Tuesday 12 December 2017

मंत्री की जगह कोई और होता तो ....



मप्र सरकार के एक मंत्री लालसिंह आर्य को गिरफ्तार करने के लिए राज्य की पुलिस जैसी मोर्चेबन्दी कर रही है उसे देखते हुए लगता है जैसे वह किसी खूंखार आतंकवादी की तलाश कर रही हो। मंत्री जी के विरुद्ध अदालत ने हत्या के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है। काफी समय से वे गिरफ्तारी से बचते आ रहे हैं। विपक्ष उनकी बर्खास्तगी की मांग करता आ रहा है लेकिन मुख्यमंत्री और सत्ताधारी भाजपा उनके बचाव में जुटी रही। गिरफ्तारी वारंट जारी होने के उपरांत नैतिकता यही थी कि श्री आर्य स्तीफा देकर खुद को कानून के हवाले कर देते। जाहिर तौर पर वे ऊपरी अदालत से स्थगन आदेश प्राप्त करने में लगे होंगे। उधर पुलिस उन्हें भोपाल आकर दबोचने की योजना का ढिंढोरा पीट रही है। कुल मिलाकर इस मामले में सरकार और भाजपा दोनों जगहंसाई का पात्र बन रहे हैं क्योंकि मंत्री जी की जगह कई अन्य होता तो यही पुलिस उसे पाताल तक में ढूंढ लेती। कानून सबके लिए बराबर होता है के सिद्धांत का ऐसे मामलों में किस तरह मज़ाक बनता है ये सर्वविदित है। पहले भी ऐसा होता आया है और आगे भी होता रहेगा क्योंकि कानून बनाने वाले राजतन्त्र में भी उससे ऊपर थे और प्रजातन्त्र में भी ।

-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment