Thursday 2 July 2020

चीन पर दूसरा आर्थिक प्रहार वाकई जोरदार



सीमा पर शांति वार्ता जारी रहने के दौरान भारत द्वारा आर्थिक मोर्चे पर चीन की गर्दन दबाने के लिए किये जा रहे निर्णय दूरगामी असर डालने वाले साबित होंगे। बीएसएनएल में 5 जी उपकरण लगाने के काम में चीनी सामान के उपयोग पर तो पहले ही रोक लगाकर नया टेंडर जारी किये जाने का फैसला लिया जा चुका है। उसी के साथ रेलवे सहित अनेक सरकारी विभागों ने चीनी सामान के ऑर्डर रद्द करने के साथ ही भविष्य में चीनी कम्पनियों को काम नहीं देने का आदेश पारित कर दिया। इसी तरह सेना, अर्धसैनिक बल, पुलिस और केंद्र सरकार की सभी उपभोक्ता कैंटीनों में चीनी माल नहीं बेचे जाने का नीतिगत निर्णय भी लिया जा चुका है। उम्मीद थी कि इस बीच चीन सीमा पर शांति स्थापित करने की दिशा में सहयोगात्मक रवैया अपनाएगा किन्तु उसकी हठधर्मिता बढ़ती ही गयी। सीमा पर सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते के बाद भी गलवाल में हुआ खूनी संघर्ष इस बात का प्रमाण है कि चीन और कुत्ते की पूंछ कभी सीधे नहीं हो सकते। और ऐसे में भारत के सामने यही विकल्प बचा था कि वह उसकी अकड़ कम करने के लिए दूसरा मोर्चा खोले। केंद्र सरकार ने चीन के साथ हो रहे व्यापार को लेकर जो निर्णय लिए वे कारगर होते दिख रहे हैं। चीन के 59 एप प्रतिबंधित करने के कारण वहां की घरेलू कम्पनियों को पहली बार ये लगा कि राष्ट्रपति जिनपिंग द्वारा भारत के साथ की गई छेड़छाड़ उनके लिए कितनी महंगी साबित होने जा रही है। अमेरिका ने इस फैसले का समर्थन करते हुए 5 जी संबंधी चीनी तकनीक के प्रति अनिच्छा जताना शुरू कर दिया है। उधर यूरोप के कुछ और देश भी चीनी एप को डाटा चोरी का जरिया मानकर उनसे पिंड छुड़ाना चाह रहे हैं। भारत में जरूर एक तबका ऐसा है जिसने एप प्रतिबंधित करने का ये कहकर मजाक उड़ाया कि ये चीन की अर्थव्यवस्था का बहुत ही छोटा हिस्सा है और उससे उसे रती भर भी असर नहीं पड़ेगा। लेकिन वहां के सरकारी प्रचार माध्यमों ने ही ये माना है कि एप चलाने वाली कम्पनियों  को इस निर्णय से बड़ा नुकसान होगा। सबसे बड़ा भय एप कंपनियों को इस बात का है कि दूसरे देश भी यदि इसी दिशा में बढे तो उनका दिवाला निकल जाएगा। अभी इस फैसले की पूरी समीक्षा हुई भी नहीं थी कि गत दिवस केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश में सड़क निर्माण के काम से चीनी निर्माण कम्पनियों को बाहर करने की घोषणा कर डाली। यही नहीं भारतीय भागीदार के साथ भी चीनी ठेकेदार फर्मों को भारत में कार्य करने नहीं जाएगा। इस बारे में जो करार हो चुके हैं उन्हें रद्द करते हुए नये टेंडर निकाले जायेंगे। इस साल के बजट में बुनियादी ढाँचे के लिए 1 लाख करोड़ का भारी भरकम बजट है। कोरोना के कारण अनेक बड़े प्रकल्प अटक गये। बेहतर हो उनके नए टेंडर निकालकर भारतीय कंपनियों से काम करवाया जावे। इस बारे में कहना गलत नहीं होगा कि बीते अनेक वर्षों में चीन की निर्माण कंपनियों के कारण भारतीय ठेकेदार फर्मों के हाथ से बड़े-बड़े काम निकल गये। श्री गडकरी बहुत ही व्यावहारिक राजनेता हैं। उनके द्वारा लिए गये फैसले भावनात्मक और जल्दबाजी की बजाय वास्तविकता के धरातल पर होते हैं। देश भर में राजमार्ग , फ्लायओवर , पुल सहित बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होने हैं। कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए इस साल बुनियादी ढांचे के विकास के प्रकल्प तेजी से चलाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। यही एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये पूरी अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाया जा सकता है। ऐसे में चीनी निर्माण कम्पनियों को बाहर कर देने से घरेलू ठेकेदारों को काम मिलेगा। सरकार का ये फैसला भी बेहद बुद्धिमत्तापूर्ण है कि चीनी फर्म के साथ भागीदारी वाली भारतीय फर्म भी अयोग्य मानी जायेगी। हो सकता है शुरुवाती दौर में थोड़ी परेशानी सामने आये लेकिन इस समय भारत का उद्योग - व्यापार जगत चीन की चुनौती का सामना करने की मानसिकता के साथ उत्साहित है। भारत सरकार के हालिया निर्णयों से उनके बीच उत्साह का वातावरण है। भले ही नए सिरे से काम शुरू करने में कुछ विलम्ब हो और तब तक चीन के साथ सीमा पर शांति कायम हो जाये लेकिन आर्थिक मोर्चे पर भारत ने जो हमलावर रुख अपनाया है उसे जारी रखा जाना चाहिए। ये कहना गलत नहीं होगा कि जिन विपरीत परिस्थितियों में चीन ने सीमा विवाद को युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया उनमें भारत द्वारा जिस मुस्तैदी से उसका प्रतिरोध किया गया उससे पूरी दुनिया को ये लगा कि चीन को रास्ते पर लाने के लिए उससे दबने की बजाय पलटवार करना ही कारगर तरीका है। और वर्तमान दौर में चीन की दुखती रग उसका विदेशी व्यापार है। यदि उसमें एक चौथाई कमी भी आ गयी तो उसकी अर्थव्यवस्था पटरी से उतरते देर नहीं लगेगी और बेरोजगार लोग सरकार के विरुद्ध खड़े होने लगेंगे। सीमा पर तनाव घटाने के लिए सैन्य स्तर की वार्ताओं के बीच आर्थिक प्रतिबंधों के जरिये चीन पर प्रहार साहसिक कूटनीतिक दांव है जिसका वैश्विक प्रभाव पड़ जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। चीन से एक साथ अनेक मोर्चों पर टकराने के भारतीय हौसले पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हैं।

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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