Friday 10 April 2020

सबको कोरोना वॉरियर बनना होगा : खुशफहमी घातक



पिछले कुछ दिनों से भारत में कोरोना की जांच सुविधाएँ जैसे-जैसे बढ़ती जा रही हैं तैसे-तैसे संक्रमित लोगों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि देखने में आ रही है। बीते कुछ दिनों में आंकड़ा जिस तरह बढ़ा उसके बाद ये कहा जाने लगा कि भारत भी इटली वाली स्थिति में आता जा रहा है। मौतों की संख्या में भी वृद्धि नहीं रुक रही। देश भर से जो खबरें आ रही हैं उनके अनुसार कोरोना से लडऩे वाले चिकित्सक और उनके सहयोगी, पुलिस तथा प्रशासन के लोग भी बड़ी संख्या में संक्रमित होने लगे हैं। यद्यपि अभी भी कोरोना की तीसरी पायदान अर्थात समुदाय स्तर पर संक्रमण नहीं माना जा रहा लेकिन पूरे देश में हॉट स्पॉट बढऩे से खतरा गम्भीर हो गया है। इसीलिये लॉक डाउन को बढ़ाने की तैयारी हो चुकी है। उड़ीसा ने तो बिना केंद्र का इंतजार किये ही उसे 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया। कोरोना को रोकने के लिए अब जो नई कार्ययोजना बनाई जा रही है उसके अंतर्गत हॉट स्पॉट माने गये क्षेत्रों को पूरी तरह बंद किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया गया जिससे पूरे शहर में कफ्र्यू जैसे हालात पैदा न हों। लेकिन इसके बाद भी अगर लोग नहीं माने तब लॉक डाउन को कफ्र्यू में बदलने के  सिवाय कोई चारा नहीं बचेगा। कोरोना अब ऐसी बीमारी नहीं रही जिसके बारे में कोई ये कहे कि उसे कुछ पता नहीं था। ये कैसे  फैलती है बताने की भी जरूरत नहीं है। ये कहना भी गलत न होगा कि कोरोना ने लोक शिक्षण और अनुशासन सीखने का एक अनुपम अवसर दिया है। अब तक जो भी हुआ वह और बेहतर हो सकता था बशर्ते लोगों ने नियमों का पालन किया होता। सार्वजनिक स्थानों पर शारीरिक दूरी बनाये रखने के  सोशल डिस्टेंसिंग नामक जिस तरीके पर जोर दिया जा रहा है उसके प्रति हालाँकि जागरूकता बढ़ी है लेकिन अल्प शिक्षित और अशिक्षित तबके में अभी भी लापरवाही देखी जा सकती है। जन धन खातों में  जमा राशि निकालने के लिए बैंकों की शाखाओं  के सामने लग रही भीड़ ये साबित करने के लिए काफी है कि अभी भी  लोग  गम्भीर नहीं हैं। यही वजह है कि प्रारम्भिक दौर में  कोरोना पर जल्द ही विजय हासिल करने की जो उम्मीद थी वह शनै:-शनै: घटती चली गई। और अब जबकि संक्रमित लोगों का आंकड़ा 7 हजार को छूने के करीब आ गया है तब हमें पूरी तरह से सतर्क और उससे भी ज्यादा जिम्मेदार होने की जरूरत है। सोशल डिस्टेंसिंग का लाभ तभी हासिल हो सकेगा जब वह शत-प्रतिशत लागू हो। अन्यथा एक संक्रमित लाखों को कोरोना के शिकंजे में फंसा सकता है। दिल्ली के तबलीगी जमात मुख्यालय मरकज में यदि उसका पालन किया गया होता तब देश की स्थिति इतनी भयावह न होती। दु:ख की बात है कि मरकज होकर लौटे सैकड़ों जमाती अभी भी देश के  विभिन्न हिस्सों में छिपे हुए हैं। शासन - प्रशासन के अलावा मुस्लिम धर्मगुरु और तो और मरकज के मौलाना साद तक ये अपील कर चुके हैं कि लोग खुद होकर जाँच करवाने  आगे आयें लेकिन न जाने क्या कारण है कि सैकड़ों जमाती  अभी भी भूमिगत हैं। मस्जिदों के अलावा घनी मुस्लिम बस्तियों में उनके दुबके रहने से सामुदायिक संक्रमण की आशंका भी बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि अधिकतर हॉट स्पॉट मुस्लिम बस्तियों में ही चिन्हित हुए हैं।  लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की लापरवाही केवल मरकज से लौटे जमातियों ने ही की हो। समाज के सुशिक्षित और सम्पन्न वर्ग में भी काफी ऐसे  लोग हैं जिन्होंने कोरोना संकट के समय की गईं देश - विदेश की अपनी यात्रा को छिपाया और बेरोकटोक लोगों से मिलते जुलते रहे। पता लगने के बाद प्रशासन ने उन्हें तो क्वारंटाइन कर दिया किन्तु वे जिसके भी संपर्क में आये , वे सभी लोग खतरे की सीमा रेखा में आ गए। उन सबकी तलाश कर  पाना भी प्रशासन के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है। ये कहना गलत नहीं  होगा कि  तबलीगी जमात के लोगों ने भूमिगत होकर कोरोना की लड़ाई को और कठिन बना दिया। पूरे देश में पुलिस और प्रशासन सब काम छोडकर उनकी पातासाजी करने में जुटा हुआ है क्योंकि कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति भी उतना ही बड़ा खतरा  है जितने  दस। ये सब देखते हुए अब समाज को अपनी भूमिका का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करना पड़ेगा। इस बारे में लिहाज पालने की कोई ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के बारे में किसी को जानकारी है या एक माह के भीतर कोई परिचित व्यक्ति विदेश या देश में कहीं से भी लौटा हो तो उसके बारे में प्रशासन को तत्काल जानकारी देना हर नागरिक का दायित्व है। ऐसा करने से वह न जाने कितनों को कोरोना से बचाने में सहायक बन सकता है। कोरोना वॉरियर्स के रूप में जो लाखों लोग मैदानी स्तर पर काम कर रहे हैं उनकी सुविधाओं के प्रति भी हम सभी को संवेदनशील होना चाहिए। आज की स्थिति में लॉक डाउन बढऩा  तो तय है लेकिन लोगों को इसके महत्व और जरूरत को भी संजीदगी से समझ  लेना चाहिए। किसी एक या कुछ लोगों को ही नहीं वरन सभी को कोरोना वॉरियर्स की भूमिका में आना होगा। फिलहाल जो स्थिति है वह निश्चिन्त होने लायक कतई नहीं है।  उदाहरण के  लिए जबलपुर वासी दो दिन पहले तक इस बात पर फूले नहीं समा रहे थे कि उन्होंने कोरोना पर काबू कर  लिया और शुरू-शुरू में जो 9 संक्रमित मिले थे वे भी इलाज के बाद ठीक होकर घर भेज दिए गये । वहीं जिन्हें आशंका के चलते क्वारंटाइन किया गया उनमें से भी लगभग सभी तकरीबन घर भेजे जाने लायक हो चुके हैं। लेकिन परसों शाम तक पूरा शहर एक बार फिर भयग्रस्त हो गया, जब पता चला कि 20 मार्च को हैदराबाद से लौटा एक व्यक्ति संक्रमित पाया गया। उसकी पत्नी एक बैंक में कार्यरत है। खुलासा होते ही उस व्यक्ति के परिजनों के अलावा पत्नी के कार्यालयीन सहकर्मी भी जाँच के घेरे में आ गए। हालाँकि सौभाग्य से अभी तक उनमें  कोई भी संक्रमित नहीं निकला लेकिन इस वाकये से ये लग गया कि कोरोना को लेकर किसी भी तरह की गलतफहमी या मिथ्या आशावाद पाल लेना बड़ी भूल हो सकती है।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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