Tuesday 7 April 2020

तबलीगी जमात पर रुख साफ़ करें मुस्लिम संगठन



गलती करने वाला जब उसे जायज ठहराने का प्रयास करता है तब उसका  अपराध और गम्भीर बन जाता है। इसी तरह जुर्म करने के बाद कानून से भागने वाले के प्रति संदेह की सहज पुष्टि हो जाती है। इसके विपरीत जिस व्यक्ति से जाने - अनजाने में गलती हो जाती है और वह उसे स्वीकार कर ले तो कानून और समाज दोनों उसके प्रति सदाशयता और रियायत बरतते हैं। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात नामक इस्लामी संगठन के मुख्यालय मरकज के कारण बीते एक सप्ताह में कोरोना वायरस के विरुद्ध चल रही जंग को  कितना नुकसान  हुआ ये बताने की जरूरत नहीं है। कोरोना  संक्रमित और संदिग्ध मरीज जिस तेजी से बढ़ते जा रहे हैं उनमें अधिकांश वे लोग हैं जो मरकज से निकलकर देश भर में बिखर गये। उनमें  से कुछ तो अपने स्थानों पर लौटकर मर भी गये। उसीके बाद से जब पड़ताल शुरू ही तब ये खुलासा हुआ कि मरकज कोरोना की नर्सरी बना हुआ था। इसे लेकर सरकार ने जो किया और मरकज ने जो सफाई दी उससे भी सभी अवगत हैं। लेकिन रहस्य तब गहराया जब पता चला मरकज के मौलाना साद पुलिस से बचने के लिए फरार हो गये। ज्यादा हल्ला मचा तब उनका एक ऑडियो सन्देश प्रसारित हुआ जिसमें उन्होंने खुद को क्वारंटाइन किये जाने का हवाला देते हुए पुलिस द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब बाद में देने की बात कही। दिल्ली पुलिस ने उनके और मरकज के प्रबन्धन से जुड़े कुछ लोगों के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है। क्राईम ब्रांच जिन बिन्दुओं पर जांच कर रही है उनकी वजह से तबलीगी जमात को लेकर संदेह और भी गहराने लगा है। मौलाना साद के भूमिगत होने के बाद से इस संगठन  की गतिविधियों की अधिकृत जानकारी नहीं मिल पा रही। लेकिन दो - तीन दिन से जमात की तरफ  से अनेक कथित प्रवक्ता टीवी चैनलों पर बेहद आक्रामक अंदाज में मरकज को बलि का बकरा बनाये जाने का आरोप लगाते हुए यहां तक कहते सुने  गए  कि  मंदिरों भी लोग जमा हैं लेकिन छापेमारी केवल मस्जिदो में  की जा रही है। गत दिवस जमात से जुड़े एक मौलवी ने तो अनेक  टीवी चैनलों और उनके पत्रकारों का नाम लेकर धमकी दे डाली। ये भी कहा कि चैनलों पर होने वाली बहस में आमंत्रित मुल्ला  - मौलवी मुस्लिम समाज के वाजिब प्रवक्ता नहीं हैं और ये बिके हुए हैं। दरअसल मरकज काण्ड के बाद कोरोना संक्रमितों की संख्या में हुई बेतहाशा वृद्धि में बड़ी संख्या मरकज से लौटे जमातियों की होने से पूरे देश में मुस्लिम समाज निशाने पर आ गया। जमातियों  के मस्जिदों और बस्तियों में छिपे होने से भी स्थिति और बिगड़ी। यदि मरकज से शुरू  में ही ये अपील जारी हो जाती कि वहां  से लौटे जमाती अपनी जांच करवा लें तब  न संदेह पैदा होता और न ही इस समुदाय के प्रति गुस्सा बढ़ता। लेकिन मरकज से पूरे देश में लौटे जमाती बजाय सामने आने के मस्जिदों और अन्य जगहों पर जाकर दुबक गए और इस तरह उनके संपर्क में आये और लोग भी कोरोना की चपेट में आते गए। यदि ये अज्ञानवश हुआ होता और जमात की हिमायत करने वाले कथित प्रवक्ता समझदारी