Saturday 20 June 2020

कांग्रेस और वामपंथी संकट में भी साथ नहीं


 ऐसा लगता है कांग्रेस भी मुख्यधारा से अलग होकर वामपंथियों की तरह मेरी मुर्गी की डेढ़ टांग वाली कहावत चरितार्थ करने में जुट गयी है | राहुल गांधी के  बेतुके बयानों के बाद गत दिवस उनकी माताश्री सोनिया गंधी ने भी प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की  बैठक में व्यर्थ के सवाल उठाकर दुनिया भर को ये सन्देश दे दिया कि सीमा पर संकट के समय भी भारत का सबसे बड़ा विपक्षी दल अपने राजनीतिक हितों को ज्यादा महत्व देता है | बैठक में श्रीमती गांधी  ने भी सरकार पर वही सवाल दागे जो वे और राहुल बीते काफी समय से उठा रहे थे | लेकिन बैठक में मौजूद वामपंथी दलों को छोड़कर अन्य सभी ने एक स्वर से सरकार का साथ देते हुए चीन के विरुद्ध सामरिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर कड़े कदम उठाने पर जोर दिया | सबसे बड़ी बात कही राकांपा नेता  शरद पवार ने | उन्होंने बिना नाम लिए राहुल गांधी द्वारा गलवान मुठभेड़ में सैनिकों को निहत्थे भेजे जाने संबंधी सवाल पर कहा कि सैनिक अग्रिम मोर्चे पर हथियार लेकर जाएं या निहत्थे , ये अन्तर्राष्ट्रीय संधि से तय होता है और इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप उचित नहीं है | उल्लेखनीय है श्री पवार की पार्टी महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार में हिस्सेदार है | इसी तरह उस सरकार के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी प्रधानमंत्री को खुला समर्थन देते हुए कहा कि भारत  में दुश्मन की  आँख निकालकर हाथ में देने की  ताकत है | उन्होंने साफ़ किया कि ये समय सियासत का नहीं है | प्रधानमंत्री से बात - बात में भिड़ने  वाली तृणमूल नेत्री  और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी  ने सरकार से  पारदर्शिता की अपेक्षा तो की लेकिन दो टूक कहा कि वे प्रधानमन्त्री के साथ हैं और इस जंग में चीन हारेगा , भारत जीतेगा | बीजू जनता दल , तेलंगाना राज्य परिषद , वाईएसआर कांग्रेस आदि ने भी केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए चीन के विरुद्ध सख्ती से निपटने की बात कही | बसपा की ओर से मायावती और सपा के रामगोपाल यादव भी पूरी  तरह प्रधानमन्त्री के साथ खड़े  नजर आये | जनता दल ( यू ) और लोक जनशक्ति पार्टी तो भाजपा की सहयोगी हैं ही  | बैठक में प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी समर्थन हासिल हुआ | लेकिन कांग्रेस की देखासीखी सीपीआई नेता डी. राजा ने चीन के विरुद्ध मुंह खोलने की जगह सरकार को अमेरिका से बचने के सलाह दे डाली | वहीं चीन  की पिट्ठू कही  जाने वाली सीपीएम के सीताराम येचुरी पंडित नेहरु और चाऊ एन लाई के बीच हुए उस पंचशील समझौते के अंतर्गत काम करने की समझाइश  देते रहे जिसके फेर में भारत की  हजारों वर्गमील भूमि चीन के कब्जे में चली गयी | इस तरह कांग्रेस और वामपंथी दलों को छोड़कर तकरीबन सभी ने राष्ट्रीय एकता की खातिर  सरकार के साथ खड़े  होने की बुद्धिमत्ता दिखाई किन्तु कांग्रेस एक बार फिर वक्त की  नजाकत के साथ देश  के मूड को भांपने में चूक गयी | उसकी सहयोगी पार्टियों तक ने उसे तिरस्कृत कर  दिया | शरद पवार द्वारा  परोक्ष रूप से राहुल पर किये कटाक्ष को इसीलिये काफ़ी प्रचार मिला | पूर्व में रक्षामंत्री रहे राकांपा नेता ने ये जाहिर  कर दिया कि राजनीतिक परिपक्वता क्या होती है ? मुख्यधारा से पूरी तरह कटने के कारण वामपंथी दलों का महत्व तो वैसे भी बचा नहीं है | और फिर उनके  माई - बाप कहे जाने वाले  साम्यवादी चीन के विरुद्ध बोलने की हिम्मत उनसे अपेक्षित भी नहीं थी | इसीलिये श्री राजा और श्री येचुरी ने  विषय से इतर बातें कीं | लेकिन कांग्रेस का रवैया वाकई उसके राजनीतिक खोखलेपन को प्रमाणित कर गया |  जिस तरह के प्रश्न राहुल उठाते रहे और कल सोनिया जी ने भी पूछे उनसे कांग्रेस की छवि जनमानस में और गिर गई | बैठक पहले बुलाये जाने की उनकी मांग का भी कोई औचित्य नहीं था | सरकार और सेना ने संकट को सुलझाने और  सीमा पर  अपनी स्थिति मजबूत करने के कूटनीतिक और सामरिक प्रबंध करने के बाद बैठक इसलिए बुलाई जिससे विपक्ष को एक साथ पूरी जानकारी दी जा सके | लेकिन सोनिया जी सरकार को घेरने के चक्कर में सेना का मनोबल तोड़ने की गलती कर बैठीं | वैसे उनसे श्री मोदी की प्रशंसा या समर्थन की उम्मीद कोई नहीं करता किन्तु ऐसे मौकों पर व्यक्ति नहीं देश सर्वोपरि होता है | बैठक में रक्षा और विदेश मंत्री ने उपस्थित विपक्षी नेताओं को कूटनीतिक और सैन्य जानकारी दी | प्रधानमंत्री ने खुले शब्दों में कहा कि हमारी सीमा में कोई नहीं घुसा | उन्होंने सीमा पर चल रहे तनाव का कारण बताते हुए कहा कि उस पहाड़ी क्षेत्र में सड़क आदि बनने से पूरे इलाके में हमारी निगरानी बढ़ी  और चीन के सैनिकों की स्वछन्द आवाजाही पर  नियन्त्रण लगा जिससे वह बौखलाया हुआ है | श्री मोदी ने साफ़ किया कि चीन को ये सन्देश दे दिया गया है कि भारत , थल , जल और नभ हर जगह निपटने तैयार है | गलवान घाटी में हुए संघर्ष  में भी हमारे जवानों ने पलटवार कर चीनियों को अच्छा सबक सिखाया | कुल मिलाकर विपक्ष के साथ हुई उक्त बैठक से एक तरफ तो ये सन्देश गया कि संकट  के  इस समय अधिकाँश विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है | लेकिन कांग्रेस और वामपंथी  निहित राजनीतिक स्वार्थों की खातिर अपनी  ढपली अलग से बजाने में लगे हुए हैं क्योंकि  देश की एकता शायद उनकी प्राथमिकता नहीं है |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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