Thursday 7 December 2017

दिग्गी की कमी दूर कर दी कपिल ने



कपिल सिब्बल बड़े और कामयाब वकील हो सकते हैं किन्तु  राजनीति में बेहद कच्चे हैं । अतीत में भी वे अपनी कथनी और करनी  से कई मर्तबा कांग्रेस को मुसीबत में डाल चुके थे लेकिन परसों सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या विवाद की सुनवाई  २०१९ तक टालने की दलील को लेकर उनकी जो फज़़ीहत हुई उसके कारण गुजरात चुनाव में कांग्रेस को पूरी तरह रक्षात्मक होना पड़ गया । हालांकि श्री सिब्बल की दलीलों को उनके पेशे से जुड़ा बताकर पार्टी पहले ही पल्ला झाड़ चुकी थी लेकिन कल सुन्नी            वक्फ बोर्ड द्वारा उनके तर्कों से असहमति व्यक्त किये जाने के बाद से शुरू हुई सियासत ने श्री सिब्बल को हंसी का पात्र तो बनाया ही पूरी कांग्रेस पार्टी को भी बेमतलब ऐसे जाल में उलझा दिया जिससे निकलते-निकलते गुजरात चुनाव का पहला चरण सम्पन्न हो चुका होगा । कल रात तक यही संशय बना रहा कि सिब्बल साहब आखिर किस पक्षकार के वकील बनकर सर्वोच्च न्यायालय में मन्दिर मामले की सुनवाई टलवाने के लिए हाथ पांव मारते रहे? पहले वक्फ बोर्ड ने उनकी दलीलों से असहमति जताई किन्तु जब लगा कि उससे गुजरात में भाजपा को बिना मांगें मन चाही मुराद मिल गई तो फौरन पलटी मारकर श्री सिब्बल की दलीलों का समर्थन भी कर दिया गया । मुस्लिम संगठनों की ओर से आये परस्पर विरोधी अलग-अलग बयानों ने रही-सही कसर पूरी कर दी । जब तक स्थिति संभलती तब तक भाजपा के प्रवक्ता से लेकर तो प्रधानमंत्री तक ने श्री सिब्बल के बहाने कांग्रेस को चक्रव्यूह में घेर लिया । जब तक ये स्पष्ट हुआ कि सिब्बल साहब अयोध्या विवाद के मूल पक्षकार स्व.हाशिम अंसारी के पुत्र इक़बाल की ओर से पेश हुए तब तक तो मामला पूरे  तौर पर गड्डमगड्ड हो चुका था और किसी को समझ नहीं आया कि कौन सही और कौन गलत है ? लेकिन इतना तो साफ  हो ही गया कि समूचे विवाद की जड़ श्री सिब्बल ही थे जिन्हें कांग्रेस पार्टी न तो गलत कह पा रही थी और न ही सही । मुस्लिम संगठनों की ओर से भी हड़बड़ाहट में जिस तरह की सफाई या प्रतिक्रियाएँ  आईं उन सबने भी भाजपा को हमलावर होने का वह अवसर दे दिया जिसकी वह बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही थी । कुछ लोग कल के घटनाक्रम के दौरान कहते सुने गए कि ऊल जलूल बयान देकर पार्टी को मुसीबत में फंसाने वाले दिग्विजय सिंह के नर्मदा परिक्रमा पर रहने से कांग्रेस काफी राहत महसूस कर रही थी लेकिन गुजरात में मतदान के प्रथम चरण के ठीक पहले कपिल सिब्बल ने जो गैर जिम्मेदाराना काम कर दिया उसने दिग्विजय सिंह की कमी दूर कर दी । ये सवाल केवल गुजरात चुनाव  ही नहीं अपितु उसके बाद भी पूछा जाएगा कि श्री सिब्बल ने अयोध्या विवाद की सुनवाई टालने की दलील किसके कहने से दी थी क्योँकि मुस्लिम संगठन भी कह रहे हैं कि वे शीघ्र  निपटारा चाहते हैं । चूँकि श्री सिब्बल ने जो कुछ कहा वह अदालती बहस का हिस्सा था इसलिए कांग्रेस उन पर कोई कार्रवाई भले न करे किन्तु पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार सम्भालने जा रहे राहुल गांधी को बंदरों के हाथ से उस्तरा छीनने का साहस दिखाना होगा वरना  जरूरत से ज्यादा अक्ल रखने वाले महानुभाव अच्छी  भली पक रही खीर में हींग बघारने जैसी हरकतें दोहराते रहेंगे ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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