Tuesday 9 June 2020

लॉक डाउन में ढील पर विजय पर्व न मनाएं



लॉक डाउन को पूरी तरह शिथिल किये जाने के साथ ही देश भर में भीड़ नजर आने लगी | भले ही  अधिकतर  लोग मास्क का उपयोग करते दिखे हों किन्तु बाजार के अलावा चाट के ठेलों पर गोलगप्पे खाते हुए अपनी सेल्फी सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वालों को देखकर तो ऐसा लगा मानों वे कोरोना पर  विजय पर्व मना रहे हों | 8 जून से होटल  रेस्टारेंट , शापिंग माल आदि पर लगी बंदिश भी हटा ली गईं | रेल गाडियां और हवाई सेवा तो पहले से ही प्रारम्भ हो चुकी थी | उसे और बढ़ाया जा रहा है | हालाँकि यात्री संख्या और ग्राहकों का अभाव है  | लेकिन दो महीनों से ज्यादा घरों में कैद रहने के बाद लोग खुली हवा में सांस लेने जिस अंदाज में निकले वह उनकी निडरता भले हो लेकिन उसमें जिम्मेदारी का अभाव है | जबलपुर में लस्सी की अनेक दुकानों पर जिस तरह की भीड़ गत दिवस दिखाई दी वह खतरनाक है | और इसीलिये ये प्रश्न उठ रहा है कि जब कोरोना संक्रमण मामूली स्थिति में था तब तो सरकार ने ताबड़तोड़ तरीके से लॉक डाउन कर दिया  और जब उसका संक्रमण धीरे - धीरे  अपने चरम पर पहुँच रहा है तब सभी बंदिशें हटा ली गई  | बीते 10 दिनों में कोरोना  संक्रमण जिस तेजी से उछला  उसने उसके महामारी बनने की आशंका को जहाँ बढ़ा दिया वहीं सामुदायिक संक्रमण की स्थिति तो कुछ शहरों में पहले से ही बनी हुई थी | लेकिन इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि  कोरोना का प्रकोप 5 राज्यों में सर्वाधिक है जहां कुल मरीजों के 70 फीसदी मिल चुके हैं | इसी तरह देश के 10 शहर ही ऐसे हैं जिनमें देश के 53 प्रतिशत मरीज मिले |  ऐसे में पूरे देश को आखिर कहाँ तक घरों में बिठाकर रखा जाता ? प्रवासी मजदूरों के लौटने से रोजगार देने की समस्या भी नये सिरे से उत्पन्न हुई है | ये देखते हुए कारोबार को शुरू नहीं  किये जाने से दूसरी समस्या शुरू हो सकती थी | इसीलिये जहां - जहाँ कोरोना का प्रकोप ज्यादा है वहां कड़ाई करते हुए बाकी जगहों  पर लॉक डाउन को करीब - करीब खत्म कर दिया गया | चिकित्सा विशेषज्ञ भी ये कह रहे हैं कि कोरोना का प्रभाव यद्यपि धीरे - धीरे कम होगा लेकिन उसके पूरी तरह खत्म होने की  बात सोचना बंद कर देना चाहिए और इसलिए उससे बचाव करते हुए सुरक्षित रहने की जीवन शैली  अपनानी होगी  | जहां तक बात कोरोना के संक्रमण में  वृद्धि की  है तो वैश्विक स्तर पर मिले अनुभव बताते हैं कि जब तक वह चरमोत्कर्ष तक नहीं आएगा तब तक उसमें कमी की बात सोचना भी दिवा स्वप्न है | उस दृष्टि से बीते कुछ दिनों में नए मामले तेजी से बढ़ते हुए 10 हजार प्रतिदिन तक जा पहुंचे किन्तु पिछले दो दिन में वे इससे कम रहे | आज सुबह की  जानकारी के अनुसार ठीक होकर अस्पताल से निकले मरीजों की संख्या नये संक्रमण के बराबर  आ गई , जो एक शुभ  संकेत है | यदि आने वाले कुछ दिनों तक ऐसा ही हुआ तब ये उम्मीद बन सकती है कि कोरोना की  रफ्तार धीमी हुई है | ये भी पता चला है कि जो शहर या राज्य सबसे ज्यादा पीड़ित थे वहां नये मामले आने की गति कम हुई है | लेकिन  दूसरी तरफ ये बात भी ध्यान देने वाली है कि प्रवासी श्रमिकों की वापिसी के बाद अनेक राज्यों में कोरोना के मरीज बढ़े हैं | उस दृष्टि से आगामी दो सप्ताह बेहद तनाव भरे होंगे | क्योंकि बाहर से आये श्रमिकों का क्वारंटीन तब तक समाप्त होने को आ जाएगा | यदि वे संक्रमित नहीं निकले तो फिर राहत की सांस ली जा सकेगी | लेकिन तब तक ये  भी संतोषजनक  ही है कि कोरोना का अधिकतम संक्रमण केवल 5 राज्यों  और 10 शहरों तक सीमित है | ऐसे में अब जहां - जहां भी लॉक डाउन में पूरी तरह ढील दी जा चुकी है वहां के नागरिकों को चाहिए वे कोरोना से बचने के तीन मौलिक तरीकों  मसलन मास्क , सैनिटाईजर और शारीरिक दूरी का पालन करें | यदि अगले 15 दिन कोरोना का संक्रमण लॉक डाउन वाले राज्यों में नियन्त्रण में रहा तो ये ये मानकर चला जा सकता है कि उसको नियंत्रित कर लिया गया है |  लेकिन अति आत्मविश्वास और लापरवाही दिखाई जाती रही तो फिर एक कदम आगे दो कदम पीछे वाली स्थिति बनने का खतरा भी बना रहेगा |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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