के साथ पेश आते हुए जांच दलों का सहयोग करते तब  जनाक्रोश नहीं बढ़ता किन्तु  न जाने कहां से निकलकर आ रहे उसके प्रवक्ता जिस तरह से धौंस देने के अंदाज में मरकज का बचाव कर  रहे हैं और समाचार माध्यमों को धमका रहे हैं उससे चोरी तो चोरी ऊपर  से सीनाजोरी वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। हास्यास्पद बात ये है कि  मौलाना साद की तरफ  से एक तरफ  तो ये सफाई आ रही है कि वे स्वस्थ हैं लेकिन फिर वे क्वारंटाइन में क्यों चले गए इसका कोई  संतोषजनक जवाब उनकी या जमात की तरफ से नहीं आया। क्राइम ब्रांच द्वारा  दो बार प्रश्नावली भेजने के बाद भी वे जवाब नहीं दे रहे जिससे दाल में काले की शंका बढ़ रही है। ऐसा  लगता है मौलाना साद इस खुशफहमी में थे कि उनकी मजहबी हैसियत को देखते हुए पुलिस और सरकार उनके गिरेबां पर हाथ नहीं डालेगी लेकिन ज्योंहीं उन्हें ये लगा कि पांसे उलटे पडऩे वाली हैं तो वे अपने अनुयायियों को अकेला छोड़कर निकल लिए। तबलीगी जमात को लेकर मुस्लिम समाज भी असमंजस में है। उसकी कार्यप्रणाली और सीख से बहुत ज्यादा सहमत न होते हुए भी इस्लाम के नाम पर उसका खुला विरोध नहीं किये जाने की नीति अपनाई जाती है। लेकिन अब समय आ गया है जब मुस्लिम समाज को खुलकर तबलीगी जमात के बारे में अपना दृष्टिकोण सामने रखना चाहिए। आज की  स्थिति में मरकज द्वारा किये गये अपराध के छींटे पूरे मुस्लिम समाज के दामन पर पड़ रहे हैं। ऊपर से देश भर से डाक्टरों तथा पुलिस पर थूकने और पथराव किये जाने की खबरें आने से भी मुस्लिम समाज आलोचना के घेरे में आ गया है। गत रात्रि एक टीवी एंकर ने ठीक कहा कि मुस्लिम समाज अपने संगठनों और उनके प्रवक्ताओं के बारे में जानकारी सार्वजनिक करे जिससे स्वयंभू प्रवक्ताओं का पर्दाफाश हो सके। दूसरी बात तबलीगी जमात को लेकर मुस्लिम समाज की धारणा भी साफ  होनी चाहिए। भारत में मुस्लिमों के अनेक संगठन हैं। लेकिन उनके बारे में समाचार माध्यम भी ज्यादा जानकारी नहीं रखते। ऐसे में सदैव एक संदेह बना रहता है। कोरोना के फैलाव में मरकज  जिस तरह से आरोपों के घेरे में आया उसे सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति का परिणाम बताकर खुद को बेक़सूर साबित करने की जो कोशिश तबलीगी जमात द्वारा हो रही  है वह किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा लगता है। इसका खुलासा जितनी जल्दी हो जाए उतना अच्छा होगा। यद्यपि मौलाना साद के पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद ही वे राज खुलेंगे जिन पर अभी तक पर्दा पड़ा रहा। बेहतर हो कोरोना फैलाने के जिम्मेदार जमातियों के विरूद्ध मुस्लिम समाज ही आवाज उठाये और जो अभी भी मस्जिदों और मुस्लिम बस्तियों में छिपे बैठे हैं उनको पकड़वाने में मददगार बने। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में जितने भी कोरोना संक्रमित हैं उनमें तकरीबन 40 फीसदी या तो मरकज से लौटे है या फिर उनके सम्पर्क में आये हुए लोग। ऐसे में उसे खलनायक मना जा रहा है तो गलत क्या है?

-रवीन्द्र वाजपेयी

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