Sunday 28 June 2020

विदेशी धन केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं आरोप लगे हैं तो सच्चाई भी सामने आनी चाहिए



हालाँकि मौजूदा संदर्भ राजनीतिक दलों से जुड़ा हुआ है लेकिन जब बात निकल ही  चुकी है तब क्यों न उसकी तह तक जाया जाए | 

भाजपा द्वारा पहले कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हस्ताक्षरित हुए समझौता ज्ञापन (MOU) और बाद में राजीव गांधी फाउंडेशन को विदेशी  आर्थिक सहायता के अलावा प्रधानमन्त्री राहत  कोष से मिले अनुदान पर जो सवाल उठाये गए , उसका जवाब देने की बजाय कांग्रेस और फाउंडेशन की तरफ से इसे कोरोना और सीमा पर चीन  द्वारा उत्पन्न सैन्य  दबाव से निपटने में विफलता को छुपाने का प्रयास बताया जा रहा है | इसके अलावा कांग्रेस ये भी कह रही है कि भाजपा यदि गड़े मुर्दे उखाड़ने पर उतारू रही तो भाजपा को भी मुंह छिपाने जगह नहीं मिलेगी | 

लेकिन फिलहाल तो चर्चा में कांग्रेस और राजीव गांधी फाउंडेशन ही हैं | दरअसल भाजपा इस आरोप के जरिये गांधी परिवार को घेरना चाह रही है | वह अपने मकसद में कितनी सफल होगी ये फ़िलहाल कहना जल्दबाजी होगी लेकिन ये बिलकुल सही है कि सीमा पर चीन के साथ चल रहे  तनाव में जहाँ कांग्रेस अपने लिए राजनीतिक अवसर तलाश रही थी वहीं भाजपा ने भी उसके  जवाब में वैसा ही मोर्चा खोलते हुए उस पर सवालों की गठरी लाद दी | अब दोनों एक दूसरे पर जवाब नहीं देने का आरोप लगाने में जुटे हैं |  लेकिन दोनों के आरोप चूँकि अनुत्तरित हैं इसलिए जनता तब तक किसी  भी निष्कर्ष  तक नहीं  पहुंच सकती जब तक कि सम्बन्धित पक्ष आरोपों  को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं करें |

लेकिन जैसी चर्चायें चल रही हैं उनके अनुसार भारत में गैर शासकीय संस्थाओं ( NGO ) को विभिन्न कार्यों हेतु विदेशी पैसा मिलता है | राजीव गाँधी फाउंडेशन को  भी अनेक विदेशी सरकारों और संस्थाओं  से पैसा मिलने की बात सामने आई है | देश में हजारों NGO हैं जिन्हें विदेशों से आर्थिक सहायता मिलती है | इस हेतु केंद्र सरकार बाकायदा अनुमति देती है तथा ऐसी संस्थाओं पर उसकी नजर भी रहती  है | ये बात किसी  से छिपी नहीं है कि`अनेक संस्थाओं द्वारा विदेशी धन से धर्मांतरण के अलावा देश विरोधी भावनाएं भड़काने जैसे काम किये जाते हैं | ऐसे में राजनीतिक दलों को एक - दो नहीं अनेक देशों से मिलने वाले विदेशी अनुदान का वे क्या उपयोग करते हैं ये स्पष्ट होना चाहिए | 

यद्यपि वे अपनी बैलेंस शीट के अलावा सरकार को दिए जाने वाले वार्षिक विवरण में विदेशी राशि मिलने के साथ ही उसे खर्च किये  जाने वाले मद का विवरण देते हैं | केंद्र सरकार का गुप्तचर ब्यूरो ( I. B. ) द्वारा ऐसी सभी संस्थाओं की जांच करने के उपरांत जब अनापत्ति दी जाती है उसी के बाद ही विदेशी अनुदान की पात्रता होती है |

ऐसे में राजीव गाँधी फाउंडेशन को भी इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा होगा | लेकिन भारत सरकार नियंत्रित प्रधानमंत्री राहत कोष से उसे धन क्यों मिला ये वाकई महत्वपूर्ण प्रश्न है , जिसका उत्तर कांग्रेस को देना चाहिए | विशेष रूप से इसलिए कि इस संस्थान की प्रमुख सोनिया गाँधी के साथ अन्य संचालकों  में राहुल गांधी , प्रियंका वाड्रा , डा. मनमोहन सिंह और पी चिदम्बरम हैं | इन पांचों को गांधी परिवार का ही माना  जाता है | वहीं चीनी सरकार से कांग्रेस को मिले धन के उपयोग में भी पार्टी की सर्वेसर्वा  होने से गाँधी परिवार का ही निर्णय लागू होता रहा होगा | प्रधानमन्त्री राहत कोष को  भी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती गांधी प्रभावित करती थीं ये भी भाजपा का आरोप है |

