Thursday 30 July 2020

फ़िल्मी दुनिया का असली चेहरा सामने आने लगा है सुशांत की मौत के साथ ही माफिया के धन का पर्दाफाश जरूरी




फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का प्रकरण भी फ़िल्मी पटकथा की तरह नए  - नए घुमाव ले रहा है | मुम्बई पुलिस की जाँच से असंतुष्ट सुशांत के पिता ने पटना में उसकी महिला मित्र रिया चक्रवर्ती , जिससे उसकी शादी होने की खबर थी , के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई | जिसके अनुसार रिया ने धोखे से उसके बैंक खाते से 15 करोड़ निकलवा दिए तथा उसे आत्महत्या के लिये  प्रेरित किया | इसके पहले खुद रिया  मुम्बई में सुशांत की मौत की जांच कराए जाने की मांग पुलिस से कर चुकी थी | इस बारे में अभी तक ये कहा जा रहा था कि फिल्म उद्योग में चल रहे परिवारवाद की वजह से उद्योग में जमे कुछ परिवारों के लड़के - लड़कियों को ही काम मिलता है | बाहरी दायरे से आई  नवोदित प्रतिभाओं को निरुत्साहित ही नहीं अपितु अपमानित और उपेक्षित करते हुए उनका भविष्य चौपट करने का षडयंत्र रचा जाता है | इसके चपेट में अभिनेता और अभिनेत्रियाँ ही नहीं  अपितु  गायक और संगीतकार भी आये बिना नहीं रहते |

चर्चा शुरू होते ही अनेक अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ ही ए.आर रहमान जैसे संगीतकार ने  ये माना कि उनसे भी काम छीनने की हरकतें हुई | फिल्म उद्योग के अनेक नामचीन निर्माताओं और  निर्देशकों के अलावा कुछ बड़े प्रोडक्शन हाउस इसे लेकर निशाने पर हैं | देखते - देखते एक बड़ा वर्ग ऐसा खड़ा  हो गया जिसके  अनुसार सुशांत की मौत स्वाभाविक नहीं थी ,  या तो उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित किया गया अथवा उसकी हत्या की गयी | कुछ सफल फिल्मों के बाद उसे जिस तरह से काम मिलना बंद हो गया था उससे वह परेशान होकर अवसाद की स्थिति में चला गया और उसकी वह दवाएं भी लेता था |

चूँकि उसने कोई पत्र नहीं छोड़ा था इसलिए प्रथम दृष्टया पुलिस ने उसे आत्मह्त्या  का साधारण  मामला समझकर बंद करना चाहा किन्तु जब चौतरफा हल्ला मचा तब एक विशेष जांच दल बनाकर बात आगे बढ़ाई गयी | सुशांत के सचिव और रिया  के साथ ही  फिल्म उद्योग के अनेक ऐसे लोगों  से घंटों पूछताछ की गई जिन पर सुशांत से काम छीनने की तोहमत फ़िल्मी जमात के भीतर से ही  लगाई गई  | 

इसी बीच सीबीआई जांच की गुहार दिवंगत अभिनेता के परिवारजनों द्वारा लगाये जाने के बाद भी महाराष्ट्र सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई | उसके बाद ही उसके पिता ने पटना में रिपोर्ट दर्ज करवाई जिस पर वहां की  पुलिस ने फ़ौरन मामला  कायम  करते हुई मुम्बई कूच कर  दिया | इधर बिहार पुलिस के हाथों   गिरफ्तार होने से बचने के लिए रिया चक्रवर्ती सर्वोच्च न्यायालय जा पहुंची | उसकी अर्जी है कि मामला मुम्बई में ही चले | सुशांत के पिता का मुम्बई और रिया के बिहार पुलिस पर अविश्वास के बीच महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने सीबीआई जाँच की फिर  मांग ठुकरा दी | वहीं  बिहार सरकार भी रिया की याचिका का विरोध करने सर्वोच्च न्यायालय जा पहुंची है | चूँकि सीबीआई से जाँच करवाना या न करवाना राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार की बात है इसलिए न्यायालय इस बारे में आदेश नहीं देता | लेकिन अब यह मामला बिहार की राजनीति का विषय बन गया है | बिहार सरकार के साथ ही राजग नेता तेजस्वी यादव भी  महाराष्ट्र पुलिस की जांच से असंतुष्ट हैं | भाजपा भी सीबीआई जाँच की  मांग  उठा चुकी है | कहा जा रहा है बिहार विधानसभा चुनाव में भी  सुशांत की मौत मुद्दा बनने जा रही है | स्मरणीय है वह पटना का रहने  वाला था |

रिया चक्रवर्ती इस मामले में कितनी दोषी  हैं ये कहना मुश्किल है किन्तु  बिहार पुलिस  से बचने का उसका प्रयास संदेह पैदा करता है | लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ा मुद्दा फिल्म उद्योग के वे बड़े चेहरे  हैं जिन पर परिवारवाद के कारण फ़िल्मी दायरे के बाहर से आकर संघर्ष से सफलता हासिल करने वाले कलाकारों को हतोत्साहित करने का आरोप है | सुशांत का परिवार तो शोक संतप्त है किन्तु जब फ़िल्मी दुनिया के अनेक कलाकारों ने खुलकर इस तरह का आरोप लगाया तब तो मामला जांच योग्य बनता ही है | बात केवल फिल्मों तक सीमित न रहकर टीवी धारावाहिकों से कलाकारों की अचानक छुट्टी  किये जाने तक भी जा पहुंची | फिल्म और टीवी की दुनिया में अभिनेत्रियों के  शोषण के किस्से  तो आम थे | अनेक नामी गिरामी हस्तियों पर खुलकर आरोप लगे भी लेकिन परिवारवाद के कारण नई  प्रतिभाओं को काम मिलने में अड़ंगेबाजी पहली बार सुनाई दे रही  है | हालाँकि कंगना रनौत नामक अभिनेत्री ने काफी पहले से इसके विरुद्ध आवाज उठानी शुरु कर  दी थी लेकिन उसे उसका व्यक्तिगत झगड़ा मानकर उपेक्षित कर  दिया गया | सुशांत की मौत के बाद से कंगना और  आक्रामक हो उठी हैं |

वैसे इस मामले में दो बातें काफी  अहम हैं | पहली तो शिवसेना के साथ फ़िल्मी दिग्गजों के निकट रिश्ते | शिव  उद्योग सेना के वार्षिक जलसे में पूरी फिल्मी  दुनिया निःशुल्क मंचीय कार्यक्रम देकर ठाकरे परिवार से अभयदान प्राप्त करती रही है | इसी तरह मुम्बई पुलिस भी हर साल एक बड़ा आयोजन करती है जिसमें पूरी फ़िल्मी बिरादरी मुफ्त नाच  गाना  तो करती ही है मुम्बई पुलिस को खुले हाथ से दान भी देती है | उक्त दो कारणों से सुशांत की मौत के मामले पर पर्दा डाले जाने का संदेह यदि व्यक्त किया जा रहा है तो उसे पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं  किया जा सकता | उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा सीबीआई जाँच से इंकार करना भी ये साबित करता है कि मुम्बई पुलिस के जरिये किसी न किसी को बचाने की कोशिश की जा सकती है |

लेकिन बीती शाम एक टीवी चैनल पर अभिनेता , टीवी एंकर और कुछ समय के लिए राजनीति कर चुके शेखर सुमन ने सुशांत की मृत्यु को साधारण आत्महत्या मानने से इंकार करते  हुए एक तरफ तो जहाँ सीबीआई जांच की जरुरत बताते हुए फ़िल्मी दुनिया में कुछ परिवारों की गिरोहबंदी का आरोप लगाकर कहा  कि उस कारण न जाने कितनी प्रतिभाओं को उभरने के पहले ही बाहर करवा दिया गया | लेकिन शेखर ने उससे भी बड़ा  आरोप ये लगाया कि फिल्मों के निर्माण में लगने वाला अनाप - शनाप पैसा कहाँ से आता है , इसकी जांच होनी चाहिए | और ये वाकई बहुत ही सामयिक मुद्दा है |

