Wednesday 22 April 2020

सावधान : बिना लक्षणों के भी हो रहा कोरोना संक्रमण



कोरोना वायरस की जाँच प्रक्रिया में तेजी के कारण नए संक्रमित लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है, वहीं ठीक होकर घर लौट रहे मरीजों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। लेकिन भले ही वैश्विक अनुपात से कम ही हों लेकिन मरने वाले भी रोज बढ़ रहे हैं। कुल मिलाकर स्थिति कहीं खुशी, कहीं गम वाली है। संक्रमित मरीजों की संख्या भले ही चार की बजाय सात दिन से ज्यादा में दोगुनी हो रही हो जिसे चिकित्सा जगत शुभ संकेत मानता है, लेकिन ये भी सोचने वाली बात है कि नये संक्रमित मरीजों की संख्या घटते क्रम में नहीं आ रही। विशेषज्ञों का मानना है जब तक नये मरीज आते रहेंगे तब तक संक्रमण की श्रृंखला बनती रहेगी। गोवा जैसे राज्यों के साथ जिन शहरों में यह श्रृंखला टूटी वे ही अभी तक कोरोना मुक्त हुए हैं। जैसा कहा जा रहा है उसके अनुसार अभी भी भारत में जांच का दायरा पूरी तरह नहीं बढ़ सका, अत: नये मरीजों को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है। इसीलिए अनेक राज्यों और दिल्ली जैसे महानगर में बड़े पैमाने पर जांच शुरू की गयी ताकि संक्रमित लोगों का पता करते हुए उनका इलाज किया जा सके। लेकिन एक नई समस्या आकर खड़ी हो गई है। पहली तो ये कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग अस्पतालों में इलाज के लिए आ रहे हैं हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नजर नहीं आया लेकिन जाँच होने पर वे संक्रमित पाए गये। इनके द्वारा अनजाने में अपने परिजनों के अलावा और कितने लोगों को संक्रमित किया गया ये पता करना नई परेशानी का कारण बन रहा है। जबलपुर में विगत दिवस अस्पताल में इलाजरत एक मुस्लिम महिला की मृत्यु  के बाद जब उसका सैम्पल लिया गया तब वह कोरोना संक्रमित निकली और फिर उसके परिवारवालों सहित अड़ोस-पड़ोस को हॉट स्पॉट मानकर जरूरी इंतजाम किये गए। इस समस्या से बढ़ी चिंताओं के बीच दूसरी समस्या और आ गयी चीन से आयातित जाँच किट के दोषपूर्ण होने की। राजस्थान सहित कुछ और राज्यों में सरसरी तौर पर जो जाँच अभियान चला उसमें जाँच किट की रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलने पर आईसीएमआर द्वारा सघन जांच का काम फिलहाल रोक दिया गया। लेकिन इनकी वजह से कोरोना के विरुद्ध बनाई गई गयी रणनीति और तदनुसार की गई मोर्चेबंदी का अपेक्षित असर नहीं हो पा रहा। संक्रमित लोगों की सही संख्या भी इसी कारण सामने नहीं आ पा रही और ऊपर से तबलीगी जमात के सदस्य कोढ़ में खाज बने हुए हैं। ये सब देखते हुए अब जनता को और सतर्क होना पड़ेगा। लॉक डाउन को एक महीना होने आया। इसकी वजह से अब तक कोरोना सामुदायिक संक्रमण वाली पायदान तक भले न पहुंच पाया हो लेकिन जिन शहरों या इलाकों में अब तक संक्र्मण नहीं पहुंचा वे ऊपर वाले को धन्यवाद भले दें लेकिन निश्चिन्त होकर भी न बैठें। अब तक कुछ नहीं हुआ इसलिए आगे भी नहीं होगा ये आशावाद निरी मूर्खता है। चूँकि जाँच किट की गुणवत्ता पर उँगलियाँ उठने लगी हैं और उससे भी बड़ी बात बिना लक्षणों के भी कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं, तब ये मानकर चलना चाहिए कि वायरस का चरित्र बदल रहा है। जहाँ तक जाँच किट की विश्वसनीयता का प्रश्न है तो चीन से आयातित किसी भी चीज की तरह वह भी घटिया किस्म की निकली इस पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। चूँकि यूरोप के देश खुद ही बुरी तरह कोरोना ग्रसित हैं इसलिए संक्रमण की जाँच और बचाव संबंधी सामान उनसे खरीदना संभव नहीं हो पा रहा। ऐसे में भारत में बनी जांच किट का उत्पादन बढ़ाना ज्यादा सही होगा। इस बारे में जो खबरें आ रही हैं वे आश्वस्त करने वाली हैं। हमारे वैज्ञनिक इस विषम परिस्थिति में भी जिस निष्ठा के साथ कोरोना से मानव जाति की रक्षा के लिए जरूरी सामान बनाने में जुटे हुए हैं उससे जरुर उम्मीदें बनी हुई हैं। फिर भी लॉक डाउन को लेकर किसी भी तरह की उपेक्षावृत्ति घातक हो सकती है। बीते दो दिनों में दी गई हल्की सी छूट के दौरान लोगों ने जिस तरह की भीड़ पैदा कर दी उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि अभी तक सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब ही ऐसे लोग नहीं समझ सके। आज चिकित्सा जगत की एक हस्ती का बयान पढ़ने मिला जिसमें उन्होंने आगाह किया है कि कोरोना स्थायी रूप से जाने वाला नहीं है। भले ही उसकी मारक क्षमता कम हो जाए लेकिन वह अपना असर दिखाता रहेगा और इसलिए हमें अन्य संक्रामक बीमारियों की तरह उससे बचकर रहने की जीवनशैली अपनाना होगी, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग एक अनिवार्य तत्व रहेगा। भारतीय परिवेश में ये कोई अनोखी चीज नहीं है। लेकिन आधुनिकता में ढली पीढ़ी तथा स्वास्थ्य को लेकर बेफिक्र रहने वालों को ये जरूर अटपटा लग रहा होगा। अभी लॉक डाउन के तकरीबन दो हफ्ते शेष हैं। इसका बढ़ना न बढ़ना अनुशासन के पालन संबंधी हमारी प्रतिबद्धता पर निर्भर करेगा। बेहतर हो कोरोना के बदलते दांव - पेंच को हम गंभीरता से लें। अन्यथा एक कदम आगे दो कदम पीछे की स्थिति बनती रहेगी। बिना लक्षणों के कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और जांच किट के नतीजों पर संदेह के बादल मंडराने के बाद हमें ज्यादा जागरूक और जिम्मेदार बनना होगा।

- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment