आज सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम दिए संबोधन से किसी को आश्च्रर्य नहीं हुआ। हर कोई ये मानकर चल्र रहा था कि लॉक डाउन की अवधि 30 अप्रैल तक बढ़ेगी । प्रधानमन्त्री ने उसे 3 मई तक कर दिया लेकिन लगे हाथ ये भी कह दिया कि 15 से 20 अप्रैल के दौरान जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार परिलक्षित्त होगा वहां की समीक्षा करने के बाद कुछ छूट दी जायेंगी। ऐसा कहते हुए उनने उन दिहाड़ी कामगारों की समस्याओं का भी उल्लेख किया जो रोज कमाते रोज खाते हैं। अपने संबोधन में श्री मोदी ने कोरोना के विरुद्ध जंग में भारत के प्रयासों को सफल बताते हुए ये दावा किया कि यदि समय पर कदम न उठए होते तो स्थिति भयावह हो सकती थी किन्तु इसी के साथ चेताया भी कि जरा सी असावधानी से कोरोना का प्रकोप विस्फोटक हो सकता है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को डा. आम्बेडकर जयन्ती के साथ ही बैसाखी सहित उन राज्यों के लोगों को भी बधाई दी जहां आज के दिन से नया वर्ष प्रारंभ माना जाता है। बीते दिनों सभी धर्मों के प्रमुख त्यौहारों को लोगों ने घरों में रहकर ही जिस प्रकार मनाया उसकी प्रशंसा करते हुए श्री मोदी ने लॉक डाउन के दौरान हो रही परेशानी के लिए खेद भी जताया किन्तु देशवासियों की प्राणरक्षा के लिए इसे एक अनिवार्यता बताते हुए आगे सहयोग की अपील करते हुए सात सूत्र भी दिए। लॉक डाउन के दूसरे चरण से जुड़ी व्यवस्थाओं तथा 20 तारीख के बाद कोरोना से कम प्रभावित इलाकों के लिए मिलने वाली छूट के बारे में जानकारी कल दिए जाने की बात कहते हुए उनने ये आश्वस्त किया कि जरुरी चीजों का पर्याप्त भण्डार होने के साथ लगभग 1 लाख बिस्तरों की व्यवस्था के साथ हजार्रों अस्पतालों को केवल कोरोना के लिए आरक्षित कर दिया गया है। लॉक डाउन की अवधि बढाये जाने का सैद्धांतिक रूप में कोई विरोध नहीं करेगा। अधिकतर मुख्यमंत्रियों द्वारा पहले ही इसके बारे में सहमति दी जा चुकी थी। जहां तक बात अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान की है तो कोरोना का जरा सा भी प्रभाव रहते आर्थिक गतिविधियों को शुरू करना आत्मघाती हो सकता है। केंद्र और राज्य दोनों इसे लेकर सतर्क हैं। इसलिए जल्दबाजी में कोई कदम उठाने से बचना होगा। जो उद्योग आपातकालीन जरूरतें पूरी कर रहे हों केवल उन्हें ही काम शुरू करने की अनुमति दी जाए। किसानों की फसल की सरकारी खरीद शुरू होने के संकेत भी श्री मोदी ने दिए। गरीबों को आगे भी सहायता दिए जाने की घोषणा कल करने की बात कहते हुए प्रधानमन्त्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी मदद के लिए तत्पर है। कुल मिलाकर उनका संबोधन पहले लॉक डाउन की घोषणा के समय जैसा ही था। यदि देश में कोरोना के मामले तेजी से नहीं बढ़ेहोते तब भी लॉक डाउन बढ़ाना ही पड़ता क्योंकि चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग ठीक हो गए उन्हें भी कम से कम दो सप्ताह सावधानी बरतनी होगी। जो लोग हाल ही में क्वारेंटाईन किये गये उनके बारे में अंतिम रिपोर्ट आना अभी बाकी है। सबसे बड़ी समस्या अभी भी तबलीगी जमात के वे सदस्य बने हुए हैं जो दिल्ली समागम से लौटने के बाद बजाय जाँच हेतु सामने आने के दुबके हुए हैं और न जाने कितने लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण दे चुके हैं। इसी तरह के और भी ऐसे लोग सामने आये हैं जिन्हें किसी अज्ञात व्यक्ति से संक्रमण मिला लेकिन वह कौन है ये पता नहीं लग रहा है। कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार ये धारणा बदल रही है कि वायरस मात्र 14 दिन तक ही असरकारक रहता है। कई लोगों को उसने तीन सप्ताह बाद भी बीमार किया। ऐसे में लॉक डाउन को आगे बढ़ाना जरूरी के साथ ही मजबूरी भी था। भारतीय जनमानस भीड़ में अनुशासन के प्रति बेहद उदासीन हो जाता है। लॉक डाउन के दौरान ये देखने में भी आया है। इससे में जरा सी ढील उलटे बांस बरेली साबित हो सकती है। प्रधानमन्त्री इस बात को अच्छे से समझते हैं कि एक बार लॉक डाउन हटाने के बाद दोबारा लगाना मुश्किल होगा तथा ऐसा करने से सरकार की निर्णय क्षमता की भी आलोचना होगी। रेल व सड़क यातायात खोलने से भी कोरोना का खतरा फिर बढ़ सकता है। ये सब देखते हुए ही दूसरे चरण में 3 मई की तारीख तय की गई है। शुरुवाती दौर में कोरोना से लडऩे की तैयारियां अव्यवस्थित थीं लेकिन बीते 21 दिन में शासन - प्रशासन, पुलिस, स्थानीय निकाय और चिकित्सा अमला कोरोना से जुड़े प्रबन्धन में अनुभवी हो गया है। सभी का अत्मिविश्वास बढ़ा हुआ है। जो मरीज ठीक होकर लौटे हैं उनके अनुभवों से भी लोगों में उम्मीद जगी है। इसलिए पहले आगामी 5 और फिर उसके बाद के 15 दिन इस लड़ाई के अंजाम का काफी कुछ खुलासा कर देंगे। बेह्तर हो जनता भी हालात की गम्भीरता को समझकर लॉक डाउन को सफल बनाने में सहयोग दे। इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है। कोरोना लाईलाज नहीं है ये बात साफ हो चुकी है। भारत के पास उसकी दवाइयों का भी पर्याप्त स्टॉक है। यहाँ तक कि दुनिया के विकसित देश तक हमसे दवाइयां मंगवा रहे हैं। अब जबकि देश कोरोना से निपटने के लिए हर तरह से सक्षम है तब आने वाले 20 दिन और संयम तथा अनुशासन का परिचय दे दिया जाए तो हो सकता है मई का दूसरा हफ्ता आते तक देश को विजय पताका फहरा देने का गौरव हासिल हो। लेकिन इस दौरान जरा सी गफलत भी महंगी पड़ सकती है।
- रवीन्द्र वाजपेयी
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