Monday 20 July 2020

राम मंदिर : स्वाधीन भारत के इतिहास का नया अध्याय



अयोध्या में राममंदिर के भूमि पूजन की तारीख तय होने से लम्बे समय से चली आ रही अनिश्चितता खत्म हो गयी। आगामी 5 अगस्त को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी अयोध्या जाकर मंदिर निर्माण का विधिवत शुभारंभ करेंगे। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद यद्यपि केंद्र सरकार ने न्यास के गठन के साथ ही भूमि आवंटन की प्रक्रिया भी त्वरित गति से पूरी कर दी थी। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही भगवान राम की इस प्राचीनतम नगरी को विश्वस्तरीय बनाने की भी महत्वाकांक्षी योजना तैयार की गयी है। यूँ तो ये नगरी सदियों से दुनिया भर में फैले करोड़ों सनातन धर्मियों के लिए आस्था का केंद्र रही किन्तु इसका मौजूदा स्वरूप आकर्षित नहीं करता। पूरी अयोध्या घूम लेने के बाद लगता ही नहीं कि इसका अतीत इतना गौरवशाली रहा होगा। हालाँकि 2017 में योगी सरकार के आने के बाद इस धार्मिक नगरी को विकसित करने का काम शुरू हो गया। विशेष रूप से दीपावली की रात्रि लाखों दीपमालिकाओं से सरयू तट को आलोकित करने जैसे आयोजन ने अयोध्या के आकर्षण में वृद्धि की है। लेकिन रामलला के अस्थायी मंदिर में विराजमान होने एवं भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर चली आ रही अनिश्चितता के कारण राम भक्तों को निराशा और गुस्सा दोनों आते थे। अब चूंकि मंदिर निर्माण का काम शुरू होने के साथ ही अयोध्या के सर्वतोमुखी विकास की विस्तृत कार्ययोजना भी जमीन पर उतर आयेगी इसलिए ये उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले कुछ वर्षों में अयोध्या न सिर्फ  दुनिया भर के राम भक्तों के लिए श्रद्धा का केद्र बनेगी अपितु भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के इच्छुक शोध कार्ताओं के लिए भी एक प्रमुख स्थल होगी। अभी तक राम मन्दिर को लेकर होने वाली राजनीति को भी विराम लग जाएगा। चुनाव में भाजपा मंदिर वहीं बनायेंगे का नारा गुंजाती थी तो विपक्ष कटाक्ष करता था पर तारीख नहीं बतायेंगे। गत दिवस श्री मोदी द्वारा 5 अगस्त को अयोध्या आने की पुष्टि किये जाते ही अब एक नया दौर शुरू होने जा रहा है। जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार राम मंदिर वाकई विश्वस्तरीय एहसास करवाएगा। अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार विकसित करने की कार्य योजना तैयार की गयी है उसके मुताबिक़ उसको देश के सबसे बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर तैयार किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के अलावा पर्यटकों के लिए सभी अत्याधुनिक सुविधाएँ भी उपलब्ध रहेंगी। इस बारे में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि लखनऊ स्थित अयोध्या शोध संस्थान ने भगवान राम की वैश्विक यात्रा संबंधी जो तथ्य एकत्र किये हैं वे राम के वैश्विक प्रभाव के जीवंत प्रमाण हैं। विश्व का एक भी ऐसा कोना नहीं है जहाँ भगवान राम संबंधी कोई दस्तावेज, पुरातात्विक अवशेष या आस्था के प्रमाण मौजूद न हों। उक्त संस्थान के निदेशक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने बीते कुछ वर्षों में जो जानकारी एकत्र की है वह उन तमाम इतिहासकारों के दावों को रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बना देती है जो कभी राम को ही कपोल कल्पना बताने से नहीं चूकते तो कभी आर्यों के विदेशी होने जैसी बातें उड़ाकर भारत के प्राचीनतम राष्ट्र होने को ही नकारते हैं। भारतीय संस्कृति के वैश्विक विस्तार के बारे में डॉ. सिंह ने जो प्रामाणिक कार्य किया है उसके मूल्यांकन का सही समय भी आ गया लगता है। और उस दृष्टि से राम मन्दिर के निर्माण का जो अकादमिक महत्व है वह पूरे विश्व में भारत और उसकी अति समृद्ध सनातन संस्कृति के महत्व को नए सिरे से स्वीकृति दिलवाने में सहायक बनेगा। सबसे बड़ी बात ये होगी कि अयोध्या का विकास उप्र के पूर्वी हिस्से को विकास के मुहाने पर ला खड़ा कर देगा। हालांकि आज भी कुछ ऐसे नेता हैं जिन्हें इस ऐतिहासिक कार्य से भी चिढ़ हो रही है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि मंदिर निर्माण से कोरोना ठीक किया जाएगा। हो सकता है आगे और भी आलोचनाएँ सुनने मिलें लेकिन कोई कुछ भी कहे राम मंदिर का निर्माण शुरू होना स्वाधीन भारत के इतिहास में एक नये अध्याय का प्रारंभ होगा। अयोध्या का विकसित स्वरूप भारत के प्राचीन सांस्कृतिक गौरव और वैभव की झलक सारी दुनिया को दिखाने में सहायक बनेगा। राम की वैश्विक प्रासंगिकता भी इस मंदिर निर्माण के साथ ही एक बार फिर साबित होगी। अयोध्या राष्ट्रीय एकता के साथ ही दुनिया भर में फैले हिन्दुओं के लिए अपनी मातृभूमि से भावनात्मक तौर पर जुडऩे का माध्यम बन सकेगी ये विश्वास और प्रबल हो रहा है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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