लॉक डाउन का पहला चरण पूरा होते तक देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 10 हजार को पार कर जायेगी। चूँकि देश भर में अब जाँच कार्य में तेजी आई इस कारण भी आंकड़ा निरंतर ऊपर जा रहा है। 21 दिन में कोरोना को पूर्णत: नियंत्रित करने की सोच कोरा आशावाद नहीं था किन्तु तबलीगी जमात की वजह से ऐसे हालात बने जिनसे इस महामारी को बढऩे से नहीं रोका जा सका। और तो और उसका फैलाव भी राष्ट्रव्यापी हो गया। इस कारण अनेक शहरों में हॉट स्पॉट बन गये जिनमें देश का सबसे स्वच्छ इन्दौर शहर भी है। मप्र की राजधानी में खेल बिगाड़ा स्वास्थ्य विभाग की एक उच्च अधिकारी ने। जिसके बाद उस मंत्रालय के अलावा भी अनेक अधिकारी और कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ गए। कल 14 अप्रैल को पहला दौर खत्म होने के बाद पूरे देश में एक बार फिर लॉक डाउन किया जावेगा। ऐसा लगता है फिलहाल ये अवधि 15 दिन की रहेगी किन्तु इस बार सरकार द्वारा कुछ छूट मिलने की चर्चा है। आज से केन्द्रीय सचिवालय का खुल जाना इस बात का संकेत है कि बीते कुछ सप्ताहों से ठहरे पहियों को चलाने की तैयारी उच्च स्तर पर कर ली गई है। लेकिन पूरे देश में एक जैसा लॉक डाउन लागू नहीं किया जाएगा। जिस राज्य और शहर में जैसी स्थितियां रहेंगीं वैसा ही निर्णय स्थानीय स्तर पर किये जाने की जानकारी मिली है। लेकिन जरूरी चीजों का परिवहन प्रारम्भ करते हुए आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। इसी तरह निर्माण गतिविधियाँ भी चुनी हुए जगहों पर प्रारम्भ करने की अनुमति दी जा सकती है। किराना , सब्जी-फल आदि का विक्रय समय भी बढ़ाये जाने की सम्भावना है। जिन कारखानों को आने वाले दिनों की जरूरतों के लिहाज से शुरू करना जरूरी है उनमें भी काम प्रारम्भ करने की अनुमति दी जायेगी। वाहन और बिजली के मैकेनिकों जैसी सुविधाएँ चूँकि जरूरी हैं इसलिए उन्हें भी सीमित मात्रा में काम करने दिया जायेगा। इसके पीछे मकसद एक तो जनजीवन को पटरी पर वापिस लाना है वहीं दूसरी तरफ लोगों में व्याप्त भय को भी घटाना है। लेकिन ये वहीं संभव होगा जहां कोरोना वायरस का प्रकोप या तो बहुत ही कम है या फिर उसके प्रसार को नियंत्रित करने में अपेक्षित सफलता मिल रही है। पूरे देश को विभिन्न श्रेणियों में बाँटकर तदनुसार लॉक डाउन की कड़ाई या ढिलाई दी जायेगी। जो क्षेत्र अभी भी ज्यादा संक्रमित हैं वहां जरूर कोई रियायत नहीं दी जायेगी। सील किये क्षेत्रों में घर-घर जाकर जरूरी चीजों की आपूर्ति किये जाने की व्यवस्था भी हो रही है। शुरू के कुछ दिन छोड़ दें तो देश भर में अपवादस्वरूप छोड़कर कहीं भी अभाव की स्थिति नहीं बनी। शासन और प्रशासन के साथ ही समाजसेवी संस्थाओं और व्यक्तियों ने भी जरुरतमंदों की हरसम्भव मदद की। वरना हमारे देश में करोड़ों गरीब एक साथ बेरोजागार होने से अराजक स्थितियां बनने में देर नहीं लगती। लेकिन दूसरे चरण का लॉक डाउन पहले की अपेक्षा कम गम्भीर नहीं होगा, ये बात समझने की है। जिन कुछ शहरों में ये मान लिया गया कि कोरोना को नियंत्रण में कर लिया गया है वहां अचानक एक दो नए संक्रमित निकलने से ये आशंका बढ़ गयी कि उपरी तौर पर भले ही उसे बेअसर मान लिया जावे लेकिन कोरोना की जड़ें अभी भी विद्यमान हैं जो कभी भी वृक्ष का रूप ले सकती हैं। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग जैसे अनुशासन के साथ हाथ धोने जैसी सावधानी जारी रखना अनिवार्य होगा। इस दौरान जिन जगहों पर बाजार और दफ्तर आदि खोलने की अनुमति दी जाए वहां खास तौर पर सावधानी बरतनी पड़ेगी। इसीलिये जनता के मन में न तो भय रहे और न ही इस बात की संतुष्टि कि कोरोना समाप्त हो गया। इसकी वजह चीन से आ रही खबरें हैं जहां एक माह के अंतराल के बाद लगभग 100 कोरोना संक्रमित नए लोग सामने आये हैं। भारत में अभी जांच का काम बड़े पैमाने पर होना बाकी है। उसके पहले हालात को पूरी तरह सामान्य मानकर निश्चिन्त होना आत्महत्या जैसा होगा। इसलिए शासन द्वारा लागू की जाने वाली व्यवस्थाओं और अनुशासन का पालन करने के लिए आम जन को आत्मप्रेरित होकर कोरोना के विरुद्ध चल रही जंग में सहयोग देना चाहिए। आगामी दो सप्ताह आर-पार की लड़ाई वाले होंगे। कोरोना के बारे में अब सरकार , प्रशासन , चिकित्सा जगत, जाँच लेबोरेट्रीज, स्वयंसेवी कार्यकर्ता और जनता सभी काफी कुछ जान गए हैं। 25 मार्च को लगाये लॉक डाउन की ये कहते हुए आलोचना की गयी थी कि वह बिना तैयारी के अचानक ही थोप दिया गया जिससे जनता को भारी परेशानियां उठाना पड़ीं। चिकित्सा सुविधाओं को दुरुस्त करने में भी कुछ समय लगा और प्रशासन को भी हालात काबू में करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन इस बार सभी बातें साफ हैं। लोगों को अपनी जिम्मेदारियों का ज्ञान है। और ऐसे में ये उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि लॉक डाउन का दूसरा सत्र शुरुवात में ही असरकारक होगा। इस लड़ाई में इलाज की जितनी भूमिका है उससे भी कहीं ज्यादा कोरोना से बचाव कारगर है। जिन जगहों में ये फैला वहां किसी न किसी ने लापरवाही की थी। दुख का विषय है कि तबलीगी जमात के लोग सब कुछ जानते हुए भी खुद सामने नहीं आ रहे। जबकि उनके बीच संक्रमण फैला होने की खबरें तकरीबन रोज मिल रही हैं। मुस्लिम समाज में कोरोना बाँटने का काम इन्हीं जमातियों द्वारा किया गया है। बेहतर होगा जमात से जुड़े सभी लोग स्वेच्छा से अपनी जाँच करवाने सामने आएं। ये समय साहस से ज्यादा समझदारी दिखाने का है। आगे आने वाले 15 दिन में यदि संक्रमण की संख्या बढऩा नहीं रुका तब फिर इटली और स्पेन जैसी भयावह स्थिति पैदा हुए बिना नहीं रहेगी। सरकार की तरफ से मिलने वाली छूट का उतना ही उपयोग करें जितना अत्यावश्यक हो वरना ये लड़ाई और लम्बी खिंच सकती है और तब परेशानियां और ज्यादा हो जायेंगी।
-रवीन्द्र वाजपेयी
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