Friday 12 June 2020

यदि जहान जान पर भारी पड़ा तो ....



जैसे - जैसे जांच सुविधाएँ बढ़ रही हैं वैसे - वैसे कोरोना संक्रमण के नए मामले भी सामने आते जा रहे हैं | प्रतिदिन 1.70 लाख जाँच क्षमता के साथ ही नये संक्रमित लोगों की संख्या कल 11 हजार से ऊपर जा पहुँची और भारत दुनिया में चौथे  स्थान पर आ गया  | जैसी आशंका  जताई जा रही है उसके अनुसार आने वाले कुछ महीनों में भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा |  यद्यपि इसमें आश्चर्य इसलिए नहीं होता क्योंकि 135  करोड़ की आबादी और घनी बसाहट के कारण भारत में इस वायरस का संक्रमण फैलना स्वाभाविक ही है | ये बात भी बिलकुल सही है कि भारत में जांच क्षमता कम होने से शुरुवाती दौर में कोरोना का फैलाव उतना नहीं लगा किन्तु बीते 10 - 12 दिनों में जिस तरह नए मरीजों की दैनिक संख्या देखते - देखते 10 हजार से उपर निकलती जा रही है उसके बाद ये आशंका होने लगी कि  भारत सामुदायिक संक्रमण की गिरफ्त में आ चुका  है या आने वाला है | मुख्यतः मुम्बई , दिल्ली , चेन्नई , इंदौर और अहमदाबाद में कोरोना संक्रमण जिस भयावह स्थिति में है उससे पूरा देश भयाक्रांत है | दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने विगत दिवस जिस तरह का अनुमान पेश किया उसने भी लोगों के भय को और बढ़ा दिया | अनेक राज्यों ने तो पहले ही लॉक डाउन की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी थी | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी  चेतावनी दी है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो लॉक डाउन पहले जैसा ही फिर कर दिया जाएगा | 1 जून से पूरे देश में मुक्त आवाजाही की अनुमति के बावजूद भी अनेक राज्यों ने बिना ई पास हासिल किये राज्य में प्रवेश पर रोक लगा दी है | कुछ शहरों में सप्ताह  में एक या दो दिन पूरी तरह लॉक डाउन का आदेश  भी दे दिया गया है | संक्रमण  को लेकर जताई जा रही आशंकाओं में सितम्बर तक एक करोड़ का आंकड़ा छू लेने जैसी  बात भी सामने आई है | लेकिन इस सबके बीच आईसीएमआर ने सामुदायिक संक्रमण  की आशंका से मना  करते हुए कहा कि भारत में संक्रमण अभी बहुत ही  सीमित इलाकों में है | साथ ही मृतक संख्या ज्यादा नहीं होना भी संतोषजनक है | कोरोना की चपेट में आये मरीजों में ठीक होने वालों की संख्या वर्तमान में भर्ती मरीजों की संख्या से ज्यादा होना भी चिकित्सा जगत की चिंताएं घटाने वाला है | नये  संक्रमित लोगों की संख्या में आये उछाल के पीछे गांव लौटे प्रवासी मजदूर भी एक कारण बन रहे हैं | इसके अलावा घनी बस्तियों में नये मरीजों के निकलने का सिलसिला तेजी से जारी है | बावजूद इसके अब तक कोरोना कुछ राज्यों और उनके भी कुछ शहरों में ज्यादा असर दिखा रहा है | शेष भारत में यद्यपि उसकी मौजूदगी है किन्तु  हालात बेकाबू नहीं होने से जनजीवन  सामान्य होने लगा है | लेकिन यही समस्या का कारण बन रहा है | लॉक डाउन खत्म या शिथिल होते ही लोगों ने जिस तरह उन्मुक्त व्यवहार शुरू किया और बाजारों  सहित बाकी सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी तथा मास्क आदि के नियमों को तोड़ने की बहादुरी दिखाई जा रही है , उसको देखते हुए कोरोना के फैलने  का भय पैदा हो गया है | और इसी वजह से सामुदायिक संक्रमण की आशंका व्यक्त की जा रही है | इसके पीछे प्रवासी श्रमिकों  के अलावा बाहर से लौटे अन्य लोग भी हैं | यही समय है जब कोरोना से बचाव के लिए अतिरिक्त सावधानियां रखनी होंगी | चूँकि दो महीने तक लॉक डाउन रहने से कारोबार चौपट होने लगा तथा मजदूरों सहित छोटे व्यवसायी मुसीबत में आ गये थे इसलिए उसे हटाया गया लेकिन कोरोना से बचाव हेतु निर्धारित सावधानियों और बंदिशों का  का पालन नहीं किया गया तब फिर किसी कठोर निर्णय का सामना करने तैयार रहना होगा | ये भी मानकर चला जा सकता है कि लॉक डाउन भी प्रायोगिक तौर पर ही हटाया गया है | यदि जान भी और जहान भी का ये प्रयोग जान पर भारी पड़ने लगा तो फिर से देशबंदी की  नौबत  आ सकती  है | शासन - प्रशासन और चिकित्सक समुदाय अपनी कोशिशों में जुटा है लेकिन ये जनता का भी फर्ज है कि वह व्यवस्था और अनुशासन का पालन करे क्योंकि इसमें उसी का लाभ है |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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