Saturday 6 June 2020

कोरोना के फैलाव वाले इलाकों का अध्ययन जरूरी



भारत में कोरोना संक्रमण की संख्या में रोजाना तेजी से वृद्धि होने की वजह से आम जनता में भय का माहौल है | केंद्र सरकार द्वारा विशेष रेलगाड़ियाँ चलाये जाने के बाद भी लोग यात्रा करने से बच रहे हैं | श्रमिक एक्सप्रेस भी खाली  जा रही  हैं | बीते एक सप्ताह में ही 60 हजार नये संक्रमित  निकलने से कुल मरीजों की  संख्या 2 लाख 26 हजार पार कर गई | गत दिवस 10 हजार से ज्यादा नये संक्रमण सामने आये | लेकिन इन आंकड़ों में सबसे उल्लेखनीय बात ये है कि महाराष्ट्र , दिल्ली , तमिलनाडु और गुजरात में ही लगभग 1.50 लाख संक्रमित अब तक मिले हैं | ये महत्वपूर्ण संख्या  है जिसका अध्ययन करने पर भविष्य में आने वाली ऐसी ही  आपदा के समय चिकित्सा प्रबन्धन पहले से कहीं बेहतर हो सकेगा |  अब तो उप्र , मप्र और राजस्थान भी 10 हजार  के आंकड़े को छू रहे हैं | इस तरह कुल सवा दो लाख में से तकरीबन 1.80 लाख संक्रमित तो केवल 7  राज्यों से ही निकले है |  हालाँकि इस समय देश में कोरोना के इलाज हेतु भर्ती मरीज कुल संख्या के आधे ही हैं | और यही वह आधार है जिस के बलबूते सरकार और जनता दोनों का आत्मविश्वास अभी तक बना हुआ है | बीते कुछ  दिनो में नए संक्रमण बढ़ने की  वजह प्रवासी श्रमिकों का पलायन माना जा सकता है | उप्र ,मप्र , राजस्थान , बंगाल , झारखंड और उड़ीसा जैसे राज्यों में लौटे प्रवासी मजदूरों में से अनेक  अपने साथ कोरोना का संक्रमण लेकर लौटे हैं | जिस वजह से इन राज्यों में संक्रमितों  का आंकडा तेजी से बढ़ने  लगा | सबसे बड़ी बात ये है कि इन राज्यों में प्रवासी श्रमिकों की वापिसी के बाद कोरोना शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों तक भी जा पहुंचा है | लेकिन अभी तक  भयावह स्थिति महाराष्ट्र , तमिलनाडु , दिल्ली और गुजरात में ही है | इन चारों के कुल आंकड़े का ही आधा तो केवल महाराष्ट्र में ही निकल आया जिसका बड़ा हिस्सा मुम्बई में है | इन राज्यों और उनके भी कुछ विशेष शहरों में कोरोना संक्रमण के  औसत से भी ज्यादा फैलाव ने इस बात की जरूरत पैदा कर दी है कि सूक्ष्म  अध्ययन करते हुए पता लगाया जाए कि कोरोना का कहर इन्हीं पर ज्यादा क्यों फूटा ? भले ही सरकार ने संक्रमित व्यक्ति का नाम और पहिचान गोपनीय रखने की व्यवस्था की  हो  लेकिन इस जानकारी को वह लम्बे समय तक छिपाकर भी नहीं रख सकेगी | महामारी के बाद उसके कारण और निदान हेतु जब अध्ययन और शोध होंगे तब संक्रमित लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करना ही होगी | कोरोना ने जिन राज्यों को सर्वाधिक पीड़ित किया वहां कुछ न कुछ तो ऐसा होगा जिसकी वजह से संक्रमण का विस्तार बड़े पैमाने पर हुआ | उदाहरण के तौर पर मप्र के इंदौर और भोपाल तथा उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में कोरोना का जितना फैलाव हुआ उतना प्रदेश के महाकौशल और विन्ध्य अंचलों में नहीं होना अध्ययन का विषय तो ही | इसी तरह महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप मुम्बई  , पुणे  नासिक और ठाणे में जितना है उतना बाकी क्षेत्रों में नहीं होना महज संयोग नहीं बल्कि इसके पीछे कुछ विशेष कारण जरूर होंगे | भले ही मौजूदा हालातों में समूचा ध्यान कोरोना के इलाज और बचाव पर लगा हो लेकिन आखिरकार इस बीमारी के संदर्भ में उठे सवालों का जवाब तो तलाशना ही होगा क्योंकि चाहे दवा हो या वैक्सीन , ह तभी कामयाब होते हैं जब मरीजों और बीमारी के चरित्र का सही अध्ययन किया गया हो | अब तक इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया जाता रहा कि कोरोना संक्रमण शहरी क्षेत्रों में ही फैला जबकि आदिवासी अंचल उससे अछूते रहे | हालाँकि प्रवासी श्रमिकों के लौटने के बाद आदिवासी जिलों में भी संक्रमित सामने आये हैं लेकिन उनकी संख्या तुलनात्मक रूप से बेहद कम है | ऐसे में चिकित्सा विज्ञान के लिए ये अध्ययन और अनुसन्धान का अच्छा विषय होगा | महामारी का कुछ विशेष क्षेत्र या समुदायों में फैलना या न फैलना दोनों महत्वपूर्ण है | इनके अध्ययन के उपरान्त ही न सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र अपितु शहरों की बसाहट की  समूची योजना पर भी नए सिरे से विचार करना होगा | क्योंकि  वैश्विक हालातों के परिप्रेक्ष्य में इस तरह की आपदा के पुनरागमन की आशंका को नजरअंदाज नहीं  किया जा सकता | विशेषज्ञों का अभिमत है कि भारत में कोरोना अपने चरम बिंदु की ओर बढ़ रहा है  औरर जून तथा जुलाई में वह अपना उच्चतम शिखर छू लेगा | यदि जिन राज्यों में अभी उसका सर्वाधिक प्रकोप है उन्हीं में उसका संक्रमण और बढ़ा तब ये मान लेना पडेगा कि वहां संक्रमण को खाद पानी देने वाली तत्व मौजूद है | और तभी कोरोना को सही तरीके से घेरकर हराया जा सकेगा | चूँकि ये बीमारी भारतीय परिस्थितियों में नहीं पनपी इसलिए भविष्य के लिए रक्षा कवच तैयार करना ही बुद्धिमानी होगी | केवल पीपीई किट , सैनिटाईजर और मास्क बनाना उपलब्धि नहीं है |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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