रही कि वे उन जनधारविहीन दरबारी नेताओं से कांग्रेस को मुक्ति दिलवाएंगे जो वक़्त के साथ चलने में समर्थ नहीं हो सके । कहते हैं ये नेता ही सोनिया जी पर दबाव डालकर उनकी ताजपोशी टलवाते रहे । अब जबकि श्रीमती गांधी अस्वस्थतावश पार्टी का बोझ सम्भालने में खुद को सक्षम अनुभव नहीं कर रहीं तब जाकर अध्यक्ष पद पूरी तरह से राहुल को सौंपने का निर्णय किया गया ।

उप्र में अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करने का उनका निर्णय बेहद नुकसानदायक रहा । बावजूद उसके राहुल ने गुजरात में वही खतरा मोल लिया है।
अध्यक्ष बनते ही उन्हें गुजरात की चुनौती से रूबरू होना पड़ेगा । यदि कांग्रेस ने वहां सरकार बनाली तब राहुल निश्चित रूप से 2019 के फाइनल मैच हेतु वापसी कर पाएंगे लेकिन परिणाम विपरीत आने पर उनकी राह में नई नई मुसीबतें आकर खड़ी हो जायेंगीं।
वैसे अभी तक उनका गुजरात अभियान प्रभावशाली रहा है। चूंकि वहां मुकाबला सीधा भाजपा से है इसलिए उप्र की तरह विरोधी मत बंटने का खतरा नहीं है ।
राहुल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे अपने सहयोगियों का चयन किस तरह करते हैं क्योंकि कांग्रेस की मौजूदा टीम में बड़े नाम वाले कई ऐसे नेता हैं जो अब बोझ बन चुके हैं।
इन अंकलनुमा चेहरों की छंटनी वे किस तरह कर पाएंगे ये देखने वाली बात होगी।
वैसे वंशवाद की चर्चा को निरर्थक मानकर छोड़ दें तब भी ये कम विचारणीय नहीं है कि  इतनी पुरानी पार्टी एक परिवार पर ही इतनी आश्रित क्यों है??

No comments:

Post a Comment