फिल्म उद्योग में काले धन का  उपयोग शुरू  से होता आया है | एक ज़माने में आयकर वाले फिल्मी  कलाकारों के यहाँ खूब छापे मारते थे | लेकिन बाद में बड़ी ही चतुराई से फ़िल्मी कलाकरों ने राजनीति में पदार्पण कर लिया | शुरुवात पृथ्वीराज कपूर और नर्गिस दत्त जैसों को राज्यसभा में मनोनीत किये जाने से हुई लेकिन बाद में तो दक्षिण भारत से प्रेरित होकर अमिताभ  बच्चन ,  सुनील दत्त , शत्रुघ्न सिन्हा , विनोद खन्ना , जयाप्रदा , धर्मेन्द्र , गोविंदा , हेमा मालिनी और सनी देओल जैसे कलाकार लोकसभा में जा पहुंचे | सुनील दत्त , विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा तो मंत्री भी बने | जो सीधे राजनीति में नहीं है वे किसी न किसी पार्टी का चुनाव प्रचार कर उस पर एहसान लाद देते हैं |  इस चलन के कारण शासन - प्रशासन में फ़िल्मी दुनिया की  प्रभावशाली  उपस्थिति नजर आने लगी | राज्यसभा में भी जावेद  अख्तर , शबाना आजमी और जया बच्चन ने लम्बी परियां खेलीं | सलमान खान  के पिता सलीम खान भी उच्च सदन में जगह पा गये | गईं तो लता मंगेशकर और रेखा भी लेकिन वे महज औपचारिकता बनकर रह गईं |

इस वजह से ये देखने में आया कि सरकार किसी की भी हो लेकिन फ़िल्मी दुनिया के हित सुरक्षित रहने लगे | और यही वजह है कि दाउद इब्राहीम के फ़िल्मी हस्तियों से ऐलानिया रिश्ते उजागर होने के बाद भी किसी का बाल बांका नहीं हुआ | शेखर  सुमन खुद फ़िल्मी दुनिया में कई दशक से हैं इसलिए उनके द्वारा फिल्मों में लगने वाले धन के रहस्यमय स्रोतों का जो उल्लेख किया गया उसकी जांच तो केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा की ही जानी चाहिए | लेकिन ऐसा होना आसान नहीं है | क्योंकि संसद के दोनों सदनों में में  फ़िल्मी दुनिया के अनेक वजनदार लोग जमे बैठे हैं |

ज्यादा न सही लेकिन फ़िल्मी कलाकारों के बार - बार दुबई जाने और वहां सम्पत्ति में निवेश की जाँच हो जाये तो अनेक चमकते चेहरों का मेकअप उतर जायेगा | सुशांत की  मौत से उठे सवालों और विवादों को केवल व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता न मानकर समग्र जांच होनी चाहिए | कंगना रनौत  तो परिवारवाद के अलावा मूवी माफिया जैसे विशेषण का भी उपयोग लगातार कर रही हैं | वे इस समय फिल्मों में सफलता के शिखर पर हैं इसलिए उन्हें असफल या कुंठित कहकर खारिज करना भी ठीक नहीं होगा  |

सुशांत की मौत से निकलकर सामने आये सवालों का जवाब तलाशने का इससे अच्छा अवसर  शायद ही मिले क्योंकि मायानगरी की चकाचौंध के पीछे का अन्धेरा  खुलकर सामने आया है | और इस काम में वहां के लोग ही बिना डरे साथ दे रहे हैं |

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