Thursday 7 December 2017

येरुशलम: ट्रम्प ने आग में घी डाला

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा येरुशलम को इसरायल की राजधानी घोषित करने जैसा कदम पश्चिम एशिया के तनाव को और बढ़ा सकता है । ऐसे समय जब सीरिया संकट के चलते समूचा अरब जगत और काफी हद तक दुनिया का बड़ा भाग परेशानी से गुजर रहा हो ऐसी स्थितियों में ट्रम्प का ये एकतरफा ऐलान फ्लिस्तीनी मसले को नए सिरे से गर्मी प्रदान करने वाला हो सकता है । येरुशलम इसाई , यहूदी और इस्लाम तीनों धर्मावलम्बियों की आस्था का केंद्र है । 1967 के युद्ध में इसरायल ने इसे कब्जा लिया था । हालांकि यासेर अराफात के बाद फ्लिस्तीनी संघर्ष की धार कमजोर पड़ गई लेकिन मुस्लिम जगत को इस ऐतिहासिक शहर पर यहूदियों का एकाधिकार गंवारा नहीं होगा । आपसी लड़ाई में उलझे रहने से मुस्लिम देश इसरायल से पंगा लेने की स्थिति में नहीं हैं । सम्भवत: इसी का लाभ उठाकर ट्रम्प ने उक्त कदम उठा लिया लेकिन रूस और चीन इसे किस तरह  देखते हैं ये महत्वपूर्ण रहेगा । दूसरी तरफ  इसरायल के पड़ोसी अरब देश भी अमेरिका के इस चौंका देने वाले फैसले से भयभीत हो गए होंगे । सऊदी अरब और मिस्र की प्रतिक्रिया भी देखने लायक होगी । कुल मिलाकर कहें तो ट्रम्प का यह ट्रम्प कार्ड पश्चिम एशिया की कूटनीतिक और सामरिक परिस्थितियों में अमेरिका के वर्चस्व को स्थापित करने में कारगर भी हो सकता है लेकिन इससे वहां अन्य महाशक्तियों के हस्तक्षेप की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। लगता है उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह की तरह राष्ट्रपति ट्रम्प को भी बिना बवाल मचाए चैन नहीं आता । आईएसआईएस के आतंक से जल रहे अरब जगत के लिए येरुशलम सम्बन्धी अमेरिकी राष्ट्रपति का ऐलान आग में घी डालने जैसा ही है ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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