Wednesday 1 April 2020

मरकज ने लॉक डाउन को विफलता के कगार पर ला खड़ा किया



कल जब दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मुख्यालय मरकज़ में हजारों मुस्लिम धर्मप्रचारकों के जमा होने का मामला सामने आया और कोरोना  वायरस का संक्रमण फैलने की पुष्टि के बाद  मरकज के मौलाना पर लॉक डाउन के उल्लंघन का आरोप लगा तब परम्परानुसार एक वर्ग विशेष केंद्र सरकार के साथ  दिल्ली सरकार तथा पुलिस को कठघरे में खड़ा करने के अभियान में जुट गया। ऐसा प्रचारित करने का प्रयास हुआ मानो मौलाना साहब और मरकज के भीतर जमा हजारों देशी  - विदेशी मुस्लिम हालात  के मारे हैं जो प्रधानमंत्री के  उस निर्देश का पालन कर रहे थे  कि लॉक डाउन में जो जहां है वही रुका रहे। इसी के साथ मरकज ने ये सफाई  भी दी कि उसने प्रशासन से लोगों को हटाने के लिए सहायता माँगी लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। ये बात भी उठी कि जब दिल्ली सरकार और पुलिस को  पता था कि मरकज में हजारों लोग बैठे हैं तब उसने समय रहते कदम क्यों नहीं उठाया ? पहली नजर में  ये लगा कि मरकज को व्यर्थ में फंसाया जा रहा है। ये बात भी सही है कि यदि वहां ठहरे एक वृद्ध की तबियत खराब होने पर अस्पताल न ले जाया जाता और उसकी मृत्यु नहीं होती तब शायद कोई हल्ला नहीं मचता। उसके बाद से ही मरकज में छापामारी हुई और फिर जो हुआ वह देश के सामने है। मुस्लिम समुदाय का नाम आते ही धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित प्रवक्ता हरकत में आ गये और मौलाना को बेचारा साबित करने  का सुनियोजित अभियान चल पड़ा। लेकिन शाम होते तक ये बात स्पष्ट होने लगी कि मरकज के कर्ताधर्ताओं ने सरकार द्वारा दिए गये सभी निर्देशों की जमकर अवहेलना की। दिल्ली सरकार ने लॉक डाउन के काफी पहले ही धार्मिक आयोजनों पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। मरकज का ये दावा तब गलत साबित हो गया जब मरकज से सटे निजामुद्दीन थाने  के प्रभारी का एक वीडियो सामने आ गया जिसमें वे मरकज के छह संचालकों को  साफ़ - साफ़ याद दिला रहे हैं कि आप लोगों को कई बार कह दिया गया कि मरकज खाली कर दिया जावे। प्रभारी ने उन्हें ये भी कहा कि वहां ठहरे लोगों को निकालने  के  लिए वाहन आदि भी उपलब्ध करवा दिए जायेंगे। इसी के साथ ही प्रभारी ने उन्हें बाकायदा नोटिस भी दिया तथा उसकी अवहेलना करने पर सख्त कार्र्वाई की चेतावनी के साथ ये समझाइश भी दी कि  ये सब वे अपने नहीं बल्कि उनकी जीवन रक्षा के लिए कह  रहे हैं। उक्त वीडियो 23 मार्च का है।  मरकज की और से उस वीडियों का अब तक तो खंडन नहीं  किया गया। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर मरकज के विरूद्ध मामला दर्ज करने का आग्रह किया। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने मौलाना और संस्थान के बाकी संचालकों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। मरकज के मौलाना की हठधर्मिता के विरुद्ध मुस्लिम समाज के भीतर से भी कुछ आवाजें उठीं लेकिन अभी भी कुछ लोग इस जनविरोधी कृत्य का बचाव करने में लगे हैं , जो शर्मनाक है। मरकज का जमावड़ा  केवल धारा 144 और लॉक डाउन का उल्लंघन होता तो हालात के मद्देनजर एक बार नरमी की भी जा सकती थी किन्तु उसकी वजह से दिल्ली ही नहीं पूरे देश में कोरोना संक्रमण का जो खतरा पैदा हो गया उससे लॉक डाउन पूरी तरह विफल होने के कगार पर आ  गया है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार मरकज से लौटे अनेक लोगों की मौत हो चुकी है और दिल्ली सहित देश के  दूसरे  हिस्सों में उनकी वजह से सैकड़ों  लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा हजारों के संक्रमित होने की आशंका बढ़ गई है। इस्लामी कट्टरपंथ का प्रचार करने वाली इस संस्था के आयोजन में पर्यटक वीजा लेकर आये विदेशी मुस्लिम वहां से  निकलकर देश के अन्य हिस्सों में मस्जिदों तथा दूसरी जगहों पर रुककर धर्म प्रचार में लगे रहे जो वीजा नियमों का उल्लंघन है। 12 हजार लोगों के ठहरने की क्षमतायुक्त मरकज में साल भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कोरोना संकट आने के बाद जब लॉक डाउन के अलावा लोगों को  एक दूसरे से दूर रहने की सलाह दी गई तब मरकज के मौलाना ने अपने अनुयायियों को उसके विरुद्ध भड़काते  हुए इन व्यवस्थाओं को मुस्लिम  विरोधी बताया और मस्जिद में आने तथा मिलने जुलने की हिदायत दी। इसका भी वीडियो सार्वजनिक हो चुका है। पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई का भी जिस गंदे तरीकों से विरोध हुआ वह मरकज के लोगों की दुष्प्रवृत्ति का प्रमाण है। फिलहाल तो उसे सील कर दिया गया है। मामला पुलिस में दर्ज होने के बाद क्राइम ब्रांच इस समूचे मामले की जाँच करेगी लेकिन ऐसे धार्मिक केन्द्रों की पहिचान कर उन्हें बंद ही करवा देना चाहिए। कुछ सिरफिरे मौलाना पूरे  इस्लाम के प्रवक्ता नहीं हो सकते। ऐसे लोगों ने ही मुसलमानों की छवि   खराब करने का पाप किया है। इस बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि हमारे देश में वोटबैंक की राजनीति ने मरकज जैसे संस्थानों का हौसला बुलंद किया है। अरविन्द केजरीवाल को तो मुस्लिम विरोधी  नहीं माना जाता लेकिन वे भी ये कहते सुने गए कि जब मक्का खाली हो गया, मंदिर-मस्जिद बंद हो गये तब मरकज में हजारों के हुजूम को बनाये  कहना बहुत गलत था। बेहतर हो ऐसे मामलों में धर्म को बीच में न लाते हुए ये देखा जाए कि मरकज की हेकड़ी ने देश में हजारों लोगों की जि़न्दगी खतरे में डाल दी है। अच्छा होगा मुस्लिम समुदाय ऐसे शातिर और अव्वल दर्जे के गैर जिम्मेदार मुल्ला - मौलवियों से खुद को बचाए वरना ये खुद तो डूबेंगे ही साथ में उनको भी ले डूबेंगे। इस्लाम का नाम बदनाम होगा सो अलग। मुस्लिम कौम को उसके धर्म का पालन करने का पूरा अधिकार है लेकिन उन्हें ये बात समझ लेनी चाहिए कि देश कानून से चलता है न कि धर्मगुरुओं के फतवे या निर्देश से। और कोई भी धर्म इंसानी जि़न्दगी को खतरे में डालने का अधिकार नहीं रखता। एक कमरे में छींकते-खांसते आठ-दस लोगों को बिना इलाज रखने वाला मौलाना कुछ भी हो धर्मगुरु तो कतई नहीं हो सकता।

-रवीन्द्र वाजपेयी

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