Saturday 30 December 2017

विधायक को चांटा : सर्दी में भी गर्मी का एहसास

गत दिवस शिमला में जो हुआ उसे अपवाद स्वरूप मानकर उपेक्षित कर देना ठीक नहीं होगा । हिमाचल प्रदेश में  कांग्रेस की पराजय का विश्लेषण करने पहुंचे पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी के कार्यक्रम में धक्का-मुक्की के माहौल में पहुंची डलहौजी की महिला विधायक आशा कुमारी को भीतर जाने से रोकने पर उन्होनें महिला कांस्टेबल को थप्पड़ रसीद कर दिया । यहीं तक बात सीमित रहती तब तक भी ठीक था लेकिन महिला कांस्टेबल ने भी एक थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल आगे करने के गांधीवादी तरीके की बजाय जैसे को तैसा जैसा का उदाहरण पेश करते हुए तत्काल उधारी चुका दी और विधायक जी को  जवाबी तमाचा लगाकर शिमला की सर्दी में भी गर्मी का एहसास करवा दिया । एक अदना सी महिला कांस्टेबल माननीय विधायक जी की शान में गुस्ताखी कर जाए ये मामूली बात नहीं होती । लोकतंत्र के ये नये सामन्त ही तो देश के असली मालिक बन बैठे हैं । लेकिन बुरा हो इन मोबाइल कैमरों का जिन्होंने थप्पड़ के आदान-प्रदान का पूरा दृश्य पलक झपकते पूरे देश को दिखा दिया । अब चूंकि हिमाचल की सरकार भी बदल गई है इसलिए विधायक जी पहले जैसा तुर्रा नहीं दिखा सकीं और मौके की नजाकत को भांपते हुए राहुल ने भी उन्हें कांग्रेस की संस्कृति का हवाला देते हुए कांस्टेबल से क्षमा याचना का आदेश दिया । चांटे के जवाब में चांटा खा चुकी विधायक जी के पास जब कोई और चारा नहीं बचा तो उन्होनें दिल पर पत्थर रख़कर उस महिला कांस्टेबल से अपनी विधायकगिरी हेतु माफी मांग ली । विधायक को चांटा मारने के एवज में चांटा जडऩे पर राज्य सरकार कांस्टेबल पर क्या कार्रवाई करेगी ये तो पता नहीं चला लेकिन इस छोटी से घटना से भविष्य की कई पटकथाएं तैयार हो गईं । वर्दीधारी ने चुनी हुई विधायक को सरे आम थप्पड़ मारकर बेशक अनुशासनहीनता दिखाई किन्तु उसके पूर्व विधायक द्वारा जो व्यवहार किया गया वह उससे कई गुना आपत्तिजनक और घटिया था । राहुल गांधी की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने प्रकरण को बड़ी ही चतुराई से निपटा दिया वरना इससे पार्टी की भी बदनामी होती । बहरहाल विधायक जी की ये सफाई हास्यास्पद है कि वे राजपूत हैं इसलिए उनका खून कांस्टेबल द्वारा उन्हें  आयोजन के प्रवेश द्वार पर रोके जाने से खौल गया और उसी जातिगत संस्कार ने उन्हें वैसा करने उकसा दिया । ज़ाहिर है राहुल दबाव न डालते तब विधायक जी कभी भी माफी न मांगतीं , उल्टे बेचारी कांस्टेबल नप जाती लेकिन श्री गांधी को भी धीरे-धीरे ये समझ आती रही है कि सामन्ती सोच अब गुजरे जमाने की चीज रह गई है । समय के साथ राजनेताओं का सम्मान भी पहले जैसा नहीं रहा । निश्चित तौर पर वे विशिष्ट होते हैं किंतु महामानव कदापि नहीं। यही वजह है कि देश भर से आए दिन उनके अमर्यादित व्यवहार पर हल्ला मचने की खबरें आया करती हैं। कभी विमान में तो कहीं ट्रेन में राजसी सत्कार की उम्मीद पूरी न होने पर विधायक और सांसदों द्वारा किये जाने वाले उत्पात पर उनकी जिस तरह खिंचाई होने लगी है वह इस बात का संकेत है कि अब निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भगवान मानने वाली अवधारणा लुप्त हो रही है और उनकी उल्टी सीधी हरकतों को हाथ जोड़कर बर्दाश्त करने की बजाय उन पर हाथ उठाने का दुस्साहस सामने आने लगा है । शिमला में जो हुआ उसे किसी पार्टी से जोडऩे की जगह व्यापक परिदृश्य के रूप में देखा जाए तो ये उस मामूली सी महिला कांस्टेबल के आहत स्वाभिमान का जीवंत प्रगटीकरण ही था । जनप्रतिनिधियों के भीतर पनपने वाले श्रेष्ठता के अहंकार को दूर करने का काम यदि उनके नेता नहीं करेंगे तो जनता कर देगी ये शिमला के उस प्रसंग ने बता दिया । इसका ये अर्थ नहीं कि पुलिस वालों को सांसद-विधायकों पर हाथ उठाने की छूट मिल गई है किंतु इतना तो कहा ही जा सकता है कि विधायक जी का राजपूती खून यदि अपनी तौहीन सहन नहीं कर सका तो पुलिस की वर्दी पहिनकर कानून व्यवस्था लागू करने के काम में लगी उस महिला कांस्टेबल के खून को पानी मानने की मानसिकता भी बदलनी चाहिये । उक्त घटना को मील का पत्थर या आदर्श भले न माना जाए किन्तु वह समाज की बदलती सोच और व्यवस्था के प्रति आक्रोश की अभिव्यक्ति तो कही ही जा सकती है। गऩीमत है एक दूसरे को थप्पड़ मारने वाली दोनों महिलाएं ही थीं । खुदा न खास्ता किसी पुरुष विधायक को महिला कांस्टेबल पीट देती तब और भी किरकिरी हो जाती । समय आ गया है जब सभी पार्टियां अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को शुद्ध हिंदी में समझा दें कि चुनाव जीतने का अर्थ ये नहीं कि वे सर्वशक्तिमान हो गए हैं ।  21 वीं सदी का देश और नई पीढ़ी इन जनप्रतिनिधियों के सम्मान के प्रति पूरी तरह सजग है किंतु ये तभी सम्भव हो पायेगा जब वे भी अपने पांव ज़मीन पर रखें। जनता का अपमान करने की ठसक के बदले उन्हें भी वही नसीब होगा जो गत दिवस हिमाचल की महिला विधायक महोदया को हासिल हुआ ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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