 लेकिन विदेशी आर्थिक  सहायता का आरोप तो अतीत में स्व.जॉर्ज फर्नांडीज पर भी लगा | एकीकरण के पहले पश्चिम जर्मनी के चांसलर रहे विली ब्रांट  द्वारा समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों को दी जाने वाली सहयता के अनतर्गत जॉर्ज भी लाभान्वित हुए बताये जाते हैं | जहाँ तक बात वामपंथियों की है तो पहले सोवियत संघ और बाद में चीन उनका संरक्षक बना रहा | सोवियत संघ के विघटन के बाद भी ये माना जाता है कि रूस अपने अंतर्राष्ट्रीय हित्तों के संरक्षण हेतु अनेक देशों की साम्य्वादी पार्टी के दाना -- पानी का इंतजाम करता है | जबकि चीन विभिन्न देशों में साम्यवादी पार्टी सहित  अन्य उन लोगों की मदद करता है जो वामपंथ की माओवादी विचारधारा से प्रभावित हों |

भाजपा पर भी ये आरोप लगता रहा है `कि वह दुनिया भर में फैले अप्रवासी भारतीयों से धन बटोरती है | यही नहीं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने कुछ साल पहले भाजपा के प्रतिनिधिमंडल को भी चीन आकर दोनों पार्टियों के बीच आपसी समझ  पैदा करते हुए वैचारिक स्तर पर समझाइश बढ़ाने हेतु।आमंत्रित किया था | बाकी  देशों की पार्टियाँ भी  हमारे यहाँ के सतारूढ़ और विपक्षी दलों को बारी - बारी से अपने यहाँ आमंत्रित करती रहती हैं | ऐसे में यदि कांग्रेस को चीन का सरकारी धन न मिला होता तब उसके दामन को दागदार बताने का दुस्साहस भाजपा शायद न कर पाती  । 

इसी तरह राजीव गांधी फाउंडेशन को प्रधानमंत्री राहत कोष से यदि धन दिया गया तो वह अनैतिकता की पराकाष्ठा ही कही जायेगी | ऐसे में जब भाजपा ने कांग्रेस पर इतने गम्भीर आरोप लगाये हैं तो पहली बात तो उसे उन्हें सप्रमाण साबित करना चाहिए और दूसरा ये कि उसे इस बात के प्रति देश को आश्वस्त करना होगा कि उसने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के अलावा किसी और से धन नहीं लिया |

 वैसे ये बात तो राजनय की समझ रखने वाला साधारण व्यक्ति भी बता देगा कि विदेशी धन प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर देश की राजनीति को प्रभावित करने आकर राजनेताओं और उनकी पार्टियों के अलावा समाचार माध्यमों , बुद्धिजीवियों , पत्रकारों आदि तक भी पहुंचता है |  बड़े सरकारी  ठेकों  और सौदों में लॉबिंग नामक एक तरीका पूरी दुनिया में प्रचलित है | इसके अंतर्गत न सिर्फ सत्ता अपितु विपक्ष को भी प्रभावित किया जाता है  ताकि वह अड़ंगा न डाले | समाचार माध्यमों को उपकृत करते हुए अपने अनुकूल बना लेना भी लॉबिंग  करने वालों की कार्यसूची में होता है |

भारत में आम चुनाव के समय विभिन्न विदेशी दूतावास अपने अधिकारियों को दौरे पर भेजते है | जिसका उद्देश्य अपने देश के हितों के अनुकूल चुनाव परिणाम का आकलन करना होता है | इस प्रकार विदेशी धन केवल व्यवसाय में नहीं बल्कि राजनीति और उससे परोक्ष तौर पर जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए भी खफता है और इसका स्वरूप कानूनी और गैरकानूनी दोनों तरह  का रहता है |

इस बारे  में मौजूदा विवाद देश की दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों के बीच होने से केवल राजनीतिक दांव - पेच मानकर उसे हवा में उड़ाना ठीक नहीं होगा | इसको अंजाम तक पहुँचाना जरूरी है | भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस  ने जिस जवाबी हमले की धमकी दी गई उसे अमल में लाने में उसे संकोच और देर नहीं करना चाहिए ।
और जब बात इतनी  बढ़ चुकी है तब सरकार को चाहिए कि वह राजनीतिक दलों के अलावा व्यक्तियों अथवा संस्थाओं  को मिलने वाले विदेशी धन के बारे में बाकायदा सार्वजनिक जानकारी उनके कार्य क्षेत्र में प्रसारित करे | इससे ऐसे  लोग और संस्थाएं प्रकाश में आ सकेंगी जो समाजसेवा के आड़ में अनैतिक और  देशविरोधी गतिविधियाँ चला रहे हैं | 

यदि वह इस बार  भी ऐसा नहीं कर सकी तब लोगों को ऐसे आरोपों पर से बचा - खुचा विश्वास भी नहीं रहेगा | उल्लेखनीय है मोदी सरकार को बने छह साल बीत  गए किन्तु राबर्ट वाड्रा के अलावा गांधी परिवार के एक भी व्यक्ति को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजने में सरकार को सफलता  नहीं मिली | और फिर जमानत पर चल रहे व्यक्ति को दण्डित नहीं माना जा सकता